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Election 2018 : गुटबाजी से निपटना भाजपा-कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

locationछतरपुरPublished: Sep 05, 2018 12:26:59 pm

Submitted by:

Samved Jain

राजनगर विधानसभा क्षेत्र

Chhatarpur

Chhatarpur

रफी अहमद सिद्दीकी छतरपुर। राजनगर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के लिए इस बार के चुनाव सबसे बड़ी चुनौती होगी। भाजपा से जहां अनेक दावेदार टिकट मांग रहे हैं। वहीं कांग्रेस में दो छत्रपों के बीच ही टिकट को लेकर खींचतान हो रही है। किसी एक को टिकट मिलने की स्थिति में दोनेां ही दलों के बीच गुटबाजी और अंतर्कलह पनपेगा। पिछले चुनाव में भी गुटबाजी के कारण भाजपा को नुकसान हुआ था।

परिसीमन के बाद से ही यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है। हर बार भाजपा को अंतर्कलह के कारण पराजित होना पड़ा है। इस बार भाजपा की तरफ से खजुराहो विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. घासीराम पटेल, पूर्व मंत्री और पिछले बार के पराजित प्रत्याशी डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, बीडीए उपाध्यक्ष विजय बहादुर सिंह बुंदेला, भाजपा जिला महामंत्री अरविंद पटैरिया भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। वहीं डीएसपी के पद से बीआरएस लेकर राजनीति में आए पन्नालाल अवस्थी भी इसी सीट से भाजपा के दावेदार है। इसके अलावा भी कई और भी चेहरे भाजपा में दावेदारी कर रहे हैं। दावेदारों की अधिक संख्या के कारण ही भाजपा की चिंता गुटबाजी पनपने को लेकर बढ़ गई है। अभी से भाजपा में गुटबाजी खुलकर दिखने लगी है।
कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं है। अभी तक इस सीट पर केवल विक्रम सिंह नातीराजा का आधिपत्य था। वे पूर्व विधायक मुन्नाराजा का टिकट हथियाकर कांग्रेस के दो बार विधायक बने। इस बार उनकी मुश्किलें इसलिए बढ़ गई हैं क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे नितिन चतुर्वेदी बंटी को राजनगर सीट से चुनाव लड़ाने मैदान में उतार चुके हैं। अगर कांग्रेस नितिन चतुर्वेदी को टिकट देती है तो नातीराजा समर्थकों में गुटबाजी होगी। अगर नातीराजा को टिकट मिलता है तो उन्हें सत्यव्रत चतुर्वेदी की नाराजगी का सामाना करना पड़ेगा। इसके अलावा अभी बसपा और सपा से इस सीट पर कोई और नाम सामने नहीं आए हैं। यह दोनों ही दल इस प्रतीक्षा में है कि जिस भी कद्दावर नेता को टिकट कटेगा, उसे वह टिकट देकर अपना प्रत्याशी बना लेंगे। हर चुनाव में बसपा-सपा की यही स्थिति रहती है। आम आदमी पार्टी से अजय मिश्रा भी दावेदारी कर रहे हैं।

पिछले चुनाव में यह था हार-जीत का अंतर :
विक्रम सिंह नातीराजा कांग्रेस को प्राप्त मत : 48643
डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया को प्राप्त मत : 46036
हार-जीत का अंदर : 14468


परफार्मेंस :
विक्रम सिंह नातीराजा, कांग्रेस :
1. क्षेत्र के लोगों के बीच सतत संपर्क।
2. लोगों के बीच सहजता से उपलब्ध।
3. पांच साल संगठन और क्षेत्र में जनता से दूरी बनाए रखी।

डॉ रामकृष्ण कुसमरिया :
1. कुर्मी पटेल समाज के बीच संपर्क रहा, लेकिन चुनाव हारने के बाद क्षेत्र में नहीं आए।
2. संगठन स्तर पर मजबूत पकड़ बनाकर रखी, लेकिन क्षेत्र में संपर्क खत्म रहा।
3. खजुराहो क्षेत्र के विकास के लिए कोई पहल नहीं की।
चुनौतियां :
भाजपा : कांग्रेस से सीट हथियाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी की गुटबाजी से निपटना।
कांग्रेस : टिकट वितरण को लेकर बगावत रोकना। सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे को टिकट मिलने पर या नहीं मिलने की स्थिति में अंतर्कलह बढ़ेगा।

राजनगर विधानसभा क्षेत्र के दावेदार :
भाजपा : डॉ. घासीराम पटेल : वर्तमान में खजुराहो विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, पांच साल से सक्रिय, कुर्मी बाहुल्य सीट से दावेदारी।
डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया : बीडीए के अध्यक्ष, कुर्मी-पटेल समाज के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री। विजयबहादुर सिंह बुंदेला : बीडीए उपाध्यक्ष, पूर्व विधायक और संगठन से निकटता।
अरविंद पटैरिया : भाजपा जिला महामंत्री, संगठन से करीबी, आरएसएस से भी निकटता, युवा मोर्चा के दो बार जिला अध्यक्ष।
पन्नालाल अवस्थी : संगठन और मंत्रियों से करीबी, बीआरएस लेकर भाजपा की राजनीति में सक्रिय।
रचना विवेक पटैरिया : नगर पंचायत खजुराहो की अध्यक्ष, संघ परिवार से करीबी।
अनुरुद्ध सिंह : संगठन में पकड़।
गोविंद सिंह टुरया :संगठन में पकड़, किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष।
उपमा त्रिपाठी : महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष, संगठन के करीबी।
मयंका गौतम : स्वच्छ छवि, राजनीतिक परिवार से ताल्लुकात।
कांग्रेस : विक्रम सिंह नातीराजा : तीन बार के विधायक, दो बार कांग्रेस से विधायक, संगठन पर ऊपर स्तर से पकड़, राजपरिवार छतरपुर के बारिश।
नितिन चतुर्वेदी : पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे, पूर्व में भी चुनाव लड़ चुके।
बसपा / सपा : अभी कोई भी दावेदार सामने नहीं आए। टिकट कटने वाले नेताओं पर दोनों दलों की नजर रहेगी।
आमआदमी पार्टी : अजय मिश्रा – युवाओं के बीच पकड़, भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन किए।

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