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जंगलों में गहराया जानवरों के लिए पेयजल संकट

locationछतरपुरPublished: May 17, 2019 07:53:58 pm

Submitted by:

Unnat Pachauri

रहवासी इलाकों में आ रहे जंगली जानवर- पानी के अभाव में गांवों की ओर कूच कर रहे वन्यप्राणी

जंगलों में गहराया जानवरों के लिए पेयजल संकट

जंगलों में गहराया जानवरों के लिए पेयजल संकट

छतरपुर। 43 डिग्री सेल्सियस तापमान और तपती धूप के बीच इन बेजुबानों के लिए वन विभाग की ओर से जंगल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जंगल में पोखर सूख चुके हैं। ऐसे में जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगल से बाहर आ रहे हैं। वन विभाग की ओर से अभी तक वन्य जीव जंतुओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिसकी वजह से जानवर गर्मी के मौसम में व्याकुल भटक रहे हैं। जंगल में पानी न मिलने पर जानवर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। जंगल से जानवरों के बाहर निकलने पर शिकारियों की निगाहें भी उनकी ओर टिक गईं हैं। भीषण गर्मी में जंगलों के जलस्रोत सूख जाने के कारण प्यासे जानवर शहर और गांवों की ओर आ रहे हैं। चीतल, तेंदुए और अन्य जानवर आबादी में दस्तक दे रहे हैं।
जिले के अंतर्गत आने वाली ६ रेंज में हर साल पानी के लिए लाखों की रकम खर्च की जा रही है, लेकिन हालात यह हैं कि मौके पर काम ही नजर नहीं आ रहा। बारिश कम होने के कारण वन विभाग को वन्यप्राणियों के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए वन विभाग गर्मी शुरू होने का इंतजार करता रहा और अब जबकि गर्मी का दो माह गुजर गया है तब कार्ययोजना तैयार करने का हवाला दिया जा रहा है। जिले के जंगलों में मार्च के महीने में ही नदी, नाले लगभग सूख चुके थे। जिले के चंद्रनगर, बडामलहरा, बिजावर इलाकों में सबसे अधिक वन्यजीवों की मौजूदगी पाई जाती है जिनके लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था अब तक विभाग द्वारा नहीं की जा सकी। वहीं पन्ना टाईगर रिजर्व का वन क्षेत्र जिले में होने से इस क्षेत्र के जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों के सामने पीने का पानी का संकट मार्च का महीना गुजरने के बाद गहरा गया है। जंगल के भीतर पानी की कमी होने के कारण वन्यजीव इस इलाके के रहवासी क्षेत्रों तक पहुंचने लगेंगे।
नहीं कराई गई जलस्रोतों की सफाई
जिले के जंगलों में जल स्त्रोतों में पानी नहीं बचा है लेकिन आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ जाएगी। इसे देखते हुए जब तक शासन से राशि नहीं मिलती है तब तक जंगल के भीतर मौजूद पानी के स्त्रोतों की साफ-सफाई का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। जिससे इनमें पानी की उपलब्धता लंबे समय नहीं हो पा रही है। वहीं पानी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
पानी के लिए खर्च लाखों की राशि
वन विभाग द्वारा वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए जंगलों में विभिन्न उपाय करने के लिए लाखों रुपए की कार्ययोजना तैयार की गई। इसके लिए सभी रेंजों से प्रस्ताव मांगे थे। इनके आधार पर पूरी योजना तैयार कर शासन को भेजी गई और इसके मंजूर होने के बाद रेंज को राशि स्वीकृत किया गया लेकिन अभी तक धरातल में कोई कार्य नीं किए गए।
जंगली जानवरों का शिकार हो रहे ग्रामीण
जिले के जंगलों में पानी की कमी होने के चलते जंगली जानवर गांव की ओर कूच कर रहे हैं जिससे वहां पर ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहे हैं। पिछले दो माह में करीब आधा दर्जन से अधिक मामले जिला अस्पताल में आए हैं जो अपने खेतों में काम कर रहे थे इसी दौरान जंगल से आए जंगली जानवरों ने हमला कर दिया।
तेंदुए की दहशत में हैं लोग
बीते एक सप्ताह पहले बड़ामलहरा वनपरिक्षेत्र के रामटौरिया ग्राम पंचायत के मंजरा गुंजोरा गांव में पानी की तलाश में गांव के एक घर में तेंदुआ घुस आया। तब गांव के लोगों ने एक जुट होकर उसे खदेड दिया। जिससे वह गांव के बाहर एक पेड में चढ़कर बैठ गया। पेड पर बैठे तेंदुए को वन और पुलिस टीमों के साथ भगाने की कोशिश करते रहे और लोग अपने घर का काम छोड़कर तेंदुआ की रखवाली में लगे रहे थे। लोगों का कहना था कि ग्रामीण अभी भी रात में बाहर निकलने से डर रहे हैं।
सूखी पडी हौदियां
जंगलों में जानवरों और पक्षियों के पानी पीने के लिए गनाई गई पानी की हौदियां खाली पड़ी हैं और इनको भरने वाली पाइप लाइनें टूटी चुकी हैं। यहां के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि यह हौदियों अभी तक नहीं भरी गई हैं। जंगलों में एकाध पानी की श्रोत हैं पहीं से जानवरों को नपानी मिल रहा है।
इन जंगलों में रहते हैं वन्यजीव
– अलिपुरा
– चंद्रनगर
– बिजावर
– बाजना
– बक्सवाहा
– बडामलहरा
– किशनगढ़
– खजुराहो

ये रहते हैं वन्यजीव
– बाघ
– नीलगाय
– हिरन
– बारह सिंहा
– भालू
– तैंदुआ
– जंगली शुअर
– जंगली कुत्ते
– शियार
– बंदर

इनका कहना है
हमारे यहां से सभी रेंजों में जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। जहां पर व्यवस्थाऐं की गई है। किसी कारणवस जंगली जानवर रहवासी इलाकों में आते हैं तो टीमों द्वारा पकड़कर छोड दिया जाता है। पानी के लिए प्रबंध किए गए हैं।
अनुपम सहाय डीएफओ छतरपुर

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