11 साल अटकी परियोजना अटकी
हांलाकी अभी तक भारत ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया हैं दोनो ही देशों के बीच इस समझौते में बने रहने पर बातचीत चल रही हैं। दोनो देश लागत को उचित तरीके से साझा करने का कोई तरीका निकालने की पूरी कोशिश में लगे हुए है। भारत ने रूस से अत्यधिक लागत लागने को लेकर चिंता जताई हैं। बता दे की इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और तैयार किए जाने वाले विमानों की संख्या के मसले पर भारत और रुस के बीच गंभीर मतभेद चल रहे हैं। जिसके कारण पिछले 11 साल से यह परियोजना अटकी हुई है।
रूस के सामने भारत का पक्ष
भारत ने परियोजना की लागत समेत तमाम मसलों पर अपनी राय रूस के सामने रख दी है। लेकिन रूसी पक्ष की ओर से अब तक कोई जावाब नहीं आया हैं। दरअसल भारत ये चाहता है कि विमान में इस्तेमाल होने वाली तकनीक पर दोनों देशों का समान अधिकार हो, लेकिन रूस विमान में इस्तेमाल की जाने वाली सभी अहम तकनीकों को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों की माने तो अगर रूस भारत के पक्ष को नहीं मानेगा तो भारत इस समझौते से निकाल जायेगा। भारत का पक्ष सुनने के बाद भी रुस का कोई प्रतिक्रिया न देना इससे तो यहीं लग रहा हैं की रूस भी इस समझौते को आगे नही बढ़ाना चाहता हैं।