आम चुनाव हो अथवा विधानसभा चुनाव तमिलनाडु की जनता को रजनीकांत के इशारे और ‘स्टैंडÓ का इंतजार रहता है लेकिन वे हर बार अपने विचार से सभी को क्लीन बोल्ड कर देते हैं। उनकी ताजा राय भी ऐसी ही है जिसमें पूरी तरह से राजनीतिक सोच का अभाव दिखाई देता है। २००४ के लोकसभा चुनाव में रजनीकांत की राय थी कि जो नदियों को जोड़ेगा वे उसको वोट देंगे। उस वक्त तो उनका अप्रत्यक्ष इशारा भाजपा की ओर था। लेकिन इस बार तो वह संकेत भी नहीं मिलते।
रजनीकांत ने कहा है कि तमिलनाडु की जल की समस्या का जो समाधान करे उसे वोट देंगे। जबकि अपने प्रशंसकों को मताधिकार में स्वविवेक का उपयोग करने को कहा है। उनके इस बयान का उपहास ही हो रहा है।
नाम तमिळर कच्ची के संस्थापक सीमॉन ने तो साफ तौर पर व्यंग्य किया कि क्या रजनीकांत राजनेता हैं? उनको अपने कार्यकर्ताओं व प्रशंसकों को बताना था कि कौन उनकी समस्याओं का हल पेश कर सकता है। इसके बजाय वे कह रहे हैं कि कार्यकर्ता स्वयं निर्णय करें।
तमिलनाडु भाजपा की अध्यक्ष तमिलइसै सौंदरराजन का कहना है कि रजनीकांत का बयान बेहद स्पष्ट है। २००४ में भी उन्होंने नदियों के एकीकरण की बात कही थी और इसके लिए १ करोड़ देने की घोषणा भी की थी।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार विधानसभा चुनाव का पेंच डालकर रजनीकांत ने फिलहाल सभी अटकलों को विराम दे दिया है जिसमें उनके भाजपा को समर्थन देने की बात सुर्खियों में थी।