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छतरपुर

अटक सकती है केन-बेतवा लिंक परियोजना, डब्ल्यूआईआई कार्यशाला के एजेंडा से हटाया विषय

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के विरोध के बाद बैकफुट पर आया डब्ल्यूआईआई, सुप्रीम कोर्ट की इंपॉवर्ड कमेटी पहले ही दे चुकी है निगेटिव रिपोर्ट

छतरपुरJan 20, 2020 / 01:37 am

नितिन सदाफल

Ken-Betwa Link Project may be stuck, subject removed from agenda of WII workshop

Ken-Betwa Link Project may be stuck, subject removed from agenda of WII workshop

छतरपुर. केन-बेतवा लिंक परियोजना अब अधर में लटकती नजर आ रही है। अब वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई ) केन बेतवा लिंक परियोजना को लेकर पन्ना लैंड स्केप पर बाघ प्रबंधन और मॉनीटरिंग की 18 व 19 जनवरी को मंडला में हुई कार्यशाला के एजेंडा से केन बेतवा लिंक परियोजना को हटा लिया गया है।
केन बेतवा लिंक परियोजना को लेकर लैंड स्केप डवलपमेंट प्लान तैयार करने के लिए डब्ल्यूआईआई ने स्टॉक होल्डर्स और प्रोफेसनल्स की कार्यशाला में केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर डवलपमेंट प्लान बनाना था। जिसको लेकर डब्ल्यूआईआई द्वारा पन्ना टाइगर रिजर्व से लगे जिलों के डीएफओ, उत्तर प्रदेश और मप्र के अधिकारी व एक्सपर्ट सहित करीब आधा सैकड़ा लोगों को बुलाया गया। केन-बेतवा लिंक परियोजना का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बाद भी आयोजन में इसे जोड़े जाने को लेकर वाइल्ड लाइफ से जुड़े लोगों द्वारा विरोध किया गया। मामला गरमाने के बाद डब्ल्यूआईआई बैकफुट पर आया और मुद्दे को एजेंडा से हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट की इंपावर्ड कमेटी पहले ही निगेटिव रिपोर्ट दे चुकी है।

काट निकालने के लिए किया आयोजन
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने आशंका जताई कि कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट में इंपावर्ड कमेटी द्वारा दी गई केन बेतवा लिंक परियोजना के निगेटिव रिपोर्ट का काट निकालना है। आशंका है कि नेशनल वाटर डवलपमेंट अथॉरिटी (एनडब्ल्यूडीए) केन बेतवा लिंक परियोजना के पक्ष में एक एक्सपर्ट की रिपोर्ट तैयार करा रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट में इंपॉवर्ड कमेटी की रिपोर्ट के काट का काम कर सके। जिससे एनडब्ल्यूडीए सुप्रीम कोर्ट में यह बता सके कि वाइल्ड लाइफ से जुड़ी संस्था डब्ल्यूआईआई द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना के पक्ष में मत दिया गया है। साथ ही परियोजना के मूर्त रूप लेने से जो निगेटिव इफेक्ट पडऩे वाले हैं उन्हें भी हल करने के उपाए सुझाए जाएंगे।

बाघों को बचाने के लिए हो रहा विरोध
वर्ष 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। इसके बाद वर्ष 2009 में यहां बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से बसाने के लिए बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई, जिसे उल्लेखनीय सफलता मिली । बीते 10 वर्षों में यहां पर करीब 90 बाघ शावकों का जन्म हुआ है। फिलहाल पन्ना टाइगर रिजर्व में 55 से 60 बाघ हैं। केन बेतवा लिंक परियोजना से बाघों पर दोबारा खतरे के बादल मंडराने को लेकर इसका विरोध जताया जा रहा है। इस परियोजना को लेकर बांदा के समाजसेवी आशीष सागर ने भी विरोध किया था। वहीं मध्यप्रदेश के मनोज मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने उच्चस्तरीय कमेटी (सीईसी) गठित कर मौके पर जाकर जांच-पड़ताल के आदेश दिए थे। समिति ने इसी वर्ष परियोजना स्थल का निरीक्षण किया था। खासतौर पर इस परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना रिजर्व टाइगर की जांच की थी।

ये है केन-बेतवा लिंक परियोजना
बुन्देलखंड क्षेत्र की जीवनदायिनी केन नदी की कुल लंबाई 427 किमी है। ग्राम ढोढन में जहां बांध बन रहा है, वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किमी है। बांध की कुल लम्बाई 2031 मीटर है। जिसमें कांक्रीट डेम का हिस्सा 798 मीटर व मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मीटर है। बांध की ऊंचाई 77 मीटर है। ढोढनबांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली लिंक कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी। बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है, जिसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है। 105 वर्ग किलोमीटर का कोर क्षेत्र जो छतरपुर जिले में है। डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जाएगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र डूब व विभाजन के कारण नष्ट हो जाएगा।

इम्पॉवर्ड कमेटी ने उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट की इंपावर्ड कमेटी ने पिछले साल 30 अगस्त को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। 93 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में समिति ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए गए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पन्ना रिजर्व टाइगर देश का महत्वपूर्ण बाघ रिहायशी पार्क है। इस परियोजना में वन्य जीवों के आवास का 10500 हेक्टेयर क्षेत्र का नुकसान होगा। यह डूब क्षेत्र में आ जाएगा। यहां ऐसी परियोजना के निर्माण का औचित्य नहीं है। इससे गिद्धों के निवास स्थान पर भी असर पड़ेगा।

यह बैठक होना ही नहीं चाहिए। जब केन-बतवा लिंक परियोजना का मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो इस मामले में चर्चा करना ही गलत है। संभवत: बैठक का हिडन एजेंडा प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए तथ्य जुटाना होगा। पूरा आयोजन नेशनल वाटर डवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा प्रायोजित समझ में आता है।
डॉ. रघु चूड़ावत, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट

लैंड स्केप डवलपमेंट को लेकर बैठक आयोजित हो रही है। इससें बाघों का कॉरिडोर भी शामिल है। लैंड स्केप डवलपमेंट समीपी जिलों का क्षेत्र भी शामिल होने से यहां के अधिकारियों को भी बुलाया गया है।
रामहरि ईश्वरदास जारांडे, डिप्टी डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व

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