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घोषणा तो कर दी अब राहत देने से कतरा रही सरकार

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 15, 2019 10:52:44 pm

Submitted by:

prabha shankar

खत्म हो गया दवा का स्टॉक, भोपाल में अटका नई दवाओं के अनुदान का मामला

kamal nath

Chhindwara

छिंदवाड़ा. मक्का पर लगे आर्मी वर्म फॉल कीट के नियंत्रण के लिए किसानों को अनुदान पर दवा दिलाने का मामला भोपाल में अटका हुआ है। इधर जिला प्रशासन की ओर से सरकारी स्तर पर दवाओं की उपलब्धता के लिए कृषि विभाग के संचालक को पत्र लिखा गया है, लेकिन अभी तक भोपाल से इस सम्बंध में कोई सकारात्मक जवाब आते दिख नहीं रहा है। ध्यान रहे जिस तरह कीट का प्रकोप फैल रहा है उससे विभाग और सरकार की ओर से जल्द निर्णय लेने की बात किसान कह रहे हैं। अभी तक सिर्फ एक दवा इमामेक्टिन बेंजोएट विभाग ने पिछले हफ्ते बुलवाई थी, लेकिन उसका स्टॉक भी सोमवार को खत्म हो गया है। यह दवा उपलब्ध नहीं हुई और दूसरी दवाओं को लेकर जल्द निर्णय उच्चस्तर पर नहीं होता है तो गर्मी के कारण ज्यादा फैलने वाले इस कीट का प्रकोप नुकसान को और बढ़ा सकता है।

दूसरी दवाओं की भी जरूरत
गौरतलब है मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिले में इस कीट के प्रकोप के बाद छिंदवाड़ा में ही किसानों को इसके नियंत्रण के लिए दवाओं को पचास फीसदी अनुदान पर उपलब्ध कराने की घोषणा की थी और विभाग को तत्काल दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। आनन-फानन में कम्पनियों से चर्चा के बाद एक दवा इमामेक्टिन बेंजोएट का ही ज्यादा स्टॉक मिला। उसे जिले के सभी विकासखंडों में आधी कीमत पर किसानों को देने के लिए पहुंचा दिया गया। कीट के प्रकोप के हिसाब से दवाएं दूसरी भी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों और कीट विशेषज्ञों ने लैम्डासाईहेलोब्रिन, थाईमेथाक्सिम, स्पिनोसैंड, क्लोरैन्टिनीपोल के साथ एजारिक्टिन, बिवेरिया बेसियाना, मेटारायजियम, एनीसोपोल, बैसिलल थुरिजेसिंस नाम की दवाएं अनुशंसित की हैं।

अनुदान पर फंसा पेंच
ये दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन विभाग के अप्रूवल और सरकार की हामी के बाद ही आधी कीमत पर ये दवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। ध्यान रहे पूरे प्रदेश में मक्का बड़े क्षेत्र में लगा है। अनुदान देने का निर्णय लेने पर सरकार पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा। बताया जाता है कि इसी वजह से निर्णय लेने में देरी हो रही है। भोपाल में बैठे विभागीय अधिकारियों की चिंता बढ़ रही है क्योंकि सीएम ने निर्देश दिए हैं कि अनुदान पर दो। लेकिन इसे वहन करने की स्थिति भी तो हो। बाजार में ये दवाएं उपलब्ध हैं। बड़े किसान इन्हें खरीद भी सकते हैं। बात छोटे किसानों की है। विभाग हालांकि सिर्फ पांच एकड़ के लिए ही दवा दे रहा है चाहे
मक्का इससे ज्यादा क्षेत्र में लगा हो। ऐसे में बड़े रकबे वालों को तो बाजार से दवा खरीदनी ही पड़ेगी। स्थानीय अधिकारी भोपाल से निर्देश मिलने के इंतजार में है ताकि किसानों के दवाओं को लेकर लगातार बढ़ रही मांग को वे पूरा कर सकें।

जो दवा आई है उसे जिले के सभी विकासखंडों में पहुंचाया गया है। उसकी और उपलब्धता के लिए प्रयास जारी है। कलेक्टर छिंदवाड़ा की ओर से एक पत्र विभाग के संचालक को भी भेजा गया है। वहां से जैसे निर्देश आते हैं उसके अनुसार हम किसानों के लिए दवाओं की व्यवस्था बनाएंगे।
जेआर हेडाउ, उपसंचालक कृषि

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