रश्मि अपने पिता के घर मायके नौगांव में आकर रहने लगी। उसकी नौ माह की एक मासूम बच्ची है, लेकिन चर्चाओं के अनुसार मायके पक्ष के लोग भी उसे परेशान करने लगे। उसका जतारा और टीकमगढ के न्यायालय में ससुराल पक्ष से मामला भी चल रहा था। न्यायालय के आदेश पर सुसराल पक्ष ने एक माह तक उसे ठीक ठाक रखा, लेकिन एक माह बाद उसे भगा दिया गया। तब से ही वह मायके में रह रही थी और वह अब कुछ दिनों से मायके पक्ष के लिए भी वह बोझ बन गई थी। जिसे वह सहन नहीं कर सकी। उसने अपनी नौ माह की मासूम बच्ची को छोड़कर दोपहर 1 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
रश्मि ने दीवार में लगे कीला से मफलर बांधा और गले में फंदा लगा लिया। घटना के परिजन घर से बाहर थे। जैसे ही परिजनों ने रश्मि को फंासी पर लटका हुआ देखा तो तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर नायब तहसीलदार सपना तिवारी डायल 100 तथा थाना पुलिस मौके पर पहुुंची और फांसी के फंदे से शव उतारकर पंचनामा तैयार किया तथा पोस्टमार्टम के लिये भेजा गया। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच में लिया है।