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बच्चों और महिलाओं के इस काम में फिसड्डी जिला

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 02, 2018 05:31:22 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

aआठ जिलों में सातवें पायदान पर छिंदवाड़ा

aganwadi

..नहीं मिलेगा आंगनबाड़ी केंद्र पर आने वाले बच्चों को पोषाहार

मंडला, डिंडोरी, बालाघाट से भी पीछे

छिंदवाड़ा . एकीकृत बाल विकास परियोजना के अंतर्गत आंगनबाडि़यों के संचालन और उनके द्वारा बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के स्वास्थ्य पोषण के मामले में जिले में प्रगति नहीं दिख रही है। जबलपुर सम्भाग के आठ जिलों की मासिक ग्रेडिंग में छिंदवाड़ा जिला सातवें स्थान पर है।
गौरतलब है कि मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जैसे छोटे जिलों में यहां से बेहतर काम दिख रहा है। महिला बाल विकास विभाग विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों और नियमित चलने वाली गतिविधियों के आधार पर हर माह काम के आधार पर जिलों की ग्रेडिंग तय करता है। मार्च की जारी ग्रेडिंग में छिंदवाड़ा सी ग्रेड के साथ सिर्फ नरसिंहपुर से ऊपर है। बाकी छह जिलों ने कुछ बेहतर प्रदर्शन करते हुए बी ग्रेड के साथ अपनी स्थिति भी बदली है, लेकिन छिंदवाड़ा लगातार दूसरे महीने सातवें स्थान पर है। दिसम्बर से अब तक वह सिर्फ जनवरी में ही पांचवां स्थान बना सका था। फरवरी में जिले को ४३.८६ अंक मिले थे। इस बार ४३.९४ अंक मिले हैं। पिछले दिसम्बर के बाद वह सिर्फ एक बार ही बी ग्रेड हासिल कर पाया है।
परासिया,जामई तामिया में अच्छा काम

जिले की १४ परियोजना की बात करें तो परासिया, जामई और तामिया की आंगनबाडि़यों में मैदानी काम अच्छे होने से वे ग्रेडिंग में ऊपर आ गए हैं। परासिया पहले और परासिया-२ परियोजना तीसरे स्थान पर है। जामई-२ परियोजना इस बार दूसरे नम्बर पर आ गई है जबकि पिछली ग्रेडिंग में वह पांचवें स्थान पर थी। परासिया दूसरे स्थान से पहले स्थान पर है। छिंदवाड़ा परियोजना चौथे स्थान पर है। पिछले महीने पर छठे स्थान पर थी। परफारर्मेंस देखें तो १४ में से सिर्फ पांच परियोजनाओं को बी ग्रेड मिला है जबकि शेष नौ परियोजनाओं को सी ग्रेड मिला है। बिछुआ, सौंसर, मोहखेड़ और छिंदवाड़ा को सबसे ज्यादा फिसड्डी पाया गया है।
ऐसे मिलते हैं ग्रेड

विभाग की योजनाओं का मैदानी क्रियान्वयन किस तरह किया जा रहा है और भोपाल से मांगी गई जानकारी को जिला कितनी गम्भीरता से लेकर समय पर पहुंचाता है। विभिन्न सेवाओं के आधार पर ऑनलाइन काम में जिला किस तरह काम कर रहा है। इन सब कामों का विश्लेषण करने के बाद ग्रेडिंग तय की जाती है। ७५ से ज्यादा अंक मिलने पर ए प्लस ग्रेड, ६० से ७५ अंक तक ए ग्रेड, ४५ से ६० अंक तक बी ग्रेड, ३० से ४५ अंकों तक सी गे्रड तथा ३० से कम अंकों पर डी ग्रेड दिया जाता है।
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