scriptभारत के आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए मोदीनोमिक्स के सात महत्वपूर्ण कदम | 7 key points of Modinomics in indian economy in last 4 years | Patrika News

भारत के आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए मोदीनोमिक्स के सात महत्वपूर्ण कदम

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2018 01:34:28 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

(श्री अजय बोडके, सीईओ और मुख्य पोर्टफोलियो प्रबंधक – पीएमएस)

Modinomics

भारत के आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए मोदीनोमिक्स के सात महत्वपूर्ण कदम

आर्थिक मोर्चे पर मोदी को मिली थी बहुत ही खस्ताहाल विरासत
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार ने 26 मई 2018 को अपने कार्यकाल के चार साल पूरे किए हैं। जब मोदी सत्ता संभाले थे उनको एक ऐसी खराब अर्थव्यवस्था मिली थी, जिसको वैश्विक और घरेलू दोनों निवेशकों ने मुंह मोड़ लिया था। यूं कहें तो निवेशकों का भरोसा डगमगाया था। निवेशक ही नहीं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने भी रेटिंग को गिरा दिया था। अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति खराब होने की संभावना और बड़ी हो रही थी। केंद्र में पिछले सरकार के आखिरी कुछ वर्षों में वित्तीय और चालू खाता घाटे की बढ़ोतरी, मुद्रास्फीति बढ़ने का दबाव, रुपये के गिरने से अर्थव्‍यवस्‍था में एक अभूतपूर्व उथल-पुथल देखा गया था। इसके साथ ही घोर पूंजीवादी व्यवस्था का बोलबाला था। कुछ खास लोगों के लिए देश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन की छूट दी गई थी। ऐसे में मोदी के लिए एक खस्ताहाल अर्थव्‍यवस्‍था जहरीले प्याला के समान था। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पिछले चार में सरचनात्‍मक सुधार के कई कदम उठाए गए हैं। इसके चलते भारत जो दुनिया के पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था (जीडीपी के लिहाज से) है ने सबसे तेजी से विकास करना शुरू कर दिया है।

GST

जीएसटी ने कारोबारियों एवं व्यापारियों के लिये काम करना सुगम बनाया और कर संग्रह बढ़ाया
स्वतंत्रता के बाद से सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर सुधार माल और सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत के माध्यम से लॉजिस्टिक, वितरण और निर्माण वास्तुकला में जहां क्रांतिकारी बदलाव आया। इसका फायादा कारोबारी से लेकर उपभोक्ताओं को मिला। कारोबारी लागत कम होने से कुशल, स्केलेबल और उपभोक्ताओं तक आसान पहुंच कारोबारियों की हुई। जीएसटी लागू होने से कर चोरी पर शिकंजा कसा है। संगठित के साथ असंगठित क्षेत्र भी कर देने लगे। इससे सरकार के कर संग्रह में वृद्धि हुई है। जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा मिला कि राज्‍यों के सीमा पर कारोबार बाधा को खत्‍म हो गया। साथ ही सभी राज्‍यों में वस्तुओं की समान कीमत करना संभव हो पाया।

IBC

आईबीसी: भारत की वित्तीय रूप से कमजोर कॉर्पोरेट संस्थाओं को पुनर्जीवित करने का टिकाऊ रास्ता
बैंकों के लाखों करोड़ रुपये ऐसी परियोजनाओं में फंसे थे जो घाटा का सौदा था। इसके चलते फंसे हुए कर्ज (एनपीए) बढ़ने से बैंकों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई। बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए मोदी सरकार ने दिवालियापन और दिवालियापन (आईबीसी) कानून में संशोधन किया। विश्व बैंक के एक अध्ययन से पता चलता है कि आईबीसी कानून में संशोधन से पहले किसी एक मामले के समाधान के लिए औसतन 4.3 साल लगते थे जो अब 270 दिनों के भीतर पूरा होना है। अब तक कर्ज देने वाले बैंक को प्री-आईबीसी रिजॉल्यूशन के तहत एक रुपये के बकाया रकम का केवल केवल 26.4 मिलता था। नए आईबीसी कानून के तहत अब इसमें सुधार हो कर ज्‍यादा और आसानी से मिलने की उम्‍मीद है।

Notbandi

नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करने के साथ कर चोरी करने वाले, आतंकवादी को धन मुहैया कराने वाले और अवैध तरीके से धन जमा करने वाले पर बड़ा हमला किया
नोटबंदी से पहले भारतीय जीवन शैली की एक दुखद विशेषता थी कि वह नकद पर अत्यधिक निर्भर थी। इसने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को एक समांतर अर्थव्यवस्था बना दिया जो पारदर्शिता की कमी के चलते कर चोरी को बढ़ावा दिया। इसके चलते सुरक्षा एजेंसियों के लिए कर चोरी पकड़ना भी बड़ी चुनौती थी। नोटबंदी ने म्यूचुअल फंड और बीमा उद्योगों के विकास के लिए सहायता के रूप में कार्य किया क्योंकि बैंक में रखे किए गए धन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इन मध्यस्थों (एमएफ और बीमाकर्ताओं) के माध्यम से इक्विटी बाजारों में स्थानांतरित हो जाता है। इस अच्‍छे कदम से घरेलू संस्थागत निवेशकों के मुकाबले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की संख्‍या में और विस्तार हुआ है। घरेलू खुदरा निवेशकों के एक व्यापक वर्ग के बीच टिकाऊ इक्विटी संस्कृति बनाई गई है।

प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने से सरकारी खजाना भरा
देश के प्राकृतिक संसाधनों के लूट-खसोट रोकने के लिए मोदी सरकार ने पहला काम नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया। संसाधनों को सही कीमत मिले इसके लिए प्रतिस्पर्धी नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई। कोयले, अन्य खनिज, स्पेक्ट्रम, भूमि इत्यादि जैसे प्राकृतिक संसाधनों की अब नीलामी विवेकाधिकार की इच्छाओं पर आवंटित नहीं किए जाते हैं। इसका फायदा सरकारी खजाने को मिला। प्रतिस्पर्धी माहौल को प्रोत्साहित करने और पारदर्शिता को बढ़ाने का फायदा अंतत: सरकारी खजाना और इसका भारतीय नागरिकों को मिल रहा है। सरकार कल्याणकारी योजना पर अब ज्‍यादा खर्च कर पा रही हैं।

Infrastructure

भारी पूंजीगत निवेश के माध्यम से सड़कों, रेलवे और बिजली संचरण में इन्फ्रा बाधाओं को दूर किया गया
पूंजी की कमी के कारण देश की बड़ी इन्‍फ्रा परियोजनाएं की चाल सुस्त हो गई थी। सड़क, रेलवे, बिजली संचरण इत्यादि जैसे भारत के बुनियादी ढांचे क्षेत्र को कमजोर रही थीं। मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में भारी निवेश किया। परिवहन क्षेत्रों में निवेश ने मध्यम और लंबी अवधि तक आर्थिक गतिविधि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह तेजी से बदलाव के समय, बेहतर कनेक्टिविटी और और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने के माध्यम से नौकरी निर्माण और विकास के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करता है। सरकार ने पिछले 4 वर्षों में सरकार और रेलवे में एक-एक लाख करोड़ रुपये का निवेश निर्धारित किया है।

MOnetary Policy

मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते के माध्यम से संबोधित उच्च मुद्रास्फीति को कम किया
मोदी सरकार के आने से पहले ऊंची मुद्रास्फीति दर एक बड़ी चुनौती थी। वर्तमान सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत आरबीआई अधिकतम सहनशील उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर पर मूल्य स्थिरता प्राप्त करने के लिए लक्षित करता है। इस प्रकार सरकार ने मध्यम अवधि में उपभोक्ता मुद्रास्फीति को 4% (2% के मानक विचलन के साथ) के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के लिए आरबीआई को जिम्मेदार बनाया है। इससे महंगाई को कम करने में मदद मिली।

वित्तीय समावेशन के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, जाम से पारदर्शिता बढ़ना और गड़बड़ी रोकना
मोदी ने वित्तीय समावेश को बढ़ाने के लिए जाम (जन धन योजना, आधार और मोबाइल) की त्रिमूर्ति पर भारी जोर दिया है। लाभार्थियों के पूर्ण प्रमाण प्रमाणीकरण सुनिश्चित करना और गलत लाभार्थियों पर रोक लगाना शामिल हैं। जन धन योजना के माध्यम से 310 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, ग्रामीण इलाकों में उनमें से तीन में से पांचवें हिस्से के साथ 73,690 करोड़ रुपये की कुल राशि जमा है। इन खाता धारकों को डेबिट कार्ड और बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच प्राप्त होती है।

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