उन्होंने कहा टीबी यानी टुबर कुलोसिस को वैसे तो बीते जमाने की बीमारी के तौर पर देखा जाता है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी टीबी के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पूरी दुनिया में हर साल 24 मार्च को वल्र्ड टीबी डे मनाया जाता है।
इम्पाल के प्रबंध निदेशक एन. कृष्णन ने बताया कि रीच एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान विश्व टीबी दिवस से पहले सरकार के टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के साथ साझेदारी के तहत स्टाम्प नामक एक पिलबॉक्स-सह-ट्रीटमेंट अधेरेंस सपोर्ट सिस्टम डिवाइस लांच की गई। इस डिवाइस को सुंदरम मेडिकल डिवाइसेज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है।
मल्टी-फंक्शन पिलबॉक्स का उपयोग उपचार के कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने में इलाज हो सकता है। सुंदरम आर्योग्यम और विटेलिटी एन्हांसमेंट (सेव) फाउंडेशन द्वारा 200 ऐसे उपकरण एनजीओ रीच को दान किए गए हैं जो टीबी के मरीजों में वितरित किए जाएंगे।