थायरॉइड मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। जिसमें पहला हाइपोथायरॉइड और दूसरा हाईपरथायरॉइड हाइपोथायरॉइड–
इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि की प्रक्रिया सुस्त हो जाती है, जिस वजह से आवश्यक टी थ्री व टी फोर हार्मोन का निर्माण नहीं हो पाता और अनावश्यक रूप से वजन बढने लगता है। किसी भी काम में मन नहीं लगता, कब्ज रहने लगता है और ठंड भी बहुत लगती है। कई लोगों की आंखों में सूजन, महिलाओं में माहवारी चक्रका अनियमित होना, त्वचा का सूखा और बेजान होना, पैरों के जोड़ों में सूजन व ऐंठन रहना आदि लक्षण दिखने लगते हैं।
हाइपरथायरॉइड-
इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि तेजी से काम करने लगती है, जिसके कारण टी थ्री और टी फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकल कर खून में मिलने लगते हैं। इस वजह से वजन कम होने लगता है और व्यक्ति दुबलेपन का शिकार हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को भूख ज्यादा लगती है और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। मन में निराशा हावी हो जाती है। धड़कन बढ़ जाती है और अनिद्रा की समस्या शुरू हो जाती है। पसीना अधिक आता है। गर्मी सहन नहीं होती। दस्त रहने लगते हैं। महिलाओं में माहवारी की अनियमितता और प्रजनन क्षमता में कमी के तौर पर भी इसका असर देखने को मिलता है।
– आवाज भारी होना
– गर्दन में गांठ या सूजन व गर्दन के निचले हिस्से में दर्द
– लगातार सिरदर्द होना
– बोलने व सांस लेने में कठिनाई व सांस तेजी से चलना (सांस फूलना)
– थोड़े से शारीरिक श्रम में थकान महसूस करना
– अवसाद के साथ-साथ अधिक नींद आना या अनिद्रा की समस्या देखने को मिलती है।
इसके अलावा शरीर में अधिक कमजोरी महसूस होने लगती है
– गर्मी सहन नहीं होती है, शरीर से अधिक पसीना आने लगता है, अंगुलियों में कंपकपी होने लगती है साथ ही घबराहट भी होने लगती है
– थायराइड रोग के कारण रोगी का हृदय बढ़ जाता है, याददाश्त भी कमजोर होने लगती है
– भूख नहीं लगती है और उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है। इस रोग के कारण कई बार रोगी के बाल भी झडने लगते हैं।
– थायरॉइड का एक कारण तनाव है। रोजमर्रा की परेशानियां जब नियमित तनाव का कारण बन जाती हैं, तो इसका सबसे पहला असर थायरॉइड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।
– कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से भी थायरॉइड होता है।
– भोजन में आयोडीन की कमी या फिर नमक का ज्यादा इस्तेमाल भी थायरॉइड की समस्या पैदा कर सकता है।
– परिवार के किसी सदस्य को थायरॉइड होने पर इसके होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है।
– ग्रेव्स रोग थायरॉइड का बड़ा कारण है। इसमें थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉइड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है।
– लगातार ऊंचा तकिया लगा कर सोने, पढऩे व टीवी देखने से भी थायरॉइड की समस्या हो सकती है।
– शीशे को इस तरह पकड़ें कि गर्दन के बीच वाले हिस्से को देख सकें। थायरॉइड ग्लैंड की यह सामान्य स्थिति है। अब अपना सिर पीछे की तरफ करें। शीशे से यह हिस्सा दिखता रहे। अब पानी पिएं और उसे नीचे की ओर जाते हुए गर्दन में आने वाले उभार या बनने वाले असामान्य आकार पर गौर करें। इस प्रक्रिया को दोहराएं। यदि बार-बार उभार दिख रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
थायरॉइड की बीमारी को दूर करने में एक्यूपंचर काफी मददगार है। इसके अलावा थायरॉइड के मरीजों को नियमित रूप से योग और व्यायाम भी करना चाहिए। इससे थायरॉइड ग्रंथि सुचारू रूप से काम करना शुरू कर देती है। हाइपोथायरॉइड व हाइपरथायरॉइड दोनों ही स्थितियों में इसका असर सकारात्मक पड़ता है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित खान-पान और व्यायाम से इसे पूरी तरह काबू किया जा सकता है। इससे वजन बढऩे थकान व अवसाद जैसी स्थितियों से बचने में मदद मिलती है। योग में श्वासन सर्वोत्तम है। लेटे हुए टीवी देखने और पढऩे से बचें। तकिए का इस्तेमाल न करें। नियमित ब्लड टेस्ट करवाएं।
– थायरॉइड के मरीजों के लिए आयोडीन का सेवन काफी मददगार होता है। आयोडीन थायरॉइड फंक्शन को नियंत्रित करने का काम करता है। नमक के अलावा समुद्री शैवाल, समुद्री वनस्पति, मछलियां और समुद्री जीवों में आयोडीन सबसे अधिक पाया जाता है।
– हरी पत्तेदार व ताजी सब्जियों का सेवन अधिक करें। हालांकि फूल गोभी, पत्ता गोभी का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है।
– अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढऩे से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
– टमाटर, हरी मिर्च, अदरक, प्याज व लहसुन खाना भी फायदेमंद साबित होता है।
– विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अंडे, दूध, गाजर और मशरूम का सेवन करें। यह सभी चीजें थायरॉइड को नियंत्रित करने का काम करती हैं।
– थायरॉइड ग्रंथि की सुचारू सक्रियता के लिए सेलीनियम से भरपूर अखरोट व बादाम आदि मेवे लेना हितकर रहेगा।
– काजू और सूरजमुखी का बीज भी खाना बेहतर रहेगा।
– नारियल के तेल का सेवन फायदेमंद होता है।
– गाय का दूध, दही और पनीर का सेवन करें।
– फूलगोभी, पत्तागोभी का सेवन न करें।
– सोयाबीन, सोयामिल्क या उससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन भी कम करना चाहिए।
– थायराइड रोगियों के लिए धूम्रपान हानिकारक होता है। सिगरेट के धुएं में पाया जाने वाला थायोसाइनेट थायरॉइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है।
– जंक फूड और ऊास्ट फूड का सेवन कम से कम करें।
– कॉफी, इसमें मौजूद कैफीन की वजह से थाय थायरोक्सिन दवा का अब्जोर्बशन नहीं होता है।
– ऑयली और फैटी खाना, इनमें मौजूद कैलोरी की अधिक मात्रा हायपोथाइरॉयडिज्म को बढ़ाती है।
– मीठा, इससे बॉडी के मेटाबोलिज्म पर असर पड़ता है। हायपोथाइरॉयडिज्म की समस्या तेजी से बढ़ती है।
– ब्रोकली खाने से नार्मल फंक्शन के लिए जरूरी आयोडीन अब्जोर्बशन की क्षमता घट जाती है।
– रिफाइंड फ़ूड में ब्लड शुगर और हार्मोन का लेवल बिगडऩे के ज्यादा चांसेज होते हैं।
शुरुआती स्तर पर पहचान होने पर थायरॉइड को न सिर्फ आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इससे छुटकारा भी मिल जाता है। पर देर से पहचान होने पर ताउम्र दवा का सेवन करना पड़ सकता है। थायरॉइड की जांच ब्लड टेस्ट से की जाती है। ब्लड में टी थ्री, टी फोर व टीएसएच (थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) टेस्ट किया जाता है।
साबुत धनिया
एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिया को रात के समय में भिगोकर रख दें और सुबह के समय में इसे मसलकर उबाल लें। फिर जब पानी चौथाई भाग रह जाए तो खाली पेट इसे पी लें और गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। यह उपचार लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
दही और दूध
जिन व्यक्तियों को थायराइड की समस्या होती है उन्हें दही और दूध का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित रोगियों को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
मुलेठी
जिन व्यक्तियों को थायराइड की समस्या होती है उन्हें बहुत जल्दी थकान लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं और थायराइड की समस्या से निजात मिलती है।
फल और सब्जियां
थायराइड के रोगियों को फलों और सब्जियों का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए, फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायराइड को कभी बढऩे नहीं देता है। सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च आदि का सेवन करें। इससे थायराइड की समस्या से छुटकारा मिलता है।
फलों का रस
थायराईड रोगों का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (नारियल पानी) अनानास, संतरा, सेब, गाजर, चकुन्दर व अंगूर का रस पीना चाहिए, इससे थायराईड की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद में कुछ उपाय थायरॉइड के लिए दिए गए है जो आपको किसी भी आयुर्वेद के विशेषज्ञ के सलाह के आधार पर ही प्रयोग करना चाहिए।
– 5 किलो आटे के साथ 1 किलो बाजरा का आटा और एक किलो ही ज्वार का आटा मिलकर इस आते से बनी रोटियां खाने से आपको इस रोग में बेहद राहत मिलती है।
– सुबह खाली पेट आप गोमूत्र या इसके अर्क का सेवन कर सकते है और इसे लेने के एक डेढ़़ घंटे तक आपको कुछ भी नहीं खाना होता है और मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं इसे ले सकती हैं। इसके लिए आप प्रात: काल उठकर फ्रेश होने के बाद गो मूत्र को बारीक कपडे से छानकर लें और इस दौरान आप कुछ भी फास्टफूड और तेलिय और गरिष्ट पदार्थो के सेवन से परहेज करें। चाय और काफी का सेवन भी वर्जित है। थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार में यह बेहद कारगर है।
यह बीमारी महिलाओं में अधिक होती है एक औसतन १० में से तीन महिलाऐं थायराईड से पीडि़त हैं। इसके होने के बाद प्रॉपर दवा लेने से बीमारी न केवल कंट्रोल में रहती हे बल्कि पूरी तरह से समाप्त भी हो जाती है। इसके लिए नियमित रूप से डॉक्टरी सलाह लेते रहें।
डॉ. सुदीप जैन मेडिकल ऑफिसर जिला अस्पताल