बच्चे फतेहवीर को बोरवैल से निकालने के लिए अनथक प्रयास किए गए थे लेकिन जब 11 जून के सुबह उसे बोरवैल से निकाला गया तब तक उसकी मुत्यु हो चुकी थी। करीब पांच दिन के अभियान की मेहनत व्यर्थ हो गई थी। प्रदेशभर में शोक व्याप्त हो गया था। विपक्ष ने इसे राज्य सरकार की नाकामी करार देते हुए आडे हाथ लिया था।
इस घटनाक्रम के चलते मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के सभी जिला उपायुक्तो को अपने जिलों में खुले बोरवैल बन्द करवाने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने बोरवैल बन्द करवाने के बाद रिपोर्ट भेजने को भी कहा था। मुख्यमंत्री के इन्हीं निर्देशों के तहत अब तक प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सौ बोरवैल ढके जा चुके है। अधिकारियों का कहना है कि बोरवैल बन्द करने का अभियान अभी कुछ दिन और जारी रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार 50 खुले बोरवैल तो भटिंडा जिले में ही बन्द किए गए है। पटियाला जिले में 18 बोरवैल बन्द किए गए है। भटिंडा के उपायुक्त बी श्रीनिवासन के अनुसार अभी जिले में और खुले बोरवैल की तलाश की जा रही है। पटियाला के उपायुक्त कुमार अमित के अनुसार अभी तक जिले में 18 बोरवैल बन्द किए गए है और बाकी बोरवैल बन्द करने का काम किया जा रहा है।
फतेहगढ साहिब जिले में 26 बोरवैल बन्द किए गए है। मानसा जिले में आठ, कपूरथला जिले में तीन, गुरदासपुर जिले में दो, रूपनगर व होशियारपुर जिले में एक-एक बोरवैल बन्द किए गए है। रूपनगर जिले में 19 बोरवैल लावारिस मिले। इनमें से एक बन्द कर दिया गया और बाकी को बन्द करने का काम चल रहा है। फिरोजपुर, फरीदकोट, मुक्तसर, तरनतारन जिलों में कोई बोरवैल खुला नहीं पाया गया।