शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संगीता चौबे ने बताया कि बच्चों को भारी वजन के कारण पीठ दर्द और मांसपेशियों की समस्याओं व गर्दन दर्द से जूझना, झुककर चलना, मानशिक तनाव, कंधे में दर्द, कंधे का झुकना आदि दिक्कतें हो सकतीं हैं। उनका कहना है कि बच्चों की हड्डियां 18 साल की उम्र तक नर्म होती हैं और रीढ़ की हड्डी भारी वजन सहने लायक मजबूत नहीं होती। स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को जोड़ों में दर्द, कमर दर्द व बच्चे हड्डी रोग जैसी समस्याऐं हो रही हैं। एक कंधे पर बैग टांगे रहने से वन साइडेड पेन शुरू हो जाता है।
जिले में शासकीय और छोटे स्कूलों में बच्चों के स्कूली बैग का वजन आदेश के अनुरूप तो नहीं है लेकिन 1 से 5 तक करीब 5-6 किला और 6 से 8 तक 8-9 किलो बजन का बैग है। लेकिन जिले में जो बड़े स्कूल हैं उन स्कूलों में भारी भरकम बैग के साथ बच्चों के प्रतिदिन स्कूल आना पड़ रहा है। शहर के ज्योति हायर सेकेंड्री स्कूल में बच्चों को भारी भरकम बजन वाला बैग ला रहे हैं, स्कूल संचालक अनुपम विलियम ने बताया कि वह अपने स्कूल में एनसीआरटी सिलेवस की किताबें चला रहे हैं और कुछ अलग किताबें चला रहे हैं। हालांकि तब बच्चों के पास जाकर किताबें देखी गईं तो एमपी बोर्ड स्कूल होने के बाद भी कुछ किताबें सीबीएसई बोर्ड की मिली। वहीं बजरंग हाई स्कूल में देखा तो वहां पर आदेश के मुताबिक नहीं मिला। स्कूल संचालक कमलेश सक्सेना ने बताया कि उसके यहां पर बोझ कम करने के लिए टाइम टेबल के हिसाब से पढ़ाई कराते हैं। जिससे बच्चों को अधिक बोझ न लाना पड़े। लेकिन कई बच्चों द्वारा सभी कापी किताबें बैग में भरकर लाते हैं जिससे बैग में बोझ ज्यादा हो जाता है। हालाकि शहर नामी स्कूल महर्षि स्कूल, क्रिश्चन स्कूल, मरिया माता स्कूल, सन्मति विद्या मंदिर आदि सभी बडे स्कूलों में बच्चों को अभी भी भारी-भरकम बैग ले जाने को मजबूर हैं।
जिन बच्चों की क्लास फस्टफ्लोर पर है उन बच्चों की परेशानी और बढ़ जाती है। वह सीढिय़ां चढऩे की वजह से उनकी सांस फूल जाती है। कंधे से बैग उतरने के बाद ही वह चैन की सांस लेते हैं। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है, भारी भरकम बस्ते के बोझ से बच्चों को जो कष्ट दिया जा रहा है।
इस संंबंध में हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से दोबारा निर्देश जारी किए हैं। जिसमें स्कूली बैग के वजन के अलावा यह भी कहा गया है कि राज्य शासन द्वारा निर्धारित व एनसीईआरटी द्वारा नियत पाठ्य पुस्तकों से अधिक पुस्तकें विद्यार्थियों के बस्ते में नहीं होना चाहिए। शैक्षणिक संदर्भ सामग्री और वर्कबुक्स को कक्षा में ही रखने की व्यवस्था होना चाहिए। बच्चों के मनोरंजन और शारीरिक खेलकूद को स्कूल समय में पर्याप्त स्थान देना चाहिए।
सरकार की ओर से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल बैग का कम से कम वजन डेढ़ किलो होगा, जबकि ज्यादा से ज्यादा इसे पांच किलो तक तय किया गया है। पांच किलो 10वीं तक के बच्चों के लिए वजन तय किया गया।
– 1 और 2 क्लास में पढऩे वाले वाले बच्चों के स्कूल बैग का वजन 1.5 किलो
– 3 से क्लास 5 तक के छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलो
– 6 और 7 वीं क्लास में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग का वजन 4 किलो
– 8 वी और 9 वीं क्लास के लिए स्कूल बैग का का वजन 4-5 किलो होगा
– 10 वीं क्लास के लिए स्कूल बैग का वजन केवल 5 किलो तय किया गया है
क्लास 1 और 2 के बच्चों को होमवर्क नहीं देने के लिए भी कहा गया है। इसके साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि उनको केवल भाषा और गणित ही पढ़ाई जाएगी, इसके अलावा कोई और सब्जेक्ट नहीं पढ़ाया जाएगा। निर्देश में कहा गया है कि क्लास 3 से क्लास 5 तक के छात्रों को भाषा ईवीएस और मैथ एनसीआरटी के सिलेबस से पढ़ाया जाए। इसके साथ ये भी निर्देश दिए गए हैं कि बच्चे किसी भी तरह का भारी सामान स्कूल बैग में न लाएं।
– कमर, गर्दन और कंधों में दर्द
– हाथों में झुनझुनी आना, सुन्न हो जाना और कमजोरी आना।
– थकान और गलत पोस्चर विकसित होना।
– गर्दन और कंधों में तनाव के कारण सिरदर्द होना।
– स्पाइन का क्षतिग्रस्त हो जाना।
– स्कोलियोसिस यानी स्पाइन का एक ओर झुक जाना।
– फेफड़ों पर दबाव आने के कारण सांस लेने की क्षमता कम हो जाना।
– बच्चे के लिए ऐसे स्कूल बैग खरीदें, जिसके शोल्डर स्ट्रैप्स पैड वाले हों। इससे गर्दन और कंधों के क्षेत्र पर दबाव कम पड़ता है।
– बैग को लटकाने के बाद अपने बच्चे का पोस्चर चेक करें।
– अगर ऐसा लगे कि आपका बच्चा आगे की ओर झुक रहा है या उसकी कमर झुक रही है तो इसका मतलब है कि बैग ज्यादा भारी हो गया है या फिर उसे प्रॉपर तरीके से कैरी नहीं किया गा है।
– यह सुनिश्चित करें कि बच्चा टाइम टेबल के हिसाब से ही किताबें ले जाए।
– अनावश्यक किताबें और चीजें बच्चों के बैग से निकाल बाहर करें।
– बच्चों में बचपन से ही एक्सरसाइज और योग करने की आदत डालें ताकि वह शारीरिक रूप से फिट और एक्टिव रहें।
– पैरेंट्स सिर्फ अपने स्तर पर ही बच्चों के हैवी स्कूल बैग्स को लेकर अलर्ट न रहें, टीचर्स को भी इस संबंध में जागरूक होने को कहें।
– तभी बच्चों की हैवी स्कूल बैग से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकेगा।
बच्चों के बैग में कम से कम किताबें हों ताकि उनका बैग हल्का हो सके।
– स्कूल प्रबंधन क्लास में बच्चों के लिए लॉकर बनवा सकते हैं ताकि बच्चे अपनी पुस्तकें और दूसरी चीजें रख सकें, जिनकी जरूरत सिर्फ क्लास रूम में होती है।
– बच्चों के पास सिर्फ एक ही नोटबुक हो, जिसमें अलग-अलग सेक्शन बनाकर बच्चा अलग-अलग विषयों के काम कर सकता है।
– इससे उसके पास सभी विषयों के लिए केवल एक ही नोटबुक होगी और उसका बैग हल्का हो जाएगा।
– शिक्षक हर नए पीरियड की शुरुआत में दो मिनट के लिए बच्चों से वॉर्मअप, एक्सरासइज कराएं।
– ऐसा करने से बच्चे एक्टिव, एनर्जेटिक रहेंगे और लंबे समय तक एक ही पोस्चर में बैठे रहने से बच जाएंगे।
– हर क्लास के लिए फिजिकल एक्टिविटी अनिवार्य की जानी चाहिए।
इनका कहना है
एमपी बोर्ड के स्कूलों में बैग आदेश के अनुरूप हैं, और जहां पर भी अधिक बजन होगा उनको समझाइस दी जाएगी और फिर भी नहीं मानने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं सीबीएसई वाले स्कूलों के बच्चों बैगों में अधिक बजन हैं जिसपर हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।
एसके शर्मा, डीईओ, छतरपुर