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छतरपुर

नरवाई जलाने से बंजर न हो जाए जमीन, आग फैलने का भी खतरा

कृषि वैज्ञानिक ने किया आगाह, नरवाई को खेत की मिट्टी में मिला दे, बनेगी खाद

छतरपुरApr 13, 2024 / 11:03 am

Dharmendra Singh

नरवाई जलाते हुए किसान

नरवाई जलाते हुए किसान

छतरपुर. गेहूं की फसल की हारवेस्टिंग से कटाई के बाद बची हुई गेहूं की नरवाई जलाना मिट्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरता लगातार कम होती जा रही है। जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जमीन में नाइट्रोजन की औसत मात्रा 1.66 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए। परीक्षण में मिट्टी की विद्युत चालकता और पीएच वैल्यू सामान्य पाई गई है। हालांकि जिले में एनपीके की मात्रा सामान्य बताई जा रही है।
नरवाई जलाने से होते हैं कई नुकसान
नरवाई में आग लगाने से कई तरह के नुकसान होते हैं। इससे भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं व भूमि बंजर हो जाती है। भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि भूमि की उपरी परत में ही पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं, आग लगाने के कारण ये पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता नष्ट हो जाती है और फसलें जल्दी सूख जाती है। इसके अलावा खेत की सीमा पर लगे पेड़-पौधे फल वृक्ष आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं और पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ वातावरण में तापमान वृद्धि होती है जिससे भूमि गर्म हो जाती है।
नरवाई की खाद बनाएं
इसके अलावा भूमि में कार्बन नाईट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। भूमि में पाए जाने वाले केंचुए नष्ट हो जाते हैं इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। इसलिए किसान नरवाई न जलाएं बल्कि नरवाई नष्ट करने के लिए रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारिक कर मिट्टी में मिला दें। इससे जैविक खाद तैयार होती है। इससे किसान को अपनी फसल के लिए नैसर्गिंक खाद मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा।
हरियाणा में कैप्सूल मिलाकर बना रहे खाद
कृषि वैज्ञानिकों ने नरवाई नष्ट करने के लिए एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है,, जिसे खेत में डालने से न केवल नरवाई नष्ट होती है बल्कि खेत की उर्वरक क्षमता भी इजाफा होता है। कैप्सूल की कीमत 5 रुपए है। एक एकड़ में चार कैप्सूल डालना होगा जिससे नरवाई सडक़र खेत में ही खाद के रुप में बदल जाएगी।जिससे जहां खेत की उर्वरक क्षमता में इजाफा होगा और आग लगाने के बाद होने वाली अनहोनी से भी बचा जा सकता है।
ऐसे बनाएं मिश्रण
150 ग्राम गुड़ लें तथा उसे 5 लीटर पानी में मिलाएं। मिलाने के बाद सम्पूर्ण मिश्रण को अच्छी तरह उबालें और उसके बाद उसके ऊपर से सारी गंदगी उतार कर फेंक दें। अब उस मिश्रण को एक चौकोर बर्तन जैसे ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दें। जब मिश्रण हल्का गुनगुना हो जाएगा। तब आप उसमें 50 ग्राम बेसन मिला दें। बेसन को इस तरह मिलाएं की मिश्रण अच्छी तरह से हो जाए। अब उस मिश्रण में 4 कैप्सूल को तोड़ कर लकड़ी से अच्छी तरह से मिला दें। इसके बाद ट्रे या टब को एक सामान्य तापमान पर रख दें। फिर ट्रे। टब के ऊपर एक हल्का कपड़ा डाल दें। 1 टन कृषि अपशिष्ट के क्म्पोष्ट बनाने के लिए 5 लीटर, एक एकड़ धान क्षेत्र के लिए 10 लीटर, 1 एकड़ गेहंू , मूंग आदि के लिए 5 लीटर मिलाया जाता है।
इनका कहना है
खेत में आग नहीं लगाना चाहिए। आग लगाने के बजाय कटाई के बाद जो फसल का अवशेष बचता है। उसमें कल्टीवेटर की सहायता से या हेरो की सहायता से या प्लाऊ की सहायता से उसी खेत की मिट्टी में मिला दें। जिससे खेत में ही बिना खाद डाले खाद बनाकर तैयार हो जाएगी।
डॉ. कमलेश अहिरवार, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान कें द्र नौगांव
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