कीमत बढ़ने का असर
एक दौर था जब डीजल और पेट्रोल की कीमत में काफी ज्यादा अंतर होता था, लेकिन समय के साथ-साथ ये अंतर काफी ज्यादा कम हो गया है।
दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि डीजल इंजन वाली गाड़ी पेट्रोल इंजन वाली गाड़ी से काफी ज्यादा महंगी आती है।
तीसरा कारण डीजल इंजन वाली गाड़ी को सिर्फ 10 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि पेट्रोल वाली गाड़ी को 15 साल तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
एक बार 2016 में दिल्ली और एनसीआर में 2 हजार सीसी से बड़े इंजन वाली इंजन डीजल गाड़ियों पर 8 माह तक प्रतिबंध लगा रहा था। डीजल इंजन की मियाद कम होती है, क्योंकि डीजल इंजन प्रदूषण भी ज्यादा फैलाते हैं। भारत सरकार प्रदूषण कम करना चाहती है, इसलिए बीएस-6 लाने का फैसला लिया है, जिसकी वजह से डीजल इंजन में बदलाव किए जा रहे हैं, जिसमें काफी खर्च बढ़ रहा है।
CNG है बड़ी वजह
सीएनजी एक विकल्प के तौर पर सामने आ रही है। सरकार भी प्रदूषण की रोकथाम और प्राकृतिक ईंधन की खपत को कम करने के लिए CNG पर ज्यादा जोर देती है। सीएनजी की कीमत डीजल से भी काफी कम है और इससे गाड़ी की माइलेज भी ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं इसका मेंटेनेंस डीजल वाहन के मुकाबले कम होता है और सीएनजी गाड़ी को भी 15 साल तक चलाया जा सकता है। जितने भी ज्यादा टैक्सी सर्विस वाले वाहन हैं, ज्यादातर सीएनजी पर ही चलते हैं और कई शहरों में सिर्फ सीएनजी वाले टैक्सी वाहन ही चलाए जा सकते हैं।