उधर पंजाबी एकता पार्टी के नेता सुखपाल खैहरा की ओर से नवजोत सिद्धू को पंजाब डेमोक्रटिक एलायंस में शामिल होने का न्यौता दिए जाने के बाद लोक इंसाफ पार्टी के नेता और विधायक सिमरजीत बैंस ने भी आज कहा कि सिद्धू कांग्रेस में बेइज्जत होने के बजाय उनके साथ आएं। सिद्धू को 2022 में पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
हाल में मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया था। इस फेरबदल में नवजोत सिद्धू का शहरी निकाय विभाग वापस लेकर उर्जा विभाग दिया गया था। शहरी निकाय विभाग वरिष्ठ मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा को दिया गया था। नवजोत सिद्धू ने विभाग बदले जाने का विरोध शुरू किया है। सभी मंत्रियों ने अपने नए विभागों का कार्यभार संभाल लिया है लेकिन सिद्धू ने नया विभाग न संभालते हुए विभाग बदले जाने के खिलाफ राहुल गांधी तक गुहार लगाई है।
फेरबदल में राजस्व विभाग संभालने वाले कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगर ने आज को सिद्धू से अपील की कि उन्हें तुरंत अपने नए विभाग उर्जा विभाग का कार्यभार संभालना चाहिए। कांगर ने कहा कि कोई भी विभाग छोटा या बडा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वैसे उर्जा विभाग का अपना महत्व है। प्रदेश का एक-एक परिवार इस विभाग से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विभाग में साठ हजार कर्मचारी हैं। उनके पास उर्जा विभाग था और अब उन्हें राजस्व विभाग सौंपा गया है। जब तक उनके पास उर्जा विभाग रहा, उन्होंने कर्मचारियों को संतुष्ट रखा और इसके चलते आंदोलन की नौबत नहीं आई। अब राजस्व विभाग मिला है, तो वे समस्याओं का समाधान कर पटवारियों का आंदोलन भी रोकेंगे। मंत्रियों के विभागों के फेरबदल के बारे में कांगर ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और वे इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे।
सिद्धू ने राहुल गांधी से मुलाकात कर रखा अपना पक्ष
बता दें कि विभाग बदले जाने से नाखुश चल रहे हैं ने आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। इस मुलाकात के समय अहमद पटेल भी मौजूद थे। हाल मैं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदरसिंह द्वारा किये गए मंत्रियो के विभागों में फेरबदल में सिद्धू को शहरी निकाय विभाग के स्थान पर ऊर्जा विभाग दिया गया था। विरोध मे सिद्धू ने अब तक अपने नए विभाग का कार्यभार नहीं संभाला। सिद्धू की दलील है कि लोकसभा चुनाव मे प्रदर्शन को लेकर सिर्फ उनके ही विभाग को क्यों जिम्मेदार ठहराया जा रहा है? यह सामूहिक जिम्मेदारी का मामला है। बहरहाल सिद्धू की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेतृत्व के फैसले पर नज़रें टिक गई है। सूत्रों के अनुसार सिद्धू ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए राहुल गांधी को पत्र भी सौंपा है।