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आस्था और विश्वास में बड़ी शक्ति

locationचेन्नईPublished: Sep 12, 2018 12:06:09 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

हमें अपने धर्म और धर्मगुरुओं पर विश्वास होना चाहिए। संत चलते-फिरते जिनालय होते हैं। आस्था में इतनी शक्ति होती है कि एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या अर्जित कर ली थी। उन्होंने महावीर स्वामी के प्रति सेठ सुदर्शन की आस्था और विश्वास के प्रसंग का विवेचन करते हुए कहा कि सेठ सुदर्शन की आस्था के बल पर ही डाकू अुर्जनमाली ने प्रभु महावीर की शरण में जाकर संयम पथ अपनाया और मोक्ष मार्ग को प्राप्त हुआ।

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में १० सितंबर को देवलोक गमन हुए जयगच्छाधिपति ग्यारहवें पट्टधर आचार्य शुभचंद्र की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। साध्वी कुमुदलता ने आचार्य के प्रति अपनी भावांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान की माटी के इतिहास का जितना वर्णन किया जाए कम है। इस माटी में कई महान संतों का जन्म हुआ है। उन्हीं में से एक संत पुरुष थे आचार्य शुभचंद्र जिनका जन्म पाली जिले में हुआ। जो दुनिया में आता है, वह जाता भी है। करोड़ों में से एक व्यक्ति ही संयम पथ पर चलता है। आचार्य शुभचंद्र ने संयम पथ पर चलकर समाज को कई शिक्षाएं दी और मर्यादाओं का पालन करने का संदेश दिया। उनके पास ज्ञान और विनय का खजाना था। यह संसार एक सराय है और दुनिया उसी को याद करती है जो दुनिया को कुछ दे जाता है। जैन धर्म में आचार्य शुभचंद्र की शिक्षाओं और उनके संदेशों को हमेशा याद किया जाएगा।
साध्वी ने पर्यूषण के पर्व के छठे दिन प्रवचन के विषय ‘आस्था, वास्ता और रास्ता’ पर उद्बोधन देते हुए कहा कि व्यक्ति को जिस पर विश्वास होता है उसी पर भरोसा करता है। हमें अपने धर्म और धर्मगुरुओं पर विश्वास होना चाहिए। संत चलते-फिरते जिनालय होते हैं। आस्था में इतनी शक्ति होती है कि एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या अर्जित कर ली थी। उन्होंने महावीर स्वामी के प्रति सेठ सुदर्शन की आस्था और विश्वास के प्रसंग का विवेचन करते हुए कहा कि सेठ सुदर्शन की आस्था के बल पर ही डाकू अुर्जनमाली ने प्रभु महावीर की शरण में जाकर संयम पथ अपनाया और मोक्ष मार्ग को प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि अगर नदी को सागर बनना होता है तो समुद्र में मिलना पड़ता है, मिश्री को मीठा बनने के लिए पानी में घुलना पड़ता है, उसी प्रकार व्यक्ति को भी भक्ति का प्रसाद प्राप्त करने के लिए परमात्मा के संपर्क में रहना होगा।
साध्वी महाप्रज्ञा ने ‘भादों के महीने में पर्यूषण पर्व आते हैं…’ गीतिका के माध्यम से पर्यूषण पर्व के प्रति अपने भाव व्यक्त किए। साध्वी पदमकीर्ति ने आगमवाणी का वांचन किया।
– आज मनाई जाएगी प्रवर्तक पन्नालाल की जन्म जयंती
साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य एवं श्री गुरु दिवाकर कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में बुधवार 8.30 बजे से अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में प्रवर्तक पन्नालाल की १३१वीं जन्म जयंती सामयिक के साथ गुरु गुणगान के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर चेयरमैन सुनील खेतपालिया, माणकचंद खाबिया, पवनकुमार कोचेटा, हस्तीमल खटोड़, जवाहरलाल नाहर, महावीर सिसोदिया, सुरेशचंद डूंगरवाल, गौतमचंद ओसवाल सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।

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