श्रद्धालुओं खासकर उम्रदराज व दिव्यांग स्वयं को बड़े असहज पा रहे हैं जो तुलनात्मक रूप से आसान दर्शन का सपना पाले वरदराज मंदिर पहुंचे थे। जिला प्रशासन ने पर्याप्त व्हीलचेयर और दर्शन की अलग कतार की बात कही थी लेकिन हकीकत में ऐसी कोई व्यवस्था वहां नजर नहीं आई। व्हीलचेयर दिखाई भी दिए जिनमें वृद्ध और नि:शक्त भक्त बैठे थे लेकिन इनकी तादाद ऊंट के मुंह में जीरे की तरह थी।
जोर आजमाइश
स्थानीय निवासी विष्णु कुमार ने पत्रिका को बताया कि जिला प्रशासन इस महान आयोजन को लेकर शिथिल नजर आया। १५ जून तक तो कोई भी कार्य नाम की चिडिय़ा नहीं दिखाई दी। अंत में जब जोर आजमाइश होती है तो उसका परिणाम सटीक कहां से आएगा। हम चाहकर भी लोगों को सलाह नहीं दे पाते क्योंकि जिस तरह पुलिस आवाजाही का मार्ग बदलती है, उसी तरह मंदिर में दर्शन की कतार के कायदे बदल जाते हैं। अभी कल ही वरिष्ठ नागरिक के साथ सहयोगी को जाने की अनुमति नहीं दी गई। सब भगवान भरोसे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था
वेलुसामी ने सुरक्षा व्यवस्था को भी पोचा बताया कि सुरक्षा जांच जैसा कोई उपाय नहीं है। बस हर जगह वर्दीधारी हैं। हर चौराहे पर वे नजर आ जाएंगे। वे ड्यूटी के नाम पर यातायात नियमन का कार्य कर रहे हैं। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है। वे तो बस आलाओं की आज्ञा का पालन कर रहे हैं।
परिवहन व यातायात
दक्षिण रेलवे ने कांचीपुरम के लिए विशेष सेवाएं चलाई है जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। अगर शहर की बात की जाए तो पुराने रेलवे स्टेशन से पुराने बस स्टैंड तक के महज पांच मिनट के सफर जो पैदल चलकर भी पूरा किया जा सकता है का १० रुपए सरकारी भाड़ा लोगों को अखरता है। मंदिर के पास तक निजी वाहनों को अनुमति नहीं देना व पार्किंग की भी अपनी समस्या है जो वरिष्ठ और बूढ़े लोगों के लिए दुखदायी है। ऑटोचालकों की तो सरेआम मनमानी चल रही है। उनका मुंह सवारी से भाड़ा बटोरने में सुरसा को भी मात देता है।
जाने क्या व्यवस्था है
कुंभकोणम से आए दिव्यांग कृष्णकुमार व्हीलचेयर पर बैठे थे जब उनसे हमारी मुलाकात हुई। वे जिला प्रशासन को कोसते हुए कहते हैं कि सुविधाओं को लेकर जो इश्तहार किया गया वह धरातल पर नजर नहीं आया। उनके सहायकों को भीतर जाने की अनुमति नहीं दी गई। कहने को विशेष कतार में रखा गया लेकिन उसमें भी तीन से अधिक घंटे का समय लगा इससे तो फ्री दर्शन जल्दी हो जाते। यह हकीकत में दिखाई भी पड़ा जब तंग कतार में व्हीलचेयर को आगे बढ़ाने में पुलिसकर्मियों को भी दो-चार होना पड़ा। नि:शक्तों को व्हीलचेयर कहां से मिलेगी यह भी लोगों को सही तरीके से पता नहीं है।