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छतरपुर

प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम के तहत युवाओं को मिलने वाली सब्सिडी पर पुराने कारोबारी डाल रहे डाका

शहर में पूर्व से चल रहे उद्योगों को नया बताकर सरकारी सब्सिडी हथियाने और स्वरोजगार की तलाश कर रहे युवाओं के हक पर डाका डाल जा रहा है। शहर के दो बड़े कारोबारी परिवारों के ऐसे ही खेल की शिकायत हुई है।

छतरपुरMay 06, 2024 / 11:31 am

Dharmendra Singh

subsidy

जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र छतरपुर

छतरपुर. युवाओं को निर्माण व स्वरोजगार के क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने में सहायता देने के मकसद से प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) शुरू किया गया है। जो केवल नए उद्योग स्थापित करने के वाले युवाओं को अनुदान के जरिए सहायता देने के लिए हैं। लेकिन शहर में पूर्व से चल रहे उद्योगों को नया बताकर सरकारी सब्सिडी हथियाने और स्वरोजगार की तलाश कर रहे युवाओं के हक पर डाका डाल जा रहा है। शहर के दो बड़े कारोबारी परिवारों के ऐसे ही खेल की शिकायत हुई है।

बैंक में पदस्थ रिश्तेदार से मिलकर हो रहा घपला


शिकायतकर्ता का आरोप है कि कारोबारी अशोक रूसिया की पत्नी गायत्री और नियूटी की प्रोपराइटर ज्योति चौरसिया के द्वारा फैक्ट्री में उत्पादन शुरू होने के बाद बैंक से लोन प्रकरण स्वीकृत करवाकर अब खादी ग्रामोद्योग से सब्सिडी हथियाने का प्रयास चल रहा है। आरोप है कि 15 दिसंबर 23 से शुरू हुए उद्योग को नया दर्शाकर गायत्री इंटरप्राइजेज और नियूटी ट्रेडर्स की डायरेक्टर ने सब्सिडी के लिए यह तानाबाना बुना है। आरोप है कि परिवार की एसबीआई में पदस्थ अधिकारी के द्वारा इन फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए बैंक के नियमों को शिथिल किया जा रहा है। प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के नियमों के अनुसार नए उद्योगों को सब्सिडी का प्रावधान है। इस मामले में दोनों उद्योग पहले से संचालित हैं, इसके बाद भी बैंक से प्रकरण फाइनल किया जा रहा है और खादी ग्राम उद्योग में सब्सिडी के लिए उद्योग विभाग एवं एसबीआई से भ्रामक रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। जबकि बैंक से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत ऋण प्रकरण स्वीकृति होने से पहले से ही उद्योग चल रहा है। जिसका सबूत बिजली बिल है। इसके साथ ही 30 ट्रक माल की सप्लाई नोएडा की गई। जिसके जीएसटी रिटर्न और ई-बे बिल घोटाले के सबूत हैं।

प्रधानमंत्री सृजन कार्यक्रम केवल नई परियोजनाओं के लिए


यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा कार्यान्वित की जाती है। राज्य स्तर पर, यह योजना राज्य केवीआईसी निदेशालयों, राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्डों (केवीआईबी), जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) और बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है। विनिर्माण क्षेत्र में स्वीकार्य परियोजना/इकाई की अधिकतम लागत 25 लाख रुपए है और व्यवसाय/सेवा क्षेत्र में यह 10 लाख है। पीएमईजीपी के तहत मंजूरी के लिए केवल नई परियोजनाओं पर विचार किया जाता है।

शिकायत में अनुदान की पात्रता पर उठाए सवाल


पीएमईजीपी ( प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के तहत पहले से चल रहे उद्योगों को नया दर्शाकर सब्सिडी के लिए डायरेक्टरों के द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने पर शिकायतकर्ता ने महाप्रबंधक से शिकायत की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि प्रकरण स्वीकृत होने से पहले उद्योग को पीएमईजीपी स्कीम के तहत सब्सिडी की पात्रता नहीं है। इस मामले के तूल पकडऩे के बाद उद्योग विभाग ने सब्सिडी के निर्णय के लिए खादी ग्रामोद्योग को पत्र लिखा है।

इनका कहना है


व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के तहत परिवार के सदस्यों के खिलाफ फर्जी शिकायत की गई है। उद्योग के लिए मशीनों का ट्रायल किया गया है, अभी फैक्ट्री चालू नहीं है। एसबीआई और उद्योग ने स्पॉट विजिट की है, दोनों विभागों की जांच से वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अशोक रुसिया, कारोबारी

इनका कहना है


नियूटी और गायत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ पहले से संचालित उद्योग होने के कारण सब्सिडी के पात्र नहीं होने की शिकायत मिली है। खादी ग्राम उद्योग से सब्सिडी देने या फिर न देने के संबंध में अभिमत मांगा है। आयोग का अभिमत मिलने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
आशुतोष गुप्ता, महाप्रबंधक, जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र

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