एआईएमटीसी के साउथ जोन के उपाध्यक्ष पीवी सुब्रमणी के अनुसार इस दो दिवसीय ट्रांसपोर्ट हड़ताल से तमिलनाडु को लगभग ५००० करोड़ रुपए जबकि राष्ट्रीय स्तर पर दस हजार करोड़ तक का नुकसान होने का अनुमान है । उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा लगाई गई २८ प्रतिशत जीएसटी ट्रक मालिकों की हत्या करने के समान है। मौजूदा स्वरूप में ट्रांसपोर्टर्स को अपना व्यवसाय छोडऩा पड़ेगा। इसे ध्यान में रखकर ही हमने दो दिवसीय हड़ताल के जरिये मौजूदा सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि वह हमारी समस्याओं को समझे और इनका माकूल निदान करे। इस हड़ताल में शामिल तमिलनाडु सैंड लॉरी फेडरेशन के अध्यक्ष युवराज का कहना था कि हम एक ही टोलगेट पर शुल्क अदा करना चाहते हैं।
हर टोलगेट पर ट्रकों को शुल्क चुकाने के कारण पैसे और समय की बर्बादी अधिक होती है, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। उनका कहना था कि पिछले तीन महीने में डीजल का भाव बार-बार बढ़ाना ट्रक मालिकों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है, इसलिए इस बारे में सरकार को सख्त कदम उठाते हुए बढ़ते डीजल मूल्यों रोक लगानी चाहिए।
माधवरम स्थित कई ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के प्रबंधकों का कहना था कि हड़ताल के बावजूद अभी भी २५ फीसदी से अधिक लॉरियां माल ढुलाई कर रही हैं। एक ट्रांसपोर्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस मंदी के दौर में बड़े ट्रांसपोर्टर्स ही इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं, छोटे ट्रांसपोर्टर यदि इसमें शामिल होंगे तो उनका पेट पालना मुश्किल हो जाएगा।