ढाई दर्जन स्कूलों के लिए केवल एक मैदान
साहुकारपेट में एक ही खेल का मैदान है। कार्पोरेशन के इस खेल मैदान के संचालन का काम राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु की ओर से किया जा रहा है। इलाके में करीब 30 से अधिक स्कूल हैं जहां अध्ययनरत बच्चे इसी खेल मैदान का उपयोग करते हैं। राजस्थान स्पोर्ट्स क्लब के सदस्य भी रोजाना यहां वॉलीबॉल खेलते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा भी इसी मैदान पर लगती है। मैदान में रोज सुबह भ्रमण करने वालों के लिए अलग से ट्रेक बनाया हुआ है। मैदान समूचे साहुकारपेट के लिए उपयोगी साबित हुआ है।
-राधेश्याम मूंदड़ा, खेल प्रेमी।
खल रही है खेल मैदानोंं की कमी
खेल मैदानों की कमी है। इसके अभाव में खेलप्रेमियों को निराशा हाथ लगती है। जहां कहीं खेल मैदान हैं वहां भी अक्सर खेल सुविधाओं की कमी खलती है। इसके अभाव में प्रतिभाएं आगे नहीं आ पाती। यदि पर्याप्त खेल सुविधाएं मिले तो खेल प्रेमियों को इसका बहुत फायदा मिल सकता है। इस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। जो प्रतिभाएं हैं उन्हें आगे बढऩे का अवसर तो दिया ही जाना चाहिए। खेल बचपन में नहीं खेलने से बच्चों का बचपन छिना जा रहा है।
-जयराम देवासी, बिजनसमैन।
बस खेल की भावना होनी चाहिए
वैसे साहुकारपेट में तो खेल मैदानों की कमी जरूर है लेकिन खेल प्रेमी साहुकारपेट के आसपास के इलाकों में जाकर इस कमी को पूरा कर लेते हैं। खेलप्रेमियों के मैदान से जरूरी खेल के प्रति भावना होती है। ऐसे में यह कोई अधिक मायने नहीं रखता कि आसपास कोई खेल मैदान हैं या नहीं। खेलप्रेमी चूलै, वेपेरी समेत अन्य स्थानों पर जाकर खेल के शौक को पूरा कर रहे हैं। खासकर सुबह के समय मैदान पर जाकर वॉलीबॉल एवं अन्य खेल में रुचि ले रहे हैं।
-कमलचन्द बाफना, खेलप्रेमी।