मंदिर परिसर में पुण्णैवननाथर सन्निधि में शिवलिंग की पूजा करते मयूर की मूर्ति गायब हो गई। वर्ष २००४ में मंदिर के कुम्भाभिषेक के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाने का दावा करते हुए मंदिर प्रशासन ने इस मोर के अलावा राहु व केतू की मूर्तियां बदली थी।
इस मंदिर के इतिहास में मोर की कहानी जुड़ी है जो अपनी चोंच मेें पुष्प थामे शिवलिंग की पूजा करता है।
फिर आरोप लगे कि प्राचीन मूर्तियां जिनकी कीमत करोड़ों में थी का विक्रय विदेश में कर दिया गया। इस सिलसिले में मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा मंदिर से मूर्तियां गायब होने की सूचना किसी भी पुजारी ने सरकार के कानों तक नहीं पहुंचाई। यह पुजारियों का कर्तव्य था कि वे गायब मूर्तियों के बारे में सरकार को अवगत कराते। पुजारीगण दैविक भावना से कार्य नहीं कर रहे हैं। वे मशीनी रोबोट की तरह पूजा करते हैं।
सुनवाई के दौरान हिन्दू धर्म व देवस्थान विभाग की ओर से जवाब दायर किया गया कि मूर्तियां गायब होने की शिकायत की जांच चल रही है। विभाग ने विस्तृत विवरण पेश करने की अदालत से मोहलत मांगी। हाईकोर्ट ने अवकाश देते हुए सुनवाई ४ सप्ताह के लिए टाल दी।