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21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन

locationचेन्नईPublished: Oct 19, 2018 01:07:45 pm

Submitted by:

Ritesh Ranjan

श्री जैन संघ गोपालपुरम के तत्वावधान में भगवान महावीर स्वामी के 2544वें निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष्य में शुक्रवार से 21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

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21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित भगवान महावीर वाटिका में विराजित कपिल मुनि के सान्निध्य व श्री जैन संघ गोपालपुरम के तत्वावधान में भगवान महावीर स्वामी के 2544वें निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष्य में शुक्रवार से 21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन और विवेचन किया जाएगा।
कपिल मुनि ने इस सूत्र की महिमा बताते हुए कहा यह पवित्र सूत्र संपूर्ण जैन आगम साहित्य का प्रतिनिधि शास्त्र है। इसमें भगवान महावीर ने अपने निर्वाण से कुछ समय पहले जो देशना दी उसका संकलन है। इसका श्रवण करने से ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षय होने के साथ बुद्धि निर्मल और विचारों का परिष्कार होता है। प्रतिवर्ष निर्वाण उत्सव पर उत्तराध्ययन सूत्र के वाचन की जिनशासन में एक परंपरा प्रचलित है।
संघ के अध्यक्ष अमरचंद छाजेड़ ने बताया श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर उत्तराध्ययन सूत्र को सुनकर धन्य अनुभव करते हैं। मंत्री राजकुमार कोठारी ने बताया 21 दिवसीय उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन और विवेचन प्रतिदिन 8.30 से 10.00 बजे तक चलेगा।
स्वगुणों की करें पहचान
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में उपप्रवर्तक विनयमुनि ने नवपद आयंबिल आराधना के दूसरे दिन बुधवार को कहा कि श्रीपाल और मैना सुंदरी का चारित्र चल रहा है। इसे ध्यान से सुनना चाहिए और अपने जीवन में बदलाव करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा जीवन में कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। किसी भी चीज के लिए अगर अभिमान किया तो उसे टूटने में समय नहीं लगता है। जीवन में जो लिखा है वही होगा अपने से सुख और दुख नहीं लाया जा सकता है। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन की स्थिति पर विचार करना चाहिए। इस बात पर विशेष चिंतन करने की जरूरत है कि मनुष्य की पहचान उसके गुणों से हो रही है या उसके पिता के नाम से उसे जाना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मीठे वचनों का प्रयोग कर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है। सागरमुनि ने कहा कि अगर मनुष्य एक दिशा को जान ले तो वह सभी दिशाओं को जान लेगा। आगे बढऩे के लिए सबसे पहले मार्ग जानने की जरूरत है। बिना मार्ग के आगे बढऩे से कोई फायदा नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि मोक्ष पाना सरल है लेकिन सरल बनना बहुत ही कठिन होता है। परमात्मा कहते है कि सरल बनने वाले मनुष्य के हृदय में ही धर्म होता है। जो सरल बनने की कोशिश नहीं करता वह कभी भी धर्म नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में सरल बनने का प्रयास करना चाहिए, तभी सफलता मिल पाएगी।

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