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चेन्नई

रक्षा आयुध: स्वदेशी तकनीक से मौजूदा 155 मिमी गोले की मारकता और सटीकता बढ़ेगी

आइआइटी मद्रास और म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने मिलाया हाथ

चेन्नईFeb 05, 2024 / 06:29 pm

Satish Sharma

रक्षा आयुध: स्वदेशी तकनीक से मौजूदा 155 मिमी गोले की मारकता और सटीकता बढ़ेगी

रक्षा आयुध: स्वदेशी तकनीक से मौजूदा 155 मिमी गोले की मारकता और सटीकता बढ़ेगी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास ने भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया 155 स्मार्ट गोला बारूद (शेल) विकसित करने के लिए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड के साथ समझौता किया है। इसे रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण के लक्ष्य की ओर एक और कदम माना जा रहा है। दोनों संस्थानों के तालमेल का मूल उद्देश्य मौजूदा 155 मिमी गोले की तुलना में 50 गुना बेहतर सटीकता के साथ गोला-बारूद विकसित करना है, जिसमें केवल 10 मीटर की सर्कुलर त्रुटि संभावित (सीईपी) रहे। वर्तमान में, स्वदेशी गोला-बारूद की सीईपी 500 मीटर है इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य टर्मिनल प्रभाव बिंदु पर घातकता को बढ़ाना है।
आयुध निर्माता है म्यूनिशन्स इंडिया
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड सेना, नौसेना, वायु सेना और अर्धसैनिक बल के लिए गोला-बारूद और विस्फोटकों की एक विस्तृत शृंखला के उत्पादन, परीक्षण अनुसंधान और विकास और विपणन में देश की अग्रणी निर्माता है।
आइआइटी मद्रास करेगा परियोजना को लीड
दो साल की इस परियोजना का नेतृत्व आइआइटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जी. राजेश और उनके शोधकर्ताओं की टीम करेगी। इस कार्यक्रम में नेविगेशन और नियंत्रण प्रणाली, रोल आइसोलेशन रणनीतियां, कैनार्ड एक्चुएशन सिस्टम, फ्य़ूज़, शेल बॉडी और वॉरहेड से सुसज्जित एक विशेष प्रयोजन शेल विकसित करना शामिल है।
ये हैं विशेषताएं
– स्मार्ट एम्युनिशन 39 और 45 कैलिबर के 155 मिमी आर्टिलरी गन से लॉन्च किए जाएंगे। इसके लिए गन सिस्टम में कोई बदलाव नहीं करना होगा।
– इसकी अधिकतम रेंज़ 38 किमी – न्यूनतम रेंज़ 8 किमी है।
– भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) गाइडेड – जीपीएस बैकअप।


आधुनिक गोला-बारूद निर्माण में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त
हमें विश्वास है कि पारंपरिक गोला-बारूद निर्माण में एमआईएल की ताकत और मार्गदर्शन प्रणाली विकसित करने में आइआइटी मद्रास की विशेषज्ञता एमआईएल के लिए आला प्रौद्योगिकियों के साथ आधुनिक गोला-बारूद निर्माण में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करेगी।
रवि कांत, सीएमडी, म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटे


विदेशी उपग्रह प्रणालियों से मिलेगी आजादी
प्रस्तावित स्मार्ट प्रोजेक्टाइल, मार्गदर्शन के लिए भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) का उपयोग करेगा इसका मतलब विदेशी सरकारों की उपग्रह प्रणालियों से स्वतंत्रता है।
प्रो. जी. राजेश, आइआइटी मद्रास

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