रणजीत सिंह की याचिका पर सोमवार को प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के मुद्ये पर बहस हुई। रणजीत सिंह के वकील एपीएस देओल ने दलील दी कि याचिका पर हाईकोर्ट सबूत पेश कर प्रमाणीकरण करवाने से पहले ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर सकता है।
रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह के एक सदस्यीय आयोग का गठन मौजूदा कांग्रेस सरकार ने किया था। आयोग द्वारा राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अकाली दल नेता सुखवीर बादल एवं विक्रम सिंह मजीठिया ने रिपोर्ट के खिलाफ बयान जारी किए थे। कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट में इस तरह के अपमान के खिलाफ दण्ड का प्रावधान है। रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह ने अकाली दल नेताओं द्वारा अपने खिलाफ दिए गए बयानों पर हाईकोर्ट में कार्रवाई के लिए याचिका पेश की है।
इस दिन होगी अगली सुनवाई
याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी। वकील एपीएस देओल ने बताया कि अब हाईकोर्ट को याचिका पर संज्ञान लेकर सुनवाई करना है। देओल ने कहा कि अकाली दल नेताओं ने विधानसभा के बाहर पत्रकारवार्ताओं में आयोग और आयोग सदस्य के खिलाफ बयान दिया। हाईकोर्ट बुधवार को सीडी देखकर आगे कार्यवाही बढायेगा। हाईकोर्ट को बताया गया है कि इस मामले में प्रारम्भिक साक्ष्य की जरूरत नहीं है और हाईकोर्ट सीधा संज्ञान ले सकते है। याचिका में सुखवीर बादल और विक्रम मजीठिया पर आरोप है।