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महिलाएं करें आध्यात्मिक विकास

locationचेन्नईPublished: Oct 17, 2018 11:40:49 am

Submitted by:

Ritesh Ranjan

आचार्य महाश्रमण की सेवा में चेन्नई तेरापंथ महिला मंडल ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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महिलाएं करें आध्यात्मिक विकास

चेन्नई. आचार्य महाश्रमण की सेवा में चेन्नई तेरापंथ महिला मंडल ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़ ने उन्हें चातुर्मास काल में महिला मंडल से मिले सहयोग के बारे में बताते हुए कहा कि चातुर्मास को सफल बनाने में महिला मंडल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मंडल की सदस्य पूर्ण जागरूकता के साथ अपने दायित्व का निर्वहन कर रही है। आचार्य ने कहा कि बहनें अपना आध्यात्मिक विकास करें, शनिवार की सामायिक ज्यादा से ज्यादा करें और अपने जीवन को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करें। अध्यक्ष कमला गेलडा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मंत्री शान्ति दुधोडिया ने बताया हर दिन लगभग 80 सदस्य भोजनशाला, प्रवचन पंडाल व चिकित्सा कार्य में योगदान दे रही हैं। राष्ट्रीय अधिवेशन में इस बार चेन्नई महिला मंडल को केन्द्र से निर्देशित कार्यक्रमों में अव्वल रहने पर मोमेंटो से सम्मानित किया गया। चातुर्मास में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की उषा बोहरा, परामर्शदाता कमला दुगड़, चंद्रा बोहरा, उपाध्यक्ष पुष्पा हिरण, शांता गेलडा, कोषाध्यक्ष संगीता आच्छा व अन्य का सहयोग रहा।
प्रेम में नहीं है दूरी और देरी
चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि प्रेम में दोष दिखाई नहीं देते। यदि दिखाई दिए तो उनको दूर करने के बदले सेवा का भाव होता है। यही प्रेम है। आप किसी के प्रेम, श्रद्धा में दोष खोजते हो। प्रेम में विरक्ति नहीं आती आसक्ति आती है। प्रेम में तीन चीजें नहीं होती दूरी, देरी और दुराव। प्रेम पल में प्रकट हो जाता है। प्रेम वर्तमान में जीता है। प्रेम में दुख भी सुख जैसा लगता है। परम प्रेम का फल है परमात्मा। प्रेम कभी घटता नहीं और उसमें कभी सूखापन नहीं आता। प्रेम में कभी भय नहीं होता। साधु और गुरु इस देश की आध्यात्मिक मां है। साधक भक्त या शिष्य कभी बड़ा नहीं होता। हमेशा बालक ही रहता है। इसलिए भगवान की वाणी को जिनवाणी मां कहा गया है। उस शिष्य की प्यास कभी पूरी नहीं होती जो मानसिक रूप से शरणागत है।

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