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आचार्य शुभचंद्र का जीवन सरलता, सादगी और संयम का त्रिवेणी संगम

locationचेन्नईPublished: Aug 12, 2019 04:45:20 pm

Submitted by:

shivali agrawal

Chennai में Vepery वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि, जयकलश मुनि, जयपुरंदर मुनि एवं समणी प्रमुखा श्रीनिधि, श्रुतनिधि एवं सुधननिधि के सानिध्य एवं जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आचार्य शुभचंद्र का 81वां जन्मोत्सव सामूहिक भिक्षु दया एवं तीन सामायिक की साधना के साथ तप-त्याग पूर्वक मनाया गया।

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आचार्य शुभचंद्र का जीवन सरलता, सादगी और संयम का त्रिवेणी संगम

चेन्नई. Vepery वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि, जयकलश मुनि, जयपुरंदर मुनि एवं समणी प्रमुखा श्रीनिधि, श्रुतनिधि एवं सुधननिधि के सानिध्य एवं जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आचार्य शुभचंद्र का 81वां जन्मोत्सव सामूहिक भिक्षु दया एवं तीन सामायिक की साधना के साथ तप-त्याग पूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर जयधुरंधर मुनि ने कहा आचार्य शुभचन्द्र सर्व संप्रदाय समुदाय के लोगों के बीच विशेष श्रद्धा एवं अनन्या आस्था के केंद्र थे। उनका जीवन सरलता, सादगी और संयम का त्रिवेणी संगम था। आप अपने नाम के अनुसार ही उनका आचरण, चिंतन, मनन, वाणी, व्यवहार सब शुभमय था। वह हर पल स्वाध्याय एवं अनुप्रेक्षा में रक्त रहते हुए शुभ भावों में रमन करते थे। वे सरलता की जीती जागती प्रतिमूर्ति एवं सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे। स्वयं प्रशांतचेता होने के कारण उनके सानिध्य में जो भी जाता व अमित शांति की अनुभूति करता। रुपावास पाली में जन्मे और केवल 17 वर्ष की आयु में संयम अंगीकार किया। 63 वर्ष तक निर्भयम साधना का पालन करते हुए जिनशासन की महती प्रभावना की । 31 वर्ष तक आचार्य पद पर रहते हुए जयमल संघ का कुशल नेतृत्व कर संघ को नई ऊंचाई दी। वे भले ही एक संप्रदाय के आचार्य थे, परंतु संपूर्ण जैन समाज में अग्रणी स्थान पर रखते हुए अपने उदारता, स्नेह, वात्सल्य, नम्रता, सहजता से सभी को अपनी और आकर्षित कर लेते थे। उनके व्यक्तित्व में एक ऐसा चुंबकीय आकर्षण था, जो व्यक्ति एक बार उनके सानिध्य में जाता वह हमेशा के लिए उनका परम भक्त बन जाता था। उनके मुख्य मंडल पर अलौकिक आभा, तेजस्विता प्रसन्नता हमेशा झलकती रहती। अपने समन्वय प्रेमिता के कारण समय-समय पर सांप्रदायिक सौहार्दता का ज्वलंत उदाहरण पेश किया।
जयपुरंदर मुनि ने कहा संसार में मनुष्य तो अनेक होते हैं लेकिन कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं जो अपना जीवन स्व-पर कल्याण के लिए समर्पित कर देते हैं। ऐसे महापुरुष का जन्मदिन सार्थक हो जाता है और वे हमेशा के लिए अमर बन जाते हैं । आचार्य शुभचंद्र का संपूर्ण जीवन जिनशासन के लिए समर्पित था। महापुरुषों के जन्म जयंती के प्रसंग हर जीव को उनके समान जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। हर व्यक्ति शुभ चाहता है, उसके लिए अशुभता से शुभता की ओर बढऩा चाहिए । जिसके आचार और विचार शुभ होते हैं, उसके अशुभ कर्म भी शुभ कर्म में परिवर्तित हो जाते हैं। जयकलश मुनि तथा समणी सुधननिधि ने भआचार्य शुभचंद्र के जीवन पर गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत जय जाप से हुई। जेपीपी जैन महिला फाउंंडेशन ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संघ अध्यक्ष नरेंद्र मरलेचा ने स्वागत भाषण दिया। इसके अलावा पारसमल गादिया, कमला कुमारी बोहरा, मधु कटारिया, राकेश भंसाली, लता सिंघवी, पद्मा मुणोत, गगन बोहरा ने अपने विचार व्यक्त किए । संचालन ज्ञानचंद मुणोत ने किया। जन्मोत्सव के सहयोगी परिवार मानकचंद राजेंद्र बोहरा एवं मीठालाल महेंद्र कुंकुलोल का सम्मान चातुर्मास संयोजक अमरचंद बोकडिय़ा, विमल सांखला, पारसमल बोहरा, पारसमल गादिया, प्रकाश बोहरा, अशोक कातरेला, उत्तमचंद बोकडिया सहित संघ के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। जयमल जैन चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार चेयरमैन ज्ञानचंद कोठारी ने बताया मंत्री गौतमचंद रुणवाल सहित जयमल जैन युवक परिषद के देवराज रुणवाल, कुशल सिंघवो, महिपाल चोरडिया, सुनील बोकडय़िा, दिनेश भंडारी, अरिहंत सामरा, कालूराम भंसाली आदि भी उपस्थित थे।
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