scriptसंकट मोचन तालाब से ही निकाल ली सड़क, काट दी गई कॉलोनी | The crisis took place from the Mochan pond cut colony | Patrika News

संकट मोचन तालाब से ही निकाल ली सड़क, काट दी गई कॉलोनी

locationछतरपुरPublished: May 22, 2018 12:40:32 pm

Submitted by:

Neeraj soni

प्रशासन की उदासीनता का फायदा उठाकर दिनरात की जा रही है तालाब की पुराई

The crisis took place from the Mochan pond cut colony

The crisis took place from the Mochan pond cut colony

छतरपुर। शहर का सबसे बड़ा संकट मोचन तालाब अब खुद संकट में है। कभी अवर्षा और सूखे की स्थिति में शहर के लोगों की प्यास बुझाने और अपने भराव क्षेत्र में भरपूर पानी समेटने वाले इस तालाब का अस्तित्व संकट में आ गया है। पिछले दो महीने से लगातार किए जा रहे पुराव के कारण आधे से ज्यादा तालाब खत्म हो गया है। बीच तालाब से सड़क ही निकाल दी गई है। पहले यह काम रात के अंधेरे में होता रहा, लेकिन अब दिनदहाड़े तालाब में जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली दौड़ रहे हैं। सोमवार को ही सुबह के समय यहां ट्रालियों से शहर का मलवा डंप किया जाता रहा और जेसीबी मशीन उसे समतल करने में लगी रही। दूसरी ओर पूरे शहर में जलसंकट बना हुआ है। लोग टैंकरों से आ रहे पानी के भरोसे अपनी प्यास बुझा पा रहे हैं। कई संगठन सिंघाड़ी नदी में श्रमदान करके उसके जीर्णोद्धार में लगे हैं। वहीं प्रताप सागर तालाब को भी युवाओं की टीम बचाने में जुटी है। वहीं दूसरी ओर संकट मोचन तालाब को खत्म करने में कुछ भू-माफिया प्रशासन की मौन स्वीकृति मिलने के कारण दिनरात खत्म कर रहे है। सोमवार को एक साथ कई लोगों ने आकर इसका विरोध शुरू कर दिया है।
शहर का संकट मोचन तालाब साढ़े 12 एकड़ क्षेत्र में फैला था। खसरा नं. 2384 संकट मोचन तालाब का रकवा 5.163 हेक्टेयर सरकारी रिकार्ड में दर्ज रहा है। लेकिन अब यह तालाब आधे से भी ज्यादा खत्म हो गया है। बीच तालाब में मकानों का निर्माण किया जा रहा है। एक भू-माफिया पिछले तीन माह से बीच तालाब में मैरिज गार्डन बनाने के लिए तालाब की पुराई करने में जुटा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली से यहां रात-रातभर मलवा पुरवाया जा रहा है। सुबह भी यह काम जारी रहता था। सोमवार को ही यहां पर ट्रॉली से पुराव चलता रहा। जेसीबी मशीन उसे समतल करने में लगी रही। सोमवार को जब प्रशासन के पास लोग विरोध करने पहुंचे तो राजस्व अमले को मौके पर भेजा गया। लेकिन टीम इतनी देरी में पहुंची कि तब तक भू-माफिया और उसके ट्रैक्टर-ट्रॉली व जेसीबी यहां से गायब हो गए। उधर राजस्व रिकॉर्ड में भी हेराफेरी करके तालाब के वास्तविक रकवा को गायब कर दिया गया है।
तालाबों पर ही टिका था शहर का अस्तित्व :
शहर के प्रताप सागर तालाब, ग्वाल मंगरा तालाब, संकट मोचन तालाब, सांतरी तलैया तथा किशोर सागर तालाब का जो रकवा था वह सिमट गया है। ये सभी तालाब आज के नहीं बल्कि रियासतकालीन हैं। राजाओं ने धरती के जलस्तर को बरकरार रखने व पानी का संग्रह करने के उद्देश्य से इन तालाबों की खुदाई कराई थी। रियासतकाल से हीे से बारिश के पानी को इकट्ठा करने और धरती के जलस्तर को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास होते रहे हैं। यही वजह है कि रियासतकाल में शहर के अंदर सभी दिशाओं में तालाब और तलैयों का निर्माण कराया गया था। ताकि शहर के लोगों को कभी जलसंकट का सामना नहीं करना पड़े, लेकिन वर्तमान में शहर में रियासतकालीन तालाबों की सुंदरता बढ़ाने के बजाय यहां के प्रशासन ने उसे अतिक्रमणकारियों के हाथों सौंप दिया है। यहां तक कि वर्तमान में तालाबों पर हो रहे कब्जा को रोकने के भी प्रयास नहीं हो रहे हैं।
अतिक्रमण के मामले तहसील कोर्ट में ही लंबित हैं
किशोर सागर तालाब के क्षेत्र में बने करीब डेढ़ सैकड़ा से अधिक मकानों को तालाबों के क्षेत्र में बनाए जाने का मामला छतरपुर तहसील कोर्ट में चल रहा है। प्रताप सागर तालाब में सबसे ज्यादा 109 मकान अतिक्रमण क्षेत्र में आते हैं वहीं ग्वाल मगरा तालाब में 28, सांतरी तलैया में 9 तथा किशोर सागर तालाब में 7 मकानों का मामला तहसील में लंबित है। जबकि अतिक्रमण का आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। क्योंकि प्रशासनिक कार्यशैली राजनैतिक दबाव के कारण निष्पक्ष नहीं हो पा रही है। सभी तालाबों में दो सैकड़ा से अधिक लोगों का अतिक्रमण होगा। लेकिन जब तक जनहित में अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तब तक अतिक्रमणकारियों की वास्तविक संख्या सामने नहीं आएगी। सबसे ज्यादा अतिक्रमण किशोर तालाब में था, लेकिन अब कब्जे की प्रतिस्पर्धा में संकट मोचन तालाब आगे निकल रहा है।
यह है शहर के पांच तालाबों का लेखा-जोखा :
शहर में पांच प्रमुख तालाब प्रताप सागर, किशोर सागर, संकट मोचन, ग्वाल मगरा और सांतरी तलैया है। यह सभी अतिक्रमण की चपेट में हैं। इन पांच तालाबों के रकवे पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा रकवा प्रताप सागर तालाब का है। यह तालाब 35 एकड़ में फैला है। इसके बाद दूसरे नंबर पर संकट मोचन तालाब आता है जिसका रकवा साढ़े 12 एकड़ है, खसरा नंबर 2814 प्रताप सागर तालाब का दस्तावेजी रकवा 14.204 हेक्टेयर है। इसी तरह खसरा नं.2643 ग्वाल मंगरा तालाब रकवा 3.642 हेक्टेयर, खसरा नं. 2384 संकट मोचन तालाब रकवा 5.163 हेक्टेयर, किशोर सागर तालाब खसरा नं. 3087/1 रकवा 3.163, 3087/2 रकवा 0.093, 3087/3 रकवा 0.016 तथा 3087/4 रकवा 0.049 हेक्टेयर व सांतरी तलैया खसरा नं. 616/2 रकवा 3.602 हेक्टेयर है। वर्तमान में तालाबों का रकवा सिमट गया है जो स्पष्ट दिखाई दे रहा है। शासकीय रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ करके उसे बदल दिया गया है।
यह है तालाबों का रकवा :
प्रताप सागर तालाब : १४.२०४ हेक्टेयर
संकट मोचन तालाब : ५.१६३ हेक्टेयर
ग्वाल मगरा तालाब : ३.६४२ हेक्टेयर
किशोर सागर तालाब : ३.१६३ हेक्टेयर
सांतरी तलैया बस स्टैंड : ३.६०२ हेक्टेयर

इनका कहना है :
– मौके पर तुरंत राजस्व अमला भेजा गया है, लेकिन वहां पर कोई भी नहीं मिला। तालाब का सीमांकन कराया जाएगा। जो भी अतिक्रमण पाया जाएगा उसके नियमानुसार गिराया जाएगा। तालाबों पर अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।
– डीके मौर्य, अपर कलेक्टर छतरपुर

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