भरतदीप चौरसिया:
जिले के दूरस्थ ग्राम बारीगढ़ निवासी भरतदीप चौरसिया ने मप्र न्यायपालिका वर्ग दो की परीक्षा में २३ वां स्थान हासिल किया है। भरतदीप लंबे समय से सिविल जज की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने दूसरे बार के प्रयास में यह सफलता हासिल की है। भरतदीप के माता-पिता इस दुनिया में नहीं है। चार भाई और एक बहन में दूसरे नंबर के भरतदीप ने अपने ताई-ताऊ के पास रहकर पढ़ाई की। भाई अमरदीप चौरसिया से मिले प्रोत्साहन के बाद उन्होंने सिविल जज की तैयारी की। मुंशी प्रेमचंद्र को पढऩे और क्रिकेट खेलने का शौक रखने वाले भरतदीप ने बताया कि पिता स्व. अरुण कुमार चौरसिया किसान थे। 2010 में उनका निधन हो गया था। उसके पहले मां २००७ में चल बसी थीं। अभावों के बीच उन्होंने पढ़ाई की। 2012 में एलएलबी करने के बाद सिविल जज के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। दूसरे इंटरब्यू में उन्होंने यह सफलता पाई है। तीन दिन पहले बारीगढ़ में उनकी ताई का निधन होने पर वे गांव में ही थे, तभी बुधवार को उन्हें खबर मिली कि सिविल जज के रूप में उनका चयन हो गया है। इससे पूरे गांव में खुशी छा गई और लोगों ने भरतदीप को बधाई दी। भरतदीप ने बताया कि उन्हें जज बनने की प्रेरणा अपने दादा दी स्व. दृगपाल चौरसिया से मिली थी।
उत्कर्षराज:
तमरयाई मोहल्ला निवासी सराफा व्यवसायी दिनेश सोनी के बेटे उत्कर्षराज ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। बुधवार को जब रिजल्ट आया तब उत्कर्ष अपने पूरे परिवार के साथ इंदौर में थे। सिविल जज के लिए चयन होने की सुखी परिवार के साथ बांटकर वे छतरपुर के लिए रवाना हो गए। उत्कर्ष ने बताया कि बचपन से उनका सपना था कि वे जज बने, इसलिए एलएलबी करने के बाद से ही उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी। शहर में ही रहकर कोचिंग की। माता-पिता और दादा खूबचंद्र सोनी की प्रेरणा से प्रतिदिन ८ से १० घंटे तक पढ़ाइ की। जबलपुर में इंटरब्यू देने के बाद से ही भरोसा हो गया था कि वह सफल होंगे।