scriptअष्टानिका पर्व पर धर्म आराधना | festival of Jain Samaj | Patrika News

अष्टानिका पर्व पर धर्म आराधना

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 20, 2018 12:41:22 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

जैन समाज : विधान में शामिल हो रहे श्रावक-श्राविकाएं

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छिंदवाड़ा. सकल जैन समाज कार्तिक शुक्ल अष्टमी से आत्म शुद्धि एवं धर्माराधना का अनादि निधन शाश्वत पर्व अष्टानिका की मंगल आराधना करते हुए आत्म साधना कर रहा है। पर्वराज के चतुर्थ दिवस सोमवार कार्तिक शुक्ल ग्यारस को मुमुक्षु मंडल एवं अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के जिनवाणी तत्व रसिक श्रावक-श्राविकाओं ने पाश्र्वनाथ जिनालय नई आबादी गांधी गंज में श्री वीतरागी देव-शास्त्र-गुरु भगवंतों के साथ नंदीश्वर पूजन कर नियमसार विधान के माध्यम से आत्मा से परमात्मा बनने का मार्ग जाना। इस अवसर पर स्वाध्याय मंडप में मुमुक्षु भाई बहनों ने ग्रंथराज छहढाला के माध्यम से गुरुदेवश्री के मुख से संसार का स्वरूप और उससे निकलने का मार्ग जाना पश्चात युवा विद्धवान डॉ. विवेक जैन ने ग्रंथराज नियमसार का महत्व बताते हुए कहा कि यह आत्मा से परमात्मा बनाने वाला परमागम ग्रंथराज है। आचार्य कुंदकुंद भगवन ने भव्य जीवों को संसार सागर से पार उतारने के लिए इस पवित्र ग्रंथ की रचना की है। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और इस विधान के माध्यम से सम्पूर्ण नियमसर का सार समझ कर आत्मा से परमात्मा बनें। यही अष्टानिका महापर्व का सार है उन्होंने बहुत ही सुगम शैली में संसार की असारता और मोक्ष मार्ग ही सार है का सुंदर वर्णन किया है, जिसका लाभ सकल स्वाध्याय श्रावक गणों को मिला।
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