समाजसेवी तसनीम मर्चेंट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। मुस्लिम महिलाओं की कुछ हद तक इनके हितों की रक्षा होगी। यह तलाक का एक तरीका भर है। मुस्लिम समुदाय यह नहीं सोचा की इससे तलाक होना बंद हो जाएंगे। गैर मुस्लिम यह न सोचे की मुस्लिमों के खिलाफ यह फैसला आया है। यह मामला इस्लाम धर्म और इस्लाम के फालोअर का इंटरनल है, इसे आपस में ही निपटाने देना चाहिए।
तसनीम मर्चेंट।
अधिवक्ता शमीम आजाद ने कहा कि तीन तलाक से महिलाओं को तकलीफ होती है। कई महिलाएं ऐसी है जिनके पास रुपए नहीं होते मायका पक्ष आर्थिक रूप से कमजोर होता है, ऐसे में कई मौत को गले लगा लेती है। कोर्ट का जो फैसला आया है इससे महिलाओं की जिंदगी सुरक्षित होगी। क्योंकि महिलाएं भी देश की गाड़ी का एक पहिया उसे उसका सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन इस्लाम के हिसाब से तलाक ले तो पुरुषों को समझना चाहिए कि महिलाएं उनके सम्मान से भी जीए।
शमीम आजाद