scriptतीन तलाक से पीडि़त है बुरहानपुर की महिलाएं, सुने उनकी ही जुबानी | Three of the victims of divorce are women of Burhanpur they have listened to their | Patrika News

तीन तलाक से पीडि़त है बुरहानपुर की महिलाएं, सुने उनकी ही जुबानी

locationबुरहानपुरPublished: Aug 22, 2017 11:46:00 pm

Submitted by:

ranjeet pardeshi

पुरुषों ने तीन तलाक को हथियार बना लिया, जबकि इस्लाम का कानून सख्तदो बार निकाह के बाद भी मां के घर रह रही शाहीदा बानो

 Three of the victims of divorce are women of Burhanpur, they have listened to their

Three of the victims of divorce are women of Burhanpur, they have listened to their

बुरहानपुर. तीन तलाक से शहर में ऐसी कई पीडि़त महिलाएं हैं, जो आज अपने पति का घर छोड़कर मां के घर जीवन यापन कर रही है। इसमें से ही एक है मोमीनपुरा की शाहीदा बानो, जिसका दो बार निकाह होने के बाद भी दोनों पतियों ने तीन तलाक का फायदा उठाकर उसे छोड़ दिया। अब शाहीदा सिलाई मशीन कर अपना जीवन यापन कर रही है।
मोमिनपुरा की शाहीदा बानो ने कहा कि इस्लाम में जो तीन तलाक का नियम है यह बहुत सख्त है, लेकिन पुरुषों ने इसे अपना हथियार बना लिया है बस मुंह में आया तलाक और निकाल दिया अपनी पत्नी को घर से। इसी की पीड़ा मैं झेल रही हूं। 1995 में शाहीदा का पहला निकला हुआ था। एक साल तक ससुराल में रहने के बाद घर में झगड़े शुरू हुए और बस समाज के लोगों के बीच बैठकर फैसला ले लिया की दोनों अलग रहेंगे। यहां भी पति ने लिखित में दे दिया कि मैं तलाक चाहता हूं। दस साल अपने पिता मोहम्मद हबीब के घर रहने के बाद फिर महलगुलारा में दूसरे से निकाह हुआ। यहां तीन माह बाद जब ईद मनाने अपने मायके आई तो पंद्रह दिन बाद घर बैठे मेरे पति ने तलाक लिखकर नोटिस पहुंचा दिया कहा दिया कि मैंने तुमको तलाक देता हूं। इसके बाद मैंने मुस्लिम समाज के बड़े लोगों से मिली सभी ने यह कहा कि उसने तलाक लिखकर भेजा तो तलाक हो गया। मदरसा गई काजी साहब से मिली उन्होंने कहा तलाक देने के बाद शोहर के घर आपका जाना गलत है। बस यह बात सुनकर मैं न कोर्ट गई न पति के घर। तब से अपना जीवन अपने पिता के घर बीता रही हूं। उसकी मां का भी बीमारी के चलते निधन हो गया। शाहीदा ने कहा कि सिलाई मशीन चलाकर जीवन यापन कर रही हूं।
पुलिस बनकर सबक सीखाना चाहती थी
शाहीदा ने कहा कि वह १२वीं कक्षा पढ़ी है और पुलिस बनकर ऐसे पुरुषों को सबक सीखाना चाहती थी, लेकिन मैंने कांस्टेबल की परीक्षा भी दी उसमें फेल हो गई और दो बार फोरेस्ट गार्ड की भी परीक्षा दी। बार-बार परीक्षा देने में रुपए भी लग रहे हैं। इसलिए अब सब सपना छोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही
शाहीदा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही है। तीन तलाक बंद होना चाहिए। इस्लाम का कानून बहुत सख्त है, लेकिन इसे कई मुस्लिमों ने आसान समझ लिया। तलाक के बाद महिलाओं के हक मिलना चाहिए।
शाहीदा बोना।
यह मुस्लिम धर्म का इंटरनल मामला
समाजसेवी तसनीम मर्चेंट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। मुस्लिम महिलाओं की कुछ हद तक इनके हितों की रक्षा होगी। यह तलाक का एक तरीका भर है। मुस्लिम समुदाय यह नहीं सोचा की इससे तलाक होना बंद हो जाएंगे। गैर मुस्लिम यह न सोचे की मुस्लिमों के खिलाफ यह फैसला आया है। यह मामला इस्लाम धर्म और इस्लाम के फालोअर का इंटरनल है, इसे आपस में ही निपटाने देना चाहिए।
 तसनीम मर्चेंट।
तीन तलाक से महिलाएं तकलीफ में
अधिवक्ता शमीम आजाद ने कहा कि तीन तलाक से महिलाओं को तकलीफ होती है। कई महिलाएं ऐसी है जिनके पास रुपए नहीं होते मायका पक्ष आर्थिक रूप से कमजोर होता है, ऐसे में कई मौत को गले लगा लेती है। कोर्ट का जो फैसला आया है इससे महिलाओं की जिंदगी सुरक्षित होगी। क्योंकि महिलाएं भी देश की गाड़ी का एक पहिया उसे उसका सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन इस्लाम के हिसाब से तलाक ले तो पुरुषों को समझना चाहिए कि महिलाएं उनके सम्मान से भी जीए।
शमीम आजाद
 Three of the victims of divorce are women of Burhanpur, they have listened to their
Patrika IMAGE CREDIT: Patrika
 Three of the victims of divorce are women of Burhanpur, they have listened to their
Patrika IMAGE CREDIT: Three of the victims of divorce are women of Burhanpur, they have listened to their
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो