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खल रही खेल मैदानों की कमी

locationचेन्नईPublished: Nov 26, 2018 11:53:16 am

-तरस रहे बच्चे, गलियों में खेलने को मजबूर- इतने बड़े इलाके में केवल एक खेल का मैदान

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खल रही खेल मैदानों की कमी

चेन्नई. बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी है। लेकिन अधिकांश स्थलों पर खेल मैदानों की कमी खल रही है। शहरीकरण के विस्तार ने बच्चों का बचपन छीन लिया है। महानगर के अधिकांश स्कूल-कॉलेजों में खेल मैदान के अभाव मेें बच्चे खेल से विमुख हो रहे हैं। जहां खेल मैदान हैं भी वहां उन्हें अन्य कार्य के लिए उपयोग में लिया जा रहा है और खेल की जगह प्रदर्शनी, मेले, सेमीनार के आयोजन किए जाने लगे हैं। बच्चे खेल मैदान के लिए तरस रहे हैं। खेल मैदान के अभाव में खेल प्रेमियों को मायूस होना पड़ रहा है।
खेल गतिविधियों का भले ही जीवन में अहम स्थान हो लेकिन अधिकांश स्कूलों की तरफ से इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है और उनके पास पर्याप्त खेल सामग्री का अभाव है। रिहायशी इलाकों में खेल मैदान की कमी अखर रही है। क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी सरीखे खेल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में गली-मौहल्लों को ही खेल मैदान बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लडक़े तो फिर भी कहीं भी खेल लेते हैं लेकिन लड़कियां खेल मैदान न होने से घर की चारदीवारी में सिमट कर रह जाती हैं। लड़कियों के भी सपने हैं कि वे खेलों से जुड़ें, खेलों की प्रैक्टिस करें, खुद को देश के लिए खिलाड़ी के तौर पर तैयार करें। लेकिन सुविधाओं के अभाव में लड़कियां स्कूल से वापस आकर घरों तक ही सीमित रह जाती हैं। जहां खेल मैदान में हैं वहां अक्सर सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। खेल मैदान के अभाव में कई बार सडक़ पर तो कई बार खाली भूखण्डों पर खेलना पड़ रहा है।
खेल इंसान की जन्मजात प्रवृत्ति है। बच्चा जन्म के कुछ महीने बाद ही माता-पिता के साथ खेलने लगता है। बड़ा होने पर भाई-बहनों एवं मित्रों के साथ खेलने के लिए आतुर रहता है। क्रिकेट में तो जैसे बच्चों की जान बसी है। गली-मौहल्ले में बच्चे क्रिकेट का बल्ला थामे नजर आते हैं। बच्चे एवं बड़ों की पसंद क्रिकेट जरूर बना हुआ है लेकिन मैदान का अभाव बड़ी बाधा के रूप में उभर कर आ रहा है। ऐसे में केवल टीवी पर क्रिकेट मैच देखकर ही संतोष करना पड़ रहा है।
साहुकारपेट इलाके में दर्जनों निजी एवं सरकारी स्कूल हैं लेकिन खेल का मैदान सिर्फ एक ही है। यह मैदान भी अक्सर उपेक्षा का दंश झेलता रहा है। यहां बड़ी खेल गतिविधि का व्यवस्थित आयोजन ही संभव नहीं है। यहां न तो क्रिकेट खेला जा सकता है और न ही फुटबाल की कोई प्रतियोगिता करवाई जा सकती है। अन्य खेलों के लिए भी मैदान व्यवस्थित नहीं हैं। बास्केटबॉल, वॉलीबाल, बैडमिंटन समेत अन्य खेल स्पर्धाओं से छात्र वंचित हो रहे हैं। इतना ही नहीं एथलेटिक्स के लिहाज से भी मैदान को तैयार नहीं किया गया है। ऐसे में इलाके की विभिन्न स्कूलों की ओर से खेल प्रतियोगिताओं एवं खेल दिवस के नाम पर इस मैदान में कार्यक्रम का आयोजन कर इतिश्री कर ली जाती है। बेसिन वाटर वक्र्स स्ट्रीट में स्थित यह खेल मैदान चेन्नई महानगर निगम के अधीन है। रखरखाव का जिम्मा राजस्थानी एसोसिएशन के जिम्मे है। लेकिन मैदान को सुधारने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। स्थानीय व्यापारियों एवं खेल संघों के माध्यम से यदा-कदा मैदान को सुधारने की पहल हुई लेकिन वह नाकाफी ही रही। हालांकि सुबह के समय मैदान में कई तरह के खेलों के आयोजन देखने को मिल रहे हैं लेकिन सुविधाओं कमी खलती है।
साहुकारपेट के लोगों के मन को टटोला तो उनकी खेल मैदान को लेकर पीड़ा झलकी। अभिभावकों का कहना है कि भागमभाग भरी जिंदगी में खेल के लिए समय निकाल पाना काफी मुश्किल है। इन व्यस्तताओं के बीच यदि थोड़ा समय मिलता है तो खेल के लिए जगह नहीं मिल पाती। मैदान न होने से बच्चे मोबाइल में ही गेम खेलकर इतिश्री कर लेते हैं। इससे वे तरह-तरह की बीमारियों से घिरने लगते हैं। बच्चे खेल के लिए तरस जाते हैं। यदि अच्छे खेल मैदान न होंगे तो खिलाड़ी कैसे उभर सकेंगे। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। खेल मैदान न होने से बच्चे खेलों से दूर होते जा रहे हैं। खेल मैदान के अभाव में कई बार सडक़ पर खेलकर शौक को पूरा करना पड़ता है। आसपास मैदान न होने से खेलने के लिए कई बार दूर जाना पड़ता है। साहुकारपेट का इकलौता खेल मैदान बरसात में खेलने योग्य नहीं रह पाता। बावजूद खिलाडिय़ों को कीचड़ में भी खेलते देखा जा सकता है। कहने को भले ही यह खेल मैदान है लेकिन किसी भी खेल के लिहाज से सही पैमाने पर खरा नहीं उतर रहा। उबड़-खाबड़ जमीन पर ही खिलाडिय़ों को खेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। रविवार एवं छुट्टी के दिन पूरा मैदान भर जाता है। एक साथ विभिन्न खेल खेलने से कई बार खेलते समय गेंद लगने से भी चोटिल होने की संभावना बनी रहती है। वहीं जगह की कमी के चलते कई बार झगड़े की नौबत आ जाती है।

बारिश के समय होती है परेशानी
साहुकारपेट के खेल मैदान में बारिश के समय पानी भर जाने से खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाते। कई बार तो यह पानी कई दिनों तक सूख नहीं पाता है। इसके साथ ही रविवार एवं अन्य अवकाश के दिनों में खिलाडिय़ों की संख्या अधिक होने से भी मैदान पूरा भर जाता है। ऐसे में खिलाड़ी सही तरह से अभ्यास भी नहीं कर पाते। इलाके में खेल मैदान की कमी अखरती है। इलाके की सभी स्कूल भी इसी खेल मैदान पर आश्रित हैं। साथ ही यहां क्रिकेट समेत सभी खेल खेले जाते हैं। कई बार क्रिकेट की बाल लगने से भी खिलाड़ी व दर्शक चोटिल हो चुके हैं।
-अशोकसिंह मोहराई, खेल प्रेमी।

ढाई दर्जन स्कूलों के लिए केवल एक मैदान
साहुकारपेट में एक ही खेल का मैदान है। कार्पोरेशन के इस खेल मैदान के संचालन का काम राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु की ओर से किया जा रहा है। इलाके में करीब 30 से अधिक स्कूल हैं जहां अध्ययनरत बच्चे इसी खेल मैदान का उपयोग करते हैं। राजस्थान स्पोर्ट्स क्लब के सदस्य भी रोजाना यहां वॉलीबॉल खेलते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा भी इसी मैदान पर लगती है। मैदान में रोज सुबह भ्रमण करने वालों के लिए अलग से ट्रेक बनाया हुआ है। मैदान समूचे साहुकारपेट के लिए उपयोगी साबित हुआ है।
-राधेश्याम मूंदड़ा, खेल प्रेमी।

खल रही है खेल मैदानोंं की कमी
खेल मैदानों की कमी है। इसके अभाव में खेलप्रेमियों को निराशा हाथ लगती है। जहां कहीं खेल मैदान हैं वहां भी अक्सर खेल सुविधाओं की कमी खलती है। इसके अभाव में प्रतिभाएं आगे नहीं आ पाती। यदि पर्याप्त खेल सुविधाएं मिले तो खेल प्रेमियों को इसका बहुत फायदा मिल सकता है। इस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। जो प्रतिभाएं हैं उन्हें आगे बढऩे का अवसर तो दिया ही जाना चाहिए। खेल बचपन में नहीं खेलने से बच्चों का बचपन छिना जा रहा है।
-जयराम देवासी, बिजनसमैन।

बस खेल की भावना होनी चाहिए
वैसे साहुकारपेट में तो खेल मैदानों की कमी जरूर है लेकिन खेल प्रेमी साहुकारपेट के आसपास के इलाकों में जाकर इस कमी को पूरा कर लेते हैं। खेलप्रेमियों के मैदान से जरूरी खेल के प्रति भावना होती है। ऐसे में यह कोई अधिक मायने नहीं रखता कि आसपास कोई खेल मैदान हैं या नहीं। खेलप्रेमी चूलै, वेपेरी समेत अन्य स्थानों पर जाकर खेल के शौक को पूरा कर रहे हैं। खासकर सुबह के समय मैदान पर जाकर वॉलीबॉल एवं अन्य खेल में रुचि ले रहे हैं।
-कमलचन्द बाफना, खेलप्रेमी।

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