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जीएसटी में छोटे दुकानदारों, ट्रेडर्स को टैक्स में मिल सकता है बड़ा फायदा

Published: Apr 21, 2017 05:22:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की उम्मीद है। इसमें सरकार छोटे दुकानदारों, ट्रेडर्स और सभी तरह के एसएमई को टैक्स में बड़ी राहत दे सकती है।

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 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की उम्मीद है। इसमें सरकार छोटे दुकानदारों, ट्रेडर्स और सभी तरह के एसएमई को टैक्स में बड़ी राहत दे सकती है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार 20 से 50 लाख टर्नओवर लिमिट में आने वाले छोटे दुकानदारों और एसएमई को जीएसटी के सबसे कम यानी 1 फीसदी के दायरे में रख सकती है। 
इसके साथ ही महीने में रिटर्न भरने में भी छूट दे सकती है। इस वर्ग को तीन महीने में एक बार रिटर्न जीएसटी में फाइल करना होगा। टैक्स एक्सपर्ट आशीष पांडे ने बताया कि सरकार पर कम आय वर्ग के व्यापारियों का दबाव है। सरकार इस बात को भलीभांति समझ रही है। जीएसटी लागू होने के साथ ही और भी कई बदलाव छोटे व्यापारियों के लिए सरकार की ओर से की जाएगी।
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होंगे अनेक फायदे

चाटर्ड अकाउंटेट चित्रेष गुप्ता ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि जीएसटी में छोटे व्यापारियों, ट्रेडर्स, एसएमई, दुकानदार आदि जिनकी सालान टर्नओवर 20 से 50 लाख तक है वे लोअर टैक्स ब्रायकेट का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, लोअर टैक्स का लाभ वैसे दुकानदारों को सबसे ज्यादा मिलेगा जो डाइरेक्ट कस्टमर के साथ डील करते हैं। इसके साथ और भी कई फायदे मिलेंगे। अब तक जो कच्चे में काम करते थे उनका करोबार रजिस्टर्ड यानी पक्का हो जाएगा। इससे आने वाले वक्त में उनको बैंक से आसानी में लोन मिल पाएगी। वहीं, असंगठित से संगठित होने पर भी कम प्रतिस्पद्धी बनना होगा।
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55 फीसद असंगठित क्षेत्र

सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों के मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट (2015-16) के अनुसार लगभग 5 करोड़ 10 लाख एमएसएमई देशभर में 11 करोड़ 70 लाख लोगों को रोजगार देता है। इन सभी एसएमई की संयुक्त परिसंपत्ति मूल्य करीब 15 लाख करोड़ रुपए है। इनमें से अभी लगभग 55 प्रतिशत बिजनेस अभी असंगठित क्षेत्र का हिस्सा हैं।
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जीएसटी से संशय में आभूषण उद्योग

जीएसटी पर आभूषण उद्योग में असमंजय की स्थिति है। पीएनीजी ज्वेलर्स के सीएमडी और इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर सौरभ विद्याधर गाडगिल ने बताया कि हम सोने और मेकिंग चार्ज पर 1.25 फीसदी की दर से जीएसटी में टैक्स की मांग कर रहे हैं। अगर लग्जरी प्रोडक्ट की क्षेणी में रखकर ज्यादा टैक्स लगाया गया तो बुरा असर होगा। अभी तक सरकार से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
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