script1-2 नहीं बल्कि पूरे 3 तरह का होता है मोटर इंश्योरेंस, मुसीबत के वक्त ऐसे करें क्लेम | motor insurance policy, know how to claim at the time of accident | Patrika News

1-2 नहीं बल्कि पूरे 3 तरह का होता है मोटर इंश्योरेंस, मुसीबत के वक्त ऐसे करें क्लेम

locationनई दिल्लीPublished: Oct 09, 2018 04:43:58 pm

Submitted by:

Pragati Bajpai

हमारे सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट्स बहुत कॉमन हैं । ऐसे में कारों पर होने वाले इंश्योंरेश में भी तेजी देखने को मिल रही है।

car insurance

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नई दिल्ली: भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर एक बहुत बड़ा उद्योग है हर नए दिन के साथ न सिर्फ बाजार में बल्कि सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ती जैती है लेकिन अगर इंफ्रास्ट्रक्चर और ड्राइविंग स्किल्स की बात करें तो इन दोनो ही बातों की भारत में कमी है यही वजह है कि हमारे सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट्स बहुत कॉमन हैं । ऐसे में कारों पर होने वाले इंश्योंरेश में भी तेजी देखने को मिल रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत में नॉन लाइफ इंश्योरेंश की कुल प्रीमियम का लगभग 45 फीसदी मोटर इंश्योरेंस से आता है।

मोटर इंश्योरेंस का मतलब उन कारों, दुपहिया वाहनों और कमर्शियल वाहनों से है जो रोड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के तहत रजिस्टर्ड हैं। ज्यादातर डीलर वाहनों के खरीदारी के वक्त ही इंश्योरेंस कर देते हैं। भारत में करीब 25 नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जिनके देशभर में ऑफिस मौजूद हैं और ये सभी कंपनियां मोटर इंश्योरेंस भी बेचती हैं। 3,50,000 एजेंट वाली ये इंश्योरेंस कंपनियां अब ऑनलाइन इंश्योरेंस की सुविधा भी मुहैया करा रही हैं, जिसका लाभ कंपनी की वेबसाइट के जरिए सीधा उठाया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में मोटर इंश्योरेंस वहां मौजूद कॉमन सर्विस सेंटर्स के जरिए किया जाता है। तो अगर आपने अभी तक अपनी कार या बाइक का इंश्योरेंस नहीं कराया है तो तुरंत कराएं। चलिए आपको बताते हैं कि मोटर इंश्योरेंस कितने तरह के होते हैं।

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थर्ड पार्टी इंश्योरेंस-

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह तीसरे पक्ष के बीमा से संबंधित है। जब वाहन से कोई दुर्घटना होती है तो कई बार इसमें बीमा कराने वाला व बीमा कंपनी के अलावा एक तीसरा पक्ष भी होता है, जो प्रभावित होता है। यह प्रावधान इस तीसरे पक्ष यानी थर्ड पार्टी के दायित्वों को पूरा करने को लेकर है। यह पॉलिसी बीमा कराने वाले को नहीं, बल्कि जो तीसरा पक्ष प्रभावित होता है, उसे कवरेज देती है।

जीरो डेप्रिसिएशन इंश्योरेंस कवर-अगर किसी हादसे के चलते या अन्य वजह से आपकी गाड़ी को नुकसान पहुचंता है तो बीमा कंपनी दावे के अुनसार पूरी रकम का भुगतान करती है। बता दें, जीरो डेप्रिसिएशन का प्रीमिमय सामान्य कार बीमा से करीब 20 फीसद महंगा हो सकता है।

कांप्रेहेंसिव इंश्योरेंस- इसमें बीमा कराने वाले के वाहन का इंश्योरेंस भी शामिल होता है, जिसमें ऐक्सिडेंट, आग, चोरी, प्राकृतिक आपदा या आतंकवाद की चपेट में आने वाले वाहनों को इंश्योरेंस कवर मिलता है।

कैसे करें क्लेम-

थर्ड पार्टी क्लेम या फिर ऑन डैमेज क्लेम होते हैं। इसमें सिर्फ आपके वाहन का ही डैमेज कवर शामिल होता है। एक्सीडेंट के दौरान अगर आपको या फिर आपके वाहन को कोई नुकसान पहुंचता है तो आपको बीमा कंपनी और पुलिस को एक्सीडेंट की जानकारी देनी होती है।

गाड़ी ज्यादा बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त है तो इंश्योरेंस कंपनी की ओर से नियुक्त किया जाने वाला सर्वेयर इसका सर्वे करने आएगा और फिर इसे वर्कशॉप के एस्टिमेट के हिसाब से तैयार किया जाता है।

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