उपयंत्री आरके सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि ऑनलाइन लिफाफा बंद निविदा से फायदा हुआ है। ऑनलाइन टेंडर निकालने के कारण ही प्रदेश के जबलपुर, सिवनी, खंडवा, होशंगाबाद, मुलताई एवं जिले की बड़ी-बड़ी कबाड़ फर्म शामिल हुईं। खुली बोली में सिर्फ शहर के कबाड़ व्यापारी ही शामिल हो पाते थे, जिससे प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती थी। छह महीने से अधिक समय तक तैयारियां हुईं। कबाड़ को छह प्रकार के समूह में अलग किया गया। अलग-अलग धातुओं की प्रकृ ति के अनुसार उनका बाजार मूल्य तय किया गया। इलेक्ट्रिकल्स, कास्ट आयरन, पैरामांउट व्हीकल, एमएस मटेरियल को उनके वजन, मात्रा एवं दरों के साथ ऑनलाइन प्रकाशित किया गया।
निगम से बेचे गए कबाड़ में करीब 30 से 40 वर्ष पुराने फिल्टर प्लांट के 10 पंप और 40 साल पुराना एक ट्रांसफार्मर भी शामिल रहा। पंप 40 से लेकर180 हार्सपावर तक के थे। करीब 20-22 सबमर्सिबल मोटर, कास्टआयरन के दो सौ से अधिक स्लुस बाल्व, रेडुसर, जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर, टिप्पर, ट्यूब, चोक, सैकड़ों छोटी बड़ी कचरा पेटी, ट्वाय ट्रेन के डिब्बे, हैंडपंप सिलेंडर, एंगल, पाइप, बाउंड्रीवाल ग्रिल, जीप आदि भी कबाड़ की सूची में शमिल है।
निगम का कबाड़ बेचने के लिए पहली बार ऑनलाइन तरीका अपनाया गया है। इसमें समस्त दस्तावेजों की पूर्ति करने के बाद रजिस्टर्ड फर्मों ने टेंडर भरे। अमानत राशि जमा करवाई गई। प्रतिस्पर्धा अधिक होने से अनुमानित कीमत से अधिक में कबाड़ बिका है।
इच्छित गढ़पाले, आयुक्त, नगर निगम छिंदवाड़ा