script

जिला अस्पताल : समाजसेवी संगठनों के भरोसे ब्लड बैंक, नहीं मिलता निगेटिव ग्रुप का ब्लड

locationछतरपुरPublished: Jan 21, 2019 02:05:35 am

दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं लोग

District Hospital: Blood Bank

District Hospital: Blood Bank

छतरपुर. जिले में सिर्फ जिला अस्पताल में ही ब्लड बैंक है। ब्लड बैंक की सुविधा अन्य कहीं न होने और रक्तदाताओं की संख्या कम होने के कारण ब्लड बैंक में ब्लड की कमी अक्सर बनी रहती है। खासतौर से निगेटिव गु्रप का ब्लड आसानी से नसीब नहीं होता। बीते रोज जिला अस्पताल में आए एक मरीज को बी निगेटिव गु्रप की जरूरत थी, लेकिन ब्लड बैंक में इस गु्रप का ब्लड नहीं मिल सका। इसी तरह से अक्सर ब्लड न मिलने से जहां मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है, कई बार स्थितियां नाजुक हो जाती हैं। मरीज की जान पर भी बन आती है। ऐसे मरीज जो आर्थिक रुप से सक्षम हैं, उनके परिजन बाहर से भी ब्लड मंगवाकर जान बचाने में सफल हो जाते हैं, लेकिन आर्थिक रुप से कमजोर मरीज ऐसी नाजुक स्थिति में फंसकर अपनी जान तक से हाथ दो बैठते हैं।

सुधार की आवश्यकता
ब्लड के लिए रोजाना कोई न कोई परेशान होता है। ब्लड बैंक प्रबंधन लोगों को केवल इतना जवाब देकर संतुष्ट कर देते हैं कि ब्लड उपलब्ध नहीं है। लोग ब्लड देकर एक्सचेंज भी करना चाहते हैं, लेकिन उपलब्धता नहीं होने से यह सुविधा भी मरीजों को नहीं मिल पा रही है। पहले ब्लड बैंक में करीब सौ यूनिट ब्लड हर समय उपलब्ध रहता था। इसका फायदा यह होता था कि लोग ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने की स्थिति में अपना ब्लड देकर एक्सचेंज कर लेते थे। लेकिन अब यह सुविधा भी बंद हो गई है।

रक्तदान से हो सकता है समाधान
ब्लड बैंक के पीके खरे ने बताया कि 18 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक उम्र के लोग रक्तदान कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हर तीन माह में स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। रक्त की कमी से जूझने वाली महिलाओं को छोड़कर बेहतर हीमोग्लोबिन होने की स्थिति में महिलाएं भी रक्तदान कर सकती हैं। खरे ने बताया कि लोगों में यह भ्रंाति होती है कि रक्त देने से कमजोरी आती है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है, रक्त देने से कमी नहीं आती। तीन माह में कोई भी व्यक्ति दोबारा रक्त दे सकता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान कर दूसरों की जान बचाएं। क्योंकि जीवनदान सबसे बड़ा दान है।

क्षमता के बराबर नहीं स्टॉक
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में 300 यूनिट ब्लड रखने की बेहतर व्यवस्था है। हालांकि उपलब्ध होने पर इससे ज्यादा भी ब्लड रखा जा सकता है। लेकिन वर्तमान स्थिति ये हैं, कि करीब 50 यूनिट ब्लड ही बैंक में उपलब्ध है। दो माह पहले तो ये स्थिति की ब्लड बैंक में मात्र 16 यूनिट ब्लड ही बचा था। जबकि जिला अस्पताल में 35 से 40 यूनिट ब्लड की आवश्कता रोजाना रहती है। ब्लड बैंक का स्टॉक उतना ही है, जितने से केवल एक दिन का काम चल सके। ब्लड बैंक में ब्लड न उपलब्ध हो पाने के कारण मरीज व उनके परिजन मुसीबत के समय दलालों के चक्कर में पड़ जाते हैं, ये दलाल मंहगे दामों पर ब्लड उपलब्ध कराते हैं। लेकिन मरीज व उनके परिजन मजबूरन इन दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं। जब जान पर बन आए तो मजबूरी में उंचे दामों पर ब्लड खरीदना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा समस्या निगेटिव गु्रप के ब्लड की होती है। निगेटिव गु्रप के डोनर कम हैं, इसलिए इस गु्रप का रक्त ज्यादा नहीं मिल पाता। लोगों में रक्तदान के लिए जागरुकता आई है, लेकिन अभी भी रक्तदाओं की बड़ी संख्या में जरूरत है।
पीके खरे, कर्मचारी, ब्लड बैंक

ट्रेंडिंग वीडियो