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मोदी लहर में भी पंजाब में कांग्रेस ने बढाई चार सीटें,अकाली-भाजपा गठबंधन ने गंवाई दो सीटें

locationचंडीगढ़ पंजाबPublished: May 23, 2019 10:33:04 pm

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Prateek

पंथिक मुद्दों पर नाकामी के कारण अकाली दल के ग्राफ में गिरावट

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(चंडीगढ): पंजाब में लोकसभा की कुल 13 सीटों के लिए आज देर शाम तक की गई मतगणना से हालांकि नतीजे अंतिम रूप से घोषित नहीं किए जा सके थे लेकिन कांग्रेस ने मोदी लहर में भी अपनी पिछली चार सीटों को बढाते हुए कुल आठ सीटें हासिल करने वाली बढत बना ली।


अकाली-भाजपा गठबंधन ने पिछली छह सीटों के मुकाबले दो सीटें गंवाते हुए सिर्फ चार सीटों पर जीत पाना सुनिश्चित कर लिया था। वहीं आम आदमी पार्टी ने जहां वर्ष 2014 के चुनाव जीती गई चार सीटों के मुकाबले मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल करने वाली बढत बनाई। कांग्रेस को गुरदासपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सनी देओल के मुकाबले अपने प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा सांसद सुनील जाखड की हार का झटका झेलना पडा है।

 

सिद्धू ने पहुंचाया चुनाव में नुकसान:अमरिंदर

पंजाब में सत्तारूढ कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने प्रदेश की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने के लिए मिशन-13 घोषित किया था। लेकिन पार्टी की जीत मात्र 8 सीटों पर ही ठहर जाने के लिए अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू को दोषी ठहराया। उन्होंने चुनाव रूझानों में कांग्रेस की जीत मात्र आठ सीटों तक ही ठहर जाने पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान नवजोत सिद्धू ने विवादित बयान देकर पार्टी को नुकसान पहुंचाया। इसलिए मिशन-13 पूरा करने में सफलता नहीं मिल पाई। अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे इस बारे में पार्टी नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि शहरी निकाय मंत्री सिद्धू ने शहरी क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं करवाए। पार्टी इसलिए शहरी क्षेत्र में हारी।

 

इसलिए नहीं मिली अपेक्षित सफलता

मुख्यमंत्री के इस बयान के अलावा कांग्रेस को सभी 13 लोकसभा सीटें न मिल पाने का कारण कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में किए गए चुनावी वायदों को पूरी तरह पूरा न करना भी रहा। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान किसानों के सभी कर्ज माफ करने का वायदा किया था। लेकिन बाद में यह कर्ज माफी पांच एकड तक जमीन वाले किसानों के दो लाख रूपए तक के कृषि कर्ज ही माफ किए गए। इसी तरह युवाओं को स्मार्ट फोन मु््फ्त देने का वायदा भी पूरा नहीं किया गया। घर-घर नौकरी का वायदा भी पूरा नहीं किया जा सका। प्रदेश में रेत और शराब माफिया पर रोक नहीं लगाई जा सकी। कांग्रेस ने इस हालत में भी आठ लोकसभा सीटों पर अपनी जीत पक्की की है।


इसका एक कारण विपक्ष अकाली दल का बगावत से टूटना भी रहा। अकाली दल वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मात्र 15 विधायकों के साथ तीसरे नम्बर की पार्टी बनकर रह गई। वर्ष 2015 में अकाली दल और भाजपा गठबन्धन की सरकार के दौरान गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाएं होने और इसके विरोध में प्रदर्शन करते सिखों पर पुलिस फायरिंग की घटनाओं ने अकाली दल को सिखों के बीच लोकप्रियता समाप्त कर दी है। इन घटनाओं की जांच करने वाले रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह की अध्यक्षता वाले कमीशन ने अकाली-भाजपा सरकार को दोषी ठहराया है। कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर आम सिख अकाली दल को दोषी मानता है। इसके अलावा अकाली दल के नेताओं पर पंजाब के संसाधनों के पारिवारिक दोहन व भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए है। अकाली-भाजपा गठबंधन में से अकाली दल ने फिरोजपुर व भटिंडा की दो सीट और भाजपा ने गुरदासपुर एवं होशियारपुर की दो सीटों पर जीत तय की है।

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