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योग के साथ एक उच्च-प्रभावी जीवनशैली पाएं, अपने तन, मन और आत्मा को खुशहाल बनाएं

डॉ. बिनिता प्रियाम्बदा – सीनियर कन्सलटेंट, मेडिकल टीम, डॉकप्राइम.कॉम

नई दिल्लीJun 23, 2019 / 08:16 am

manish ranjan

Yoga

योग के साथ एक उच्च-प्रभावी जीवनशैली पाएं, अपने तन, मन और आत्मा को खुशहाल बनाएं

बात चाहे आपके फिटनेस लक्ष्य की हो या अध्यात्म के करीब जाने की कोशिश, योग आपकी हर ज़रूरत के लिए एक कारगर थेरपी बन सकता है। योग की लोकप्रियता और इसका प्रभाव, दोनों ही लगातार बढ़ रहे हैं और इसका अधिक से अधिक प्रसार करने के लिए दुनिया भर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है।
इस पद्धति का नामकरण संस्कृत शब्द “यूजी” से हुआ है और जिसका शाब्दिक अर्थ जुड़ना या मिलना है। योग एक 5000 वर्ष पुरानी क्रिया है जो मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का मिलन कराती है। योग का जन्म उत्तरी भारत में हुआ था और तब से यह लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। दुनिया भर के अधिकांश देशों ने शीरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग को बेहद मददगार पाया है और इसे अपनी स्वास्थ्य एवं फिटनेस गतिविधियों में भी शामिल किया है। लेकिन अभी हाल के वर्षों में पश्चिमी देशों ने योग के एक बड़े फायदे के रूप में यह जाना है कि यह समग्र रूप से स्वास्थ्य बेहतर बनाता है और हमें खुशहाल रखता है। ब्लादिमिर पुतिन द्वारा डाउनवर्ड डॉग यानि अधो मुख स्वनासन करने से लेकर अमेरिकी लोगों द्वारा हाथ योगा के जरिये सुकून हासिल जाने तक, दुनिया भर में हर कोई इस थेरपी के फायदे पहचान चुका है।
मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर योग का प्रभाव
योग एक प्राचीनभारतीय क्रिया है। इसका महत्व आसनों और प्राणायाम से कहीं बढ़कर है। योग शाब्दिक मायनों में योगियों के लिए है जिसका उद्देश्य दैवत्व प्राप्त करना होता है। आधुनिक दौर में योग का महत्व थेरपी, फिटनेस, मानसिक सजगता और शांतिपूर्ण जीवनशैली के रूप में काफी बढ़ा है। जो लोग नियमित रूप से इसका अभ्यास करते हैं, वो ना सिर्फ बेहतर महसूस करने और वजन घटाने में सफल होते हैं, बल्कि उनके लिए यह अपनी बिमारियों के नकारात्मक प्रभावों को टालने या घटाने का प्रभावशाली साधन भी बना है। हमने योग के फायदों की पुष्टि के लिए किये गए क्लिनिकल परीक्षणों को देखते हुए अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, जो यहां बताई जा रही हैः
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योगःयोग के बारे में यह माना जाता है कि यह मानसिक तनाव घटाने में सक्षम है और मानसिक एवं शारीरिक आराम देता है। रोजाना सिर्फ 15 मिनट के लिए योग करने से कोर्टिसोल और कैटेकोलामाइन हॉर्मोन उत्पन्न होता है, जो “फाइट या फ्लाइट” सिंड्रोम के जरिये शरीर में ऊर्जा पैदा करने के साथ तनाव से भी लड़ते हैं।
नियमित रूप से योग करने से लोगों को तनाव एवं अच्छे स्वास्थ्य के प्रति अपना दृष्टिकोण बेहतर बनाने में मदद मिलती है। हालांकि, इस बात के कोई निर्णायक परिणाम नहीं मिले हैं, जो यह साबित करते हों कि योगाभ्यास करने से तनाव जनित मानसिक विकारों के प्रभाव और लक्षण ठीक हो सकते हैं।
दिल की बीमारियों के लिए योगःअगर आप अपने हृदय एवं फेफड़ों का स्वास्थ्य बेहतर बनाना चाहते हैं तो योग एक अच्छी शारीरिक गतिविधि है। एक अध्ययन के अनुसार, योगाभ्यास करने वाले लोगों का ब्लड प्रेशर और पल्स रेट उन लोगों से कम होता है जो योग नहीं करते। योग से आपके शरीर में ऑक्सिजन की पूर्ति बेहतर होगी, घर और ऑफिस मेंकार्य उत्पादकता बढ़ेगी, एनेरोबिक थ्रेसोल्ड और ब्लड लैक्टेट भी बेहतर होता है। दवाओं के साथ योगाभ्यास करने से ब्लड प्रेशर घटाने में मदद मिलती है। दिलचस्प बात तो यह है कि रोज़ाना सिर्फ एक घंटे योग करना, हायपरटेंशन मरीज़ों में ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए किसी मेडिकल थेरपी जितना ही प्रभावशाली होगा। कुछ अन्य क्षेत्रों में भी योग का फायदेमंद होना प्रमाणित हुआ है, लेकिन दिल की बीमारियों के लिए योग से निश्चित उपचार/रोकथाम होने की बात प्रमाणित करने के लिए थोड़े और शोध की ज़रूरत होगी।
आर्थराइटिस के लिए योगःआर्थराइटिस से जुड़ी विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक तकलीफों से जूझ रहे लोगों के लिए भी योग एक फायमंद क्रिया के रूप में जाना जाता है। नियमित योगाभ्यास से जोड़ों की कार्यशीलता बेहतर बनाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही शारीरिक तनाव घटाते हुए नींद लेना आसान बनता है। योग करने से बार-बार उठने वाला जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है। हालांकि, दर्द को नियंत्रित करने में योग के प्रभावों से जुड़े अध्ययन काफी कम हैं, लेकिन संशोधित आयंगर योग का रोजाना 90 मिनट तक अभ्यास करने से आर्थराइटिस मरीज़ों में स्पष्ट परिणाम देखने मिले हैं। लेकिन मेरी यही सलाह होगी कि आर्थराइटिस पीड़ित लोगों को एक प्रशिक्षित योगा ट्रेनर के मार्गदर्शन में ही योगाभ्यास करना चाहिए।
पीसीओएस के लिए योगःPCOS एक कम गंभीर स्थिति है और एक स्वस्थ एवं स्वच्छ जीवनशैली अपनाने से इसके प्रभाव कम किये जा सकते हैं। विभिन्न अध्ययनों में PCOS होने के दौरान योगाभ्यास के फायदों का समर्थन किया गया है। कम तनाव स्तर के दौरान योग करने से शरीर का पेल्विक एरिया खुलता है और राहत मिलती है। PCOS से पीड़ित महिलाओं के लिए ऐसे कई आसन हैं जो उन्हें लगभग 5-10% वजन घटाने में मदद करते हैं और इसके चलते उनका माहवारी चक्र नियमित बनता है।
उपरोक्त स्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए योग एक सुरक्षित एवं कम-असरदार प्रक्रिया है। इसके बावजूद आपको हमेशा एक विशेषज्ञ की निगरानी में ही योगाभ्यास करना चाहिए। वहीं, अगर आप अपनी किसी तकलीफ पर नियंत्रण पाने के लिए योगाभ्यास करना चाहते हैं, तो अपना मेडिकल इलाज बंद ना कराएं ना ही अपने डॉक्टर के पास जाना बंद करें।
आपके फिटनेस स्तर के हिसाब से ऐसी कई योग क्रियाएं और योगासनों के मिश्रण हैं जिन्हें आप आजमा सकते हैं। लेकिन अपने व्यवहारिक उपचार के स्थान पर योग को अपनाने से आप आवश्यक देखभाल से दूर हो सकते हैं। योग एक उच्च-प्रभावी और सक्रिय जीवन हेतु मददगार क्रिया है।

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