भ्रष्ट पटवारी को पांच साल कैद व 50 हजार रुपए जुर्माने की सुनाई सजा
छतरपुरPublished: Nov 16, 2018 12:20:39 pm
जमीन नापने के एवज में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था पटवारी
saubhaagy va saral yojana
उन्नत पचौरी छतरपुर। खेती की जमीन नापने के एवज में पटवारी द्वारा किसान से रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडे जाने के मामले में गुरुवार को कोर्ट द्वारा अपना फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश आरके गुप्त की कोर्ट ने भ्रष्ट पटवारी को दोषी करार देते हुए पांच साल की कठोर कैद के साथ पचास हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है। एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि फरियादी बहादुर सिंह परमार निवासी रसुइया ठाकुराइन ने 26 जून 2014 को शिकायत दर्ज कराई कि उसके पिता सुम्मेर सिंह परमार के नाम गांव में खेती की जमीन है। जमीन का नाप कराने के लिए तहसीलदार को आवेदन दिया था। तहसीलदार ने आरआई और पटवारी को कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए थे। बहादुर जब पटवारी राकेश राजपूत से मिला तो पटवारी ने नाप करने के व में तीन हजार रुपए रिश्वत की मांग की। फरियादी पटवारी को रिश्वत नहीं देना चाहता है और उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। लोकायुक्त एसपी ने इस शिकायती आवेदन पर निरीक्षक केके अग्रवाल को कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया। 26 जून 2014 को ही फरियादी ने पटवारी से संपर्क कर रिश्वत संबंधी बातों को वॉयस रिकार्डर में रिकॉर्ड किया। 27 जून को लोकायुक्त पुलिस ने 3 हजार रुपए की राशि में फिनाफ्थलीन पाउडर लगाकर फरियादी को दिए और पुलिस दल फरियादी के साथ सागर से छतरपुर आया। ट्रेप दल पटवारी राकेश के निजी कार्यालय श्रीराम नगर कॉलौंनी से कुछ दूर जाकर खड़े हो गए। फरियादी बहादुर सिंह अकेला पटवारी के घर गया और रिश्वत की राशि पटवारी को दी। लोकायुक्त पुलिस अचानक पटवारी के घर के अंदर आ गई और पटवारी को रंगे हाथों रिश्वते लेते दबोच लिया। पुलिस ने आरोपी पटवारी राकेश राजपूत पटवारी हल्का नंबर 42 के खिलाफ पीसी एक्ट का मामला दर्ज कर चालान अदालत में पेश किया।
विशेष न्यायाधीश आरके गुप्त की कोर्ट ने सुनाई सजा
अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक आशीष त्रिपाठी ने मामले के सभी सबूतों और गवाहों को कोर्ट के सामने पेश किए गए और पटवारी को कठोर दंड देने के लिए कोर्ट से अपील की गई। विशेष न्यायाधीश आरके गुप्त की कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है और देश के विकास में मुख्य बाधा भी है। इस लिए ऐसे आरोपी को सजा देने के दौरान नम्र रुख अपनाया जाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। न्यायाधीश आरके गुप्त की कोर्ट ने आरोपी पटवारी राकेश राजपूत को दोषी ठहराते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में 5 साल की कठोर कैद 40 हजार रुपए जुर्माना और धारा 7 में 4 साल की कठोर कैद के साथ 10 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।