आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा में भी लगातार तब्दीली आ रही है। आयुर्वेद एवं अन्य पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देेने के लिए पिछले दिनों वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद युवा महोत्सव का आयोजन हुआ था। सरकार भी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दे रही है। यह पहली बार संभव हुआ है जब देश में अलग से आयुष मंत्रालय की स्थापना की गई। इस मंत्रालय ने फार्माकोपिया को ऑनलाइन करने की घोषणा की है। अब तक आयुर्वेद की करीब सात सौ दवाओं का फार्माकोपिया तैयार किया जा चुका है। अभी तक ये दस्तावेज के रूप में उपलब्ध थी अब इनको ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने वाली कंपनियों को सटीक जानकारी मिल सकेगी। फार्माकोपिया की जानकारी के आधार पर वे अपनी दवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकेंगे। वैसे आयुर्वेद में औषधियों की संख्या हजारों में हैं।
महानगर के साहुकारपेट में चल रहे श्री वेंकटेश औषधालय जो मारवाड़ी फ्री आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के नाम से अधिक जाना जाता है में मरीजों को दवाई से खूब फायदा हो रहा है। जानकर आश्चर्य होगा कि महंगाई के इस युग में आज भी यहां मात्र दो रुपए में मरीज का इलाज किया जाता है। इसमें चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही दो दिन की दवा भी शामिल है। खास बात यह है कि सभी दवाइयां यहां प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से तैयार की जाती हैं। अस्पताल के प्रबंध न्यासी एसआर दमानी, अध्यक्ष इन्द्रराज बंसल, सचिव रघुनाथ हिसोडिय़ा समेत अन्य पदाधिकारियों द्वारा औषधालय का संचालन किया जा रहा है। रोजाना करीब सौ से सवा सौ मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए दवाई की देशभर में मांग रहती है। पंचकर्म से इलाज की सुविधा भी यहां उपलब्ध है। अस्थमा, डायबिटीज समेत अन्य कई बीमारियों का इलाज यहां किया जाता है।
औषधालय के अध्यक्ष ने बताया कि यहां आयुर्वेद की 220 तरह की दवाइयां बनाई जा रही है। आयुर्वेद से सभी रोगों का समूल नाश होता है। बीमारियों के दुबारा पैदा होने के अवसर कम होते हैं। आयुर्वेद का लक्ष्य रोगी व्यक्तियों के विकारों को दूर करना है। चिकित्सा की इस पद्धति से मनुष्य का शारीरिक व मानसिक सुधार होता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्रकृति के सबसे निकट है। यही वजह है कि वर्तमान में आयुर्वेद से इलाज कराने वालों की संख्या बढ़ रही है।