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Exclusive : ठान लो, कामयाबी आपके कदम चूमेगी: चंदा कोचर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी ‘आधी आबादी’ का उत्सव…

Chanda Kochchar

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी ‘आधी आबादी’ का उत्सव… इस खास मौके पर हम आपको रूबरू करा रहे हैं देश की एक ऐसी शख्सियत से, जिसने अपनी काबिलियत के बल पर कामयाबी की बुलंदियों को छुआ… ये हैं चंदा कोचर। बैंकिंग सेक्टर में चंदा कोचर अपने काम की वजह से हमेशा सुर्खियों में रही हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि लाखों महिलाओं की रोल मॉडल चंदा कोचर ने सिफर से शिखर तक का सफर तय किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर चंदा कोचर से पत्रिका डॉट कॉम की एक्सक्लूसिव बातचीत…

आप पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक रोल मॉडल हैं, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को आप क्या संदेश देना चाहती हैं?


मैं देश की हर महिला से यही कहना चाहूंगी कि आज की दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं है, जिसे आप पूरा नहीं कर सकती हों। किसी काम को आप अन्यथा नहीं लें। आए दिन मैं समाचार सुनती-देखती हूं कि महिलाओं ने सारी बाधाओं को पार कर उन क्षेत्रों में सफलता हासिल की, जिन्हें पहले पुरुष वर्चस्व वाला माना जाता था, न केवल बिजनेस बल्कि खेल, विज्ञान एवं रक्षा के क्षेत्र में भी महिलाओं ने अपना वजूद कायम किया है। महिलाएं भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में शामिल हो रही हैं, वहीं एक पांव वाली महिला एवरेस्ट जैसे विशाल शिखर पर भारत का परचम लहराया। ये चंद ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे साबित होता है कि भारतीय महिलाएं भी अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकती हैं। यहां मैं सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि जहां तक आपकी महत्वाकांक्षाओं का सवाल है, तो यह आकाश तक अनंत हैं। आप सभी को खुद को समझने की जरूरत है… एक बार आप ठान लेंगी, तो सफलता आपके कदम स्वत: चूमने लगेगी।

महिलाओं को जीवन में अपने कार्य को संतुलित रखने के बारे में आपकी क्या सलाह है? कार्यक्षेत्र में एक कांच की जो दीवार है, उससे महिलाएं बाहर कैसे आ सकती हैं?


महिलाओं में दृढ़ संकल्प होने की आवश्यकता है तथा मैं ‘इसे कर सकती हूं’ की मनोदृष्टि का होना जरूरी है और यह काम और घर दोनों में संतुलित होना चाहिए। हां, यह आसान काम नहीं हैं, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। आप सभी को संकल्पित होने की आवश्यकता है, साथ ही कड़ी मेहनत करने की लग्नशीलता भी, ध्यान एवं टाइम मैनेजमेंट इसके लिए जरूरी है। आप काम और अपने जीवन दोनों स्थानों पर कुशल समय प्रबंधन, कड़ी मेहनत और सही प्राथमिकता के माध्यम से सफल हो सकती हैं। वास्तव में मैं महसूस करती हूं कि आप अपने १०० प्रतिशत प्रयास काम के लिए और १०० प्रतिशत प्रयास अपने घर के लिए करें और भावनात्मक जीवन के लिए २०० प्रतिशत प्रयास करें। समय के किसी भी बिंदू पर आपको उस समय के अनुसार प्राथमिकता तय करनी होगी और उस पर ध्यान देना होगा। जहां तक कार्यक्षेत्र में कांच की दीवार का सवाल है, वहां एक प्रेशर पॉइंट के रूप में काम करना चाहिए। मैं सोचती हूं कि महिलाओं में अपनी योग्यताओं पर विश्वास एवं आत्म विश्वास दोनों का होना जरूरी है। उनमें इस इच्छा शक्ति का होना जरूरी है कि जो काम उन्हें दिया जाए, उसे पूरा करें। मेरा मानना है कि जब महिलाएं नई चुनौतियों का सामना करने की इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करती हैं और विविध जिम्मेदारियां अपने पर लेती हैं, तब उन्हें विकास के सही अवसर मिल सकते हैं।

जब आपने आईसीआईसीआई बैंक जॉइन किया, तब क्या आपने सोचा था कि आप इस संस्थान के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैसे पद तक पहुंच पाएंगी?

मैंने जब आईसीआईसीआई बैंक में एक मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में जॉइन किया, तब मेरा लक्ष्य श्रेष्ठतम कार्य को करना था। मेरा तो आज भी यही प्रयास है कि मैं जिस कार्य को अपने हाथ में लूं उसे जितना हो सके श्रेष्ठतम तरीके से पूरा करूं। मेरे विचार से आपका ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि आप जो भी कर रहे हैं वह बेहतर हो, आपकी यह यात्रा कड़ी मेहनत और प्रयास से निश्चित तौर पर ऊपर की ओर बढ़ेगी।

आपकी तीन सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियां…इस पर क्या कहेंगी?

मेरा लक्ष्य इन बातों पर आधारित है- स्थायित्व, बैंक और इसकी इकाइयों के लिए लाभकारिता पूर्ण विकास मॉडल और सभी भागीदारों के लिए मूल्यों का सृजन। इसमें हमारे निवेशक और ग्राहक ही शामिल नहीं हैं बल्कि समाज और राष्ट्र भी इसका एक हिस्सा है। मेरा हमेशा से यही मानना रहा है कि आईसीआईसीआई बैंक का लक्ष्य वित्तीय सेवा प्रदाता या बैंक तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि भारत के विकास में एक उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) के रूप में यह काम करे।


आपने वुडरो विल्सन अवॉर्ड फॉर ग्लोबल कॉरपोरेट सिटीजनशिप जीता है, साथ ही आप अपनी संस्था के माध्यम से भी युवाओं के लिए कई काम किए हैं। समाज को दिए गए अपने इस योगदान के बारे में आपका क्या कहना है?

मेरा जहां तक मानना है कि किसी कॅरियर में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कारोबार या कम्पनी पर ही अपना प्रभाव छोड़ें, बल्कि देश और विशाल समाज पर भी इसका प्रभाव परिलक्षित होना चाहिए। बैंकिंग के अतिरिक्त, हमने अपने देश के साथ राष्ट्र निर्माण में भी भागीदारी की है और ऐसे कदम उठाए हैं, जिनका समाज पर बेहतर प्रभाव पड़ सके। इनमें से ग्रामीण सशक्तिकरण एवं कौशल विकास दो ऐसे प्रमुख पहल हैं, जिनके माध्यम से हम समाज के प्रति अपना योगदान दे सकते हैं। हमने १०० गांवों को डिजिटल विलेज के रूप में बदलने की चुनौती को हाथ में लिया है, यह एकीकृत ग्रामीण बदलाव कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में शामिल है इन गांवों में भुगतान का डिजिटाइजेशन करना, इन गांवों के वंचित युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना तथा इन्हें ऋण सुविधाएं उपलब्ध करवाना तथा ग्रामीणों को बाजार से जोडऩा है। अब हमने इस डिजिटल विलेज कार्यक्रम को देश भर के 600 गांवों तक विस्तार करने की योजना बनाई है, जिससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लाखों लोग इस पहल से सशक्त हो सकेंगे।


आपने बैंक में कार्य करने का फैसला क्यों लिया? क्या आकर्षण था इस कॅरियर में?


बचपन में जब में जयपुर में पढ़ रही थी, तो मेरी महत्वाकांक्षा एक आईएएस अधिकारी बनने की थी, यद्यपि जब मैं देश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुम्बई में रहने को आई, तो यहां आकर बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में निरंकुष अवसर मेरे लिए खुले हुए थे। इससे मेरा हौसला बढ़ा और मैंने जय हिन्द कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। मैंने कॉस्ट अकाउंटेंसी में डिग्री प्राप्त करने के लिए आईसीडब्ल्यूएआई में भी अपना नामांकन करवाया। उसके बाद जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। मैं हमेशा से ही गणित में अच्छी रही और इस सब्जेक्ट में मुझे अच्छे अंक भी काफी आसानी से मिले, जिससे मुझे मेरे ग्रेजुएट सेलेबस और प्रोफेशनल स्टडीज में काफी मदद मिल सकी। मैंने अपना पहला इंटरव्यू आईसीआईसीआई में दिया, जहां से मुझे जॉब की ऑफर मिली। यह मेरा पहला जॉब था और मैं लगातार इस ग्रुप के साथ बनी रही और वर्तमान में भी इसी ग्रुप से जुड़ कर कार्य कर रही हूं। मुझे लगता है कि मुझे बैंकिंग और वित्त में आकर्षित करने वाली विभिन्न परियोजनाएं थीं, जिन पर मैं काम कर रही थी। मेरे कॅरियर में, मुझे कई असाइनमेंट में काम करने का अवसर दिया गया है और इन संभावनाओं के चलते ही आज तक यह क्षेत्र मुझे आकर्षित कर रहा है।


आपने अपने संस्थान में महिलाओं की प्रतिभागिता के लिए किस प्रकार की नीतियां बनाई हैं?

हमने लगातार माइलस्टोन को प्राप्त करने के लिए काम किया है, जो कि बैंक का रुख लिंग तटस्थता और प्रतिभा को और मजबूती प्रदान करता है। हमारे कर्मचारियों में ३० प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है। इनमें से कई महिलाएं बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन का हिस्सा हैं और कुछ ग्रुप के प्रमुख व्यवसायों और कार्यक्रमों में शीर्ष भूमिका निभा रही हैं। यह सब ग्रुप की प्रमुख नीतियों के कारण संभव हो सका है। मसलन, लिंग तटस्थता, बचाव एवं सुरक्षा और जीवन-स्तर की आवश्यकताओं पर जोर देना।

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