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आधुनिक होने का अर्थ संस्कार भ्रष्ट होना कतई नहीं

locationचेन्नईPublished: Jul 22, 2019 07:14:25 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

आचार्य विमलसागरसूरी ने कहा परिवर्तन के इस नए दौर में जागृति आवश्यक है। अगर इस युग में सांस्कृतिक मूल्यों के जगत का प्रबंध नहीं हुआ तो धर्म और समाज को भारी हानि होगी। संस्कारों की विरासत ही हमें सुरक्षित रख सकती है।

acharya vimalsagarsuri pravachan

आधुनिक होने का अर्थ संस्कार भ्रष्ट होना कतई नहीं

चेन्नई. वेपेरी में विराजित आचार्य विमलसागरसूरी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परिवर्तन के इस नए दौर में जागृति आवश्यक है। अगर इस युग में सांस्कृतिक मूल्यों के जगत का प्रबंध नहीं हुआ तो धर्म और समाज को भारी हानि होगी। संस्कारों की विरासत ही हमें सुरक्षित रख सकती है। आधुनिक होने का अर्थ संस्कार भ्रष्ट होना नहीं है।

वेपेरी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान एवं आचार्य वर्धमान सागरसूरी के सान्निध्य में आचार्य विमलसागरसूरी का पहला जागरण शिविर २१ जुलाई को कूक्स रोड स्थित एसपीआर सीटी टाउन हॉल में शुरू होगा जिसमें ५ हजार से अधिक युवक-युवतियां भाग लेंगी। त्रिची, मदुरै, सेलम, वेलूर, कांचीपुरम अदि क्षेत्रों से श्रद्धालु शिविर में भाग लेंगे। शिविर के लिए एसपीआर सिटी में तैयारियां जोरों पर है। संघ के अध्यक्ष बिपिन जैन व सचिव राजेश भंडारी ने बताया कि शिविर में समाज, धर्म और आधुनिक जीवन शैली व मनोविज्ञान को लेकर चिंतन होगा।

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