scriptशेयर धारकों की सहूलियत के लिए SEBI उठा सकता है ये बड़ा कदम | SEBI may take major decision to amend and bring new policy in favour of shareholders | Patrika News

शेयर धारकों की सहूलियत के लिए SEBI उठा सकता है ये बड़ा कदम

Published: May 13, 2016 09:06:00 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

कुछ देशों में कंपनियां अपने मुनाफे का एक नियमित हिस्सा लाभांश के तौर पर देती हैं। लेकिन भारत की कंपनियों द्वारा लाभांश की घोषणा के लिए कोई अनिवार्य नियम या नीति नहीं है।

sebi

sebi

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अनिवार्य रूप से लाभांश का खुलासा करने की नीति लाने की योजना है। इस कदम का मकसद आम शेयर धारकों को यह समझने में मदद करना है कि वे किसी कंपनी से कितने लाभांश की उम्मीद कर सकते हैं। फिलहाल कंपनियों द्वारा लाभांश की घोषणा के लिए कोई अनिवार्य नियम या नीति नहीं है। हालांकि कुछ कंपनियों ने स्वैच्छिक तौर पर लाभांश वितरण के लिए नीति बनाई हुई है।

सेबी की इच्छा है कि ऐसी नीति हर साल कंपनी की सालाना रिपोर्ट में शामिल हो। इसके साथ ही कंपनियां अपनी वेबसाइट पर भी इसे प्रकाशित करे। शुरुआत में सेबी बाजार मूल्य के हिसाब से शीर्ष 500 कंपनियों को ही इस नियम के दायरे में लाने पर विचार कर सकता है।
 
एक समान नीति बनाने की कवायद

सूत्रों ने कहा कि सेबी की योजना किसी कंपनी को लाभांश भुगतान के लिए दबाव डालने की नहीं है बल्कि कंपनियों के लिए एकसमान नीति बनाने की है। नियामक की मंशा है कि कंपनियां उन स्थितियों और वित्तीय मानदंडों का खुलासा करें, जिसके तहत वे लाभांश का भुगतान कर सकती हैं या नहीं कर सकतीं। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि सेबी कंपनियों से यह बताने को भी कह सकता है कि अगर वे लाभांश नहीं देना चाहती हैं तो कमाई को अपने पास बचाकर रखने का मकसद क्या है?
 
शेयरधारकों को नहीं मिलता लाभ में हिस्सा
लाभांश भुगतान के मामले में कई घरेलू कंपनियों ने अस्थाई नियम बनाए हुए हैं। उदाहरण के तौर पर 2014-15 में टाटा मोटर्स, रिलायंस पावर और ग्लेनमार्क ने अच्छा मुनाफा कमाने के बावजूद अपने शेयरधारकों को कोई लाभांश नहीं दिया। दूसरी ओर, वेदांत, टाटा स्टील और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी जैसी कंपनियों ने नुकसान के बाद भी लाभांश का भुगतान किया।
 

कंपनियों का तर्क
कुछ देशों में कंपनियां अपने मुनाफे का एक नियमित हिस्सा लाभांश के तौर पर देती हैं। हालांकि लाभांश की उम्मीद करना अल्पांश शेयरधारकों का है, लेकिन कारोबार में निवेश या संभावित अधिग्रहण का तर्क देकर कंपनी नकदी अपने पास रखने और लाभांश नहीं देने को सही ठहरा सकती है। फिलहाल सेबी कंपनियों को आईपीओ लाने के समय लाभांश नीति का खुलासा करने को कहता है।

ट्रेंडिंग वीडियो