कई ऐप दे रहे अश्लीक कंटेंट को बढ़ावा
आज कल इंस्टाग्राम, टिकटॉक और हेलो जैसे प्लैटफॉम्र्स को मॉफ्र्ड (नकली) तस्वीरों की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लोग कंप्यूटर की मदद से तस्वीरें बदल कर अश्लील पोस्ट बना देते हैं। क्यूंकि ऐसे मंच हमारे दैनिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गए हैं, जहां पूरे भारत और सभी आयु समूहों के यूज़र्स इन प्लेटफॉम्र्स के माध्यम से अपनी फोटो और वीडियो अपलोड करते हैं, इन प्लेटफ़ॉर्म की यह जि़म्मेदारी बन जाती है कि गलत व अश्लील वीडियो अपलोड न हों। लेकिन अफ़सोस की बात है की ऐसे कॉन्टेंट को हटाने के बजाय, ये प्लेटफ़ॉर्म अश्लील कॉन्टेंट के बारे में कुछ नहीं करना चाहते हैं।
विदेशी प्लेटफार्म्स से कहीं बेहतर भारतीय विकल्प।
विदेशी कम्पनी हिंदुस्तान में प्रवेश करती हैं और हमें उनके कंटेंट का आदी बनाती हैं। ऐसा करने के बाद, ये कंपनियां हमारी परंपराओं और मूल्यों पर हमला करती हैं। इसी कारण से हमें सिर्फ अपने देश और देश की कम्पनियो का समर्थन करना चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की दुनिया में कई भारतीय विकल्प हैं। शेयरचैट और रोपोसो जैसे प्लेटफ़ॉर्म न केवल भारतीय सोशल प्लेटफ़ॉर्म हैं बल्कि ये विदेशी प्लेटफॉम्र्स के कहीं बेहतर विकल्प हैं।
भारतीय कंपनियां न केवल भारतीय मूल्यों को समझती व उनपे गर्व करती हैं, बल्कि वे भारत की विभिन्न भाषाओं का भी सम्मान करती हैं। रोपोसो पर जो भी वीडियो अपलोड किया जाता है, उसे पहले अश्लीलता के लिए मशीन द्वारा चेक किया जाता है। इसके बाद, इस ऐप के विभिन्न भाषा एक्सपर्ट यह तय करते हैं कि किस वीडियो को किस केटेगरी या चैनल (जैसे की म्यूजिक, स्पोट्र्स, न्यूज़, भक्ति, आदि) पर दिखाया जाना चाहिए। इस प्रकार से एक बार फिर ये देखा जाता है की विडिओ में कुछ अश्लील तो नहीं। इस सख्त प्रारूप के बाद भी, रोपोसो यूज़र्स को किसी भी विडिओ को अनुपयुक्त चिह्नित करने के लिए एक बटन दिया जाता है। रोपोसो, अपने यूज़र्स द्वारा मार्क किये गए कॉन्टेंट को फिर देखता है और अश्लीलता पाए जाने पर ऐसी वीडियो को हटा देता है। रोपोसो अपने मोबाइल ऐप पर अपने यूज़र्स को साफ़ और रचनात्मक वीडियो प्रदान करने के लिए ऐसा करता है।
भारतीय यूज़र्स की समस्याओं के बारे में बात करते हुए, रोपोसो के सीईओ और को-फाउंडर मयंक भंगडिया ने कहा, “इन विदेशी खिलाडिय़ों के बुरे प्रभाव को महसूस किए बिना यूज़र्स इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के काफी आदी हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव बच्चों व महिलाओं पर पड़ रहा है और वो अश्लीलता का टारगेट बन रहे हैं। हमारा देश हमें मूल्यों का सम्मान करना और हमारे बुजुर्गों, बच्चों व महिलाओं का सम्मान करना सिखाता है, और यह बात विदेशी कंपनियां नहीं समझ पाती हैं। हम अपने यूज़र्स को एक स्वच्छ मंच प्रदान करते हैं जिसमें कोई पॉर्न शामिल नहीं होता।”
एक बार फिर से विदेशी छोड़कर देसी अपनाने का समय आ गया है, जो की हमारे देश के हित में है। अब यह हमें तय करना है कि हमारे व हमारे बच्चों के लिए अच्छा क्या है – भारत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अश्लीलता फैलाने वाले विदेशी वीडियो प्लेटफॉर्म।
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