राज्यपाल से मुलाकात के बाद राजभवन के बाहर मीडिया से बातचीत में अकाली दल के अध्यक्ष सुखवीर बादल ने कहा कि राज्यपाल से कैप्टेन अमरिंदर सिंह की सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि राज्यपाल को बताया गया है कि किस तरह कांग्रेस सरकार की ओर से लोकतांत्रिक मूल्यों को दरकिनार कर बुधवार को होने वाले पंचायतराज चुनावों में अपनी एकतरफा जीत के लिए अकाली-भाजपा उम्मीदवारों को नामांकनपत्र दाखिल करने से भी रोका जा रहा है। झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।
सुखवीर ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी निष्पक्ष भूमिका निभाने में नाकाम रहा है और वह कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त को तो अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। सुखवीर ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कट्टरपंथी सिखों से सांठगांठ की है। इस तरह वे पंजाब को पच्चीस साल पहले के उन्हीं हालात की ओर ले जाना चाहते हैं जबकि पंजाब में 15 साल के लिए अशांति का दौर शुरू हुआ था। वह मुख्यमंत्री दरबारा सिंह और ज्ञानी जैल सिंह के बीच की राजनीतिक कशमकश का नतीजा था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा है। सुखवीर ने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कट्टपंथी सिखो के बीच सम्बन्धों की जांच सीबीआई से कराई जाना चाहिए। उन्होंने करतारपुर काॅरिडोर खोलने के लिए पाकिस्तान के तैयार होने के मुद्ये पर कैप्टेन सरकार के केबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू की कडी आलोचना की और कहा कि वे इस मामले में झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धू राजनीति और गंभीर मुद्यों भी लाफ्टर शो की तरह ही समझ रहे हैं। सुखवीर ने सिद्धू द्वारा पत्रकारों के साथ किए गए दुर्व्यवहार की भी निंदा की।
सुखवीर ने कहा कि यदि कैप्टेन अमरिंदर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निर्वाचन क्षेत्र लाम्बी में रैली करने की बात कर रहे हैं तो अकाली दल मुख्यमंत्री के गृहनगर पटियाला में रैली करेगा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल पंजाब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक ने भी कहा कि कैप्टेन अमरिंदर सरकार ने रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट के जरिए झूठा दोषारोपण किया है। उन्होंने कहा कि रिटायर जस्टिस रणजीत सिंह तो मुख्यमंत्री का कठपुतली हैं। रिपोर्ट भी मनगढंत बनाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू द्वारा पत्रकारों के साथ किया गया दुर्व्यवहार निंदनीय है। उन्होंने कहा कि शहरी निकाय मंत्री के पद पर रहते हुए सिद्धू ने पिछले डेढ साल में एक भी विकास कार्य नहीं किया।