स्वगुणों की करें पहचान
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में उपप्रवर्तक विनयमुनि ने नवपद आयंबिल आराधना के दूसरे दिन बुधवार को कहा कि श्रीपाल और मैना सुंदरी का चारित्र चल रहा है। इसे ध्यान से सुनना चाहिए और अपने जीवन में बदलाव करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा जीवन में कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। किसी भी चीज के लिए अगर अभिमान किया तो उसे टूटने में समय नहीं लगता है। जीवन में जो लिखा है वही होगा अपने से सुख और दुख नहीं लाया जा सकता है। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन की स्थिति पर विचार करना चाहिए। इस बात पर विशेष चिंतन करने की जरूरत है कि मनुष्य की पहचान उसके गुणों से हो रही है या उसके पिता के नाम से उसे जाना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मीठे वचनों का प्रयोग कर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है। सागरमुनि ने कहा कि अगर मनुष्य एक दिशा को जान ले तो वह सभी दिशाओं को जान लेगा। आगे बढऩे के लिए सबसे पहले मार्ग जानने की जरूरत है। बिना मार्ग के आगे बढऩे से कोई फायदा नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि मोक्ष पाना सरल है लेकिन सरल बनना बहुत ही कठिन होता है। परमात्मा कहते है कि सरल बनने वाले मनुष्य के हृदय में ही धर्म होता है। जो सरल बनने की कोशिश नहीं करता वह कभी भी धर्म नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में सरल बनने का प्रयास करना चाहिए, तभी सफलता मिल पाएगी।
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में उपप्रवर्तक विनयमुनि ने नवपद आयंबिल आराधना के दूसरे दिन बुधवार को कहा कि श्रीपाल और मैना सुंदरी का चारित्र चल रहा है। इसे ध्यान से सुनना चाहिए और अपने जीवन में बदलाव करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा जीवन में कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। किसी भी चीज के लिए अगर अभिमान किया तो उसे टूटने में समय नहीं लगता है। जीवन में जो लिखा है वही होगा अपने से सुख और दुख नहीं लाया जा सकता है। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन की स्थिति पर विचार करना चाहिए। इस बात पर विशेष चिंतन करने की जरूरत है कि मनुष्य की पहचान उसके गुणों से हो रही है या उसके पिता के नाम से उसे जाना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मीठे वचनों का प्रयोग कर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है। सागरमुनि ने कहा कि अगर मनुष्य एक दिशा को जान ले तो वह सभी दिशाओं को जान लेगा। आगे बढऩे के लिए सबसे पहले मार्ग जानने की जरूरत है। बिना मार्ग के आगे बढऩे से कोई फायदा नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि मोक्ष पाना सरल है लेकिन सरल बनना बहुत ही कठिन होता है। परमात्मा कहते है कि सरल बनने वाले मनुष्य के हृदय में ही धर्म होता है। जो सरल बनने की कोशिश नहीं करता वह कभी भी धर्म नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में सरल बनने का प्रयास करना चाहिए, तभी सफलता मिल पाएगी।