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न्यायालयों में अब बदल रहा है कामकाज का तरीका, नहीं मिलती तारीख पर तारीख

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 17, 2019 12:16:36 pm

Submitted by:

ashish mishra

जल्द से जल्द फैसले होने लगे हैं।

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छिंदवाड़ा. हिन्दी फिल्म ‘दामिनी’ में अभिनेता सन्नी देओल का डायलॉग ‘तारीख पर तारीख’ तो आपलोगों को जरूर याद होगा। यह डायलॉग कुछ समय पहले तक तो न्यायालय के कार्यप्रणाली पर भले ही सटीक बैठती रही हो, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। जिला न्यायालयों में अब तारीख पर तारीख नहीं, बल्कि जल्द से जल्द फैसले होने लगे हैं। सुनवाई के लिए पहले तारीख दो से तीन माह बाद लगा करती थी, लेकिन अब पन्द्रह से बीस दिन में ही लग जाती हैं। ऐसे में अब लंबित प्रकरण की संख्या भी कम हो रही है। यह कहना है जिले के वकीलों का। बुधवार को इंटरनेशनल जस्टिस डे है। इस मौके पर हमने शहर के वकीलों से उनके विचार जानें। अधिकतर का कहना था कि समय के साथ न्यायालय में कामकाज को लेकर काफी परिवर्तन आ चुका है। पहले के समय में एक पीढ़ी याचिका लगाती थी और अगली पीढ़ी जजमेंट सुनती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
क्या कहते हैं शहर के वकील

जिला न्यायालयों में प्रकरणों के निराकरण की बेहतर स्थिति हो चुकी है। लोक अदालत और जजों की नियुक्तियों से लंबित प्रकरण कम हुए हैं। हां यह जरूर है कि राज्य उपभोक्ता फोरम और उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ रही है।
प्रणय नामदेव, वकील
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पहले से अब में स्थितियां काफी सुधर चुकी हैं। लगभग हर तीन माह में लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। पहले एक सुनवाई के लिए तारीख दो से तीन माह की लगती थी, लेकिन अब 15 से 20 दिन में सुनवाई हो रही है।
अजल पालीवाल, वकील
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लगभग हर तहसील में सिविल कोर्ट खुल चुका है। इससे जो पहले दबाव होता था वह कम हो गया है। हाइकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट द्वारा समय-समय पर प्रकरण के निपटारे के लिए निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं।
सत्येन्द्र वर्मा, वकील
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पहले यह माना जाता था कि एक बार न्यायालय में मामला चला गया तो सालों बाद न्याय मिलेगा, लेकिन अब आप ऐसा नहीं कह सकते। अब हर प्रकरण की सुनवाई जल्द से जल्द हो रही है। फैसले भी जल्द आ रहे हैं। व्यवस्थाएं काफी बदल चुकी हैं।
रजनीश ब्यौहार, वकील
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