हाईकोर्ट ने कहा – माता-पिता बात करते रहें किशोरवय बेटियों से
चेन्नईPublished: Nov 03, 2018 12:04:19 pm
मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब माता पिता अपनी किशोरवय बेटियों के साथ बात करते रहें और उनको स्कूल में भी शिक्षकों द्वारा परामर्श दिया जाए।
चेन्नई. नाबालिग लड़कियों के विवाहित पुरुषों के जाल में फंसकर अपना जीवन बर्बाद करने के मामलों में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। इस मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब माता पिता अपनी किशोरवय बेटियों के साथ बात करते रहें और उनको स्कूल में भी शिक्षकों द्वारा परामर्श दिया जाए।
न्यायमूर्ति किरुबाकरण और न्यायमूर्ति भास्करण की खंडपीठ ने एक 17 वर्षीया नाबालिग के 45 वर्षीय विवाहित पुरुष के साथ भाग जाने पर उसकी मां द्वारा लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि किशोर बालिकाओं में परिपक्वता स्तर वयस्कों की तरह नहीं होता। वे दृढ़ निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होती। उनको आसानी से मीठे वादों से लुभाया जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि माता पिता और शिक्षक उनको उचित तरीके से सलाह दें और समझाएं। वे संवेदनशील होती हैं इसलिए उनको सलाह दी जानी चाहिए कि किस पर वे निर्भर हो सकती हैं। जब तक माता-पिता और शिक्षक बच्चों के साथ संवाद स्थापित नहीं करते, तब तक इस तरह की स्थिति से बचा नहीं जा सकता, इसलिए यह समय है कि सरकार किशोर बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता के परामर्श कार्यक्रम का आयोजन करे। इसके बाद बेंच ने सुनवाई 8 नवंबर तक के लिए टाल दी।
पुलिस ने जांच करते हुए नाबालिग व व्यक्ति को तीन दिन में पकड़ा था और उस व्यक्ति को अपहरण के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। यह देखते हुए खंडपीठ ने टिप्पणी की कि वृद्ध और विवाहित व्यक्तियों के साथ जाने वाली नाबालिगों के बारे में कई मामले अदालत के सामने आ रहे हैं। एक ही दिन में अदालत में ऐसे चार मामले आए हैं।एक ही दिन में अदालत में ऐसे चार मामले आए हैं। उन्होंने कहा कि पॉस्को अधिनियम और ऐसे मामलों से निपटने के लिए राज्य को अलग विंग बनानी चाहिए।