कॉलेजों में नहीं हैं अतिथि विद्वान, कैसे पूरा होगा कोर्स
कॉलेजों में अतिथि विद्वानों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। ऐसे में अब विद्यार्थियों के अध्यापन कार्य पर प्रभाव पड़ रहा है। विद्यार्थियों का कहना है कि कॉलेजों में प्रोफेसर की भारी कमी है। इसके चलते स्थिति यह है कि चार कक्षा की जगह दो कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जिससे समय पर कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
जुलाई में शुरु होना था सत्र
स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश प्रक्रिया अभी भी चल रही है। ऐसे में सत्र दो माह विलंब से है। विशेषज्ञों के अनुसार सितम्बर में तिमाही परीक्षा होगी। जबकि अभी तक कॉलेजों में प्रवेश की वजह से शैक्षणिक व्यवस्था ही ढर्रें पर नहीं आ पाई है। जानकारी के अनुसार राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज में जनभागीदारी से नियुक्ति तो की गई है लेकिन यह प्रर्याप्त नहीं। वहीं पीजी कॉलेज, शासकीय कॉलेज हर्रई, तामिया, बिछुआ सहित जिले के अधिकतर शासकीय कॉलेजों में अध्यापन कार्य बुरी तरह प्रभावित है। जानकारों का कहना है कि कॉलेज चाहे तो जनभागीदारी से नियुक्ति कर विद्यार्थियों के अध्यापन कार्य को प्रभावित होने से रोक सकती है।
पचास प्रतिशत अतिथि विद्वानों पर निर्भरता
जिले में अधिकतर शासकीय कॉलेजों में अध्यापन कार्य अतिथि विद्वानों पर ही निर्भर है। मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से कॉलेज में नियुक्ति प्रक्रिया भी रूकी हुई है।
गलतियों पर गलती किया जा रहा रादुविवि
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती से कॉलेजों में विद्यार्थियों के रिजल्ट में आए दिन त्रुटियां सामने आ रही हैं। ऐसे में विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं। लालबाग निवासी गल्र्स कॉलेज की छात्रा रितु बैश ने बताया कि मैं बीए सेकंड सेमेस्टर में इतिहास विषय में एटीकेटी आई थी। मैंने इसकी परीक्षा दी। रिजल्ट आया तो मैं सभी विषय में पास हो गई, लेकिन अब फाउंडेशन कोर्स में ग्रेस मार्क लग गया है। जबकि पहले नहीं था। ऐसे में छात्रा ने प्राचार्य को शिकायत दी है। बता दें कि इससे पहले भी एक छात्रा ने रिजल्ट में बड़ी त्रुटि की शिकायत की थी।