ओलम्पिक स्टेडियम जिले का एकमात्र उच्चस्तरीय फुटबॉल ग्राउंड है, जहां पर राष्ट्रीय स्तर के मैच हो सकते हैं। दो साल पहले ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन एवं मप्र फुटबॉल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में मध्यप्रदेश प्रीमियर फुटबॉल लीग के लिए छिंदवाड़ा का ग्राउंड देखा गया था। प्रतियोगिता में प्रदेश, देश एवं विदेश के भी खिलाड़ी शामिल होने थे। प्रीमियर लीग के आयोजन की जिम्मेदारी छिंदवाड़ा फुटबॉल संघ को दी गई थी। संघ ने तैयारी भी की। हालांकि दिल्ली से आई टीम ने ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड की दयनीय हालत देखते हुए इसे रिजेक्ट कर दिया। ऐसे में छिंदवाड़ा फुटबॉल संघ को सिवनी में आयोजन करना पड़ा। अगर यह प्रतियोगिता छिंदवाड़ा में होती तो देश एवं विदेश के खिलाडिय़ों की तकनीक को नजदीक से देखने का अवसर हमारे जिले के खिलाडिय़ों को प्राप्त होता। इस बार भी ऐसी ही स्थिति बनी।
जिले के कई महिला-पुरुष फुटबॉल खिलाड़ी संतोष ट्राफी एवं ओपन माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुके हैं। वर्ष 2019 से इस ग्राउंड की स्थिति खराब होने से खिलाड़ी ठीक से प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। गर्मी में धूल के गूबार से सांस लेने तक की दिक्कत हो जाती है। छोटे-छोटे कंकड़ से खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं। बारिश में तो यहां खेलना मुश्किल है।
जिला ओलम्पिक संघ के पास स्टेडियम के आसपास 97 दुकान संचालित की जाती हैं। इन दुकानों से संघ को हर माह 79,074 रुपए की आमदनी होती है। वहीं बैडमिंटन हॉल से हर माह लगभग नौ हजार रुपए की आय होती है। जबकि खर्च देखें तो कर्मचारियों का मासिक वेतन, विद्युत, दूरभाष, बैडमिंटन हॉल के सफाई सामग्री पर प्रतिमाह करीब 50 हजार रुपए खर्च होते हैं। वहीं खेल संघों, अखिल भारतीय कबड्डी प्रतियोगिता के आयोजन, फुटबॉल प्रतियोगिता सहित अन्य मद में खर्च होता है।
ओलम्पिक स्टेडियम का ग्राउंड खराब होने के साथ ही यहां दर्शकों के लिए बनाई गई सीढ़ी भी बदहाली का रोना रो रही है। वहीं ग्राउंड में पानी देने के लिए लगाया गया कई नल भी टूट चुका है।
इनका कहना है..
इस संबंध में जल्द ही कलेक्टर के समक्ष समस्या रखी जाएगी। हमारी कोशिश है कि ग्रीष्मकालीन खेल शिविर से पहले ग्राउंड बेहतर स्थिति में हो जाए।
रामराव नागले, खेल अधिकारी