scriptक्रेशरों से उड़ रही धूल से सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित होने का खतरा मंडराया | There is a danger of getting affected by silicosis disease due to dust flying from crushers | Patrika News
बूंदी

क्रेशरों से उड़ रही धूल से सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित होने का खतरा मंडराया

बरड़ क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक क्रेशर प्लांट संचालित हैं। क्रेशर प्लांट संचालन के लिए सरकार के नियम निर्धारित है, लेकिन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

बूंदीApr 22, 2024 / 11:49 am

Narendra Agarwal

क्रेशरों से उड़ रही धूल से ग्रामीणों में सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित होने का खतरा मंडराया

क्रेशर प्लांट

डाबी. बरड़ क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक क्रेशर प्लांट संचालित हैं। क्रेशर प्लांट संचालन के लिए सरकार के नियम निर्धारित है, लेकिन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। क्रेशर संचालकों को संचालन की अनुमति देते समय स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय नियम के पालन के शपथ पत्र लिए जाते हैं। क्रेशर प्लांट परिसर में पेड़-पौधे लगाया जाना, समय समय पर पानी का छिडक़ाव करवाया जाना, कार्मिकों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाना सहित कई नियमों की पालना नहीं करवाई जाती है। जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण क्रेशर संचालक नियमों की पालना नहीं कर रहे है। पराणा के आसपास के लोग धूल के कणों से त्रस्त हो चुके हैं, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल है। क्रेशर प्लांट से उडऩे वाली धूल से ग्रामीणों को प्रदूषण से बचाने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। क्रेशर संचालकों ने हाइवे से ङ्क्षलक रोड़ पर जाने के लिए नाले के ऊपर कई जगह अवैध तरीके से अस्थाई सडक़ें बना रखी है, जो कई मर्तबा दुर्घटना का कारण बन चुकी है।
सिलिकोसिस का खतरा
क्रेशर प्लांट तीन से चार किमी के आवासीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर और आसपास रहने वाले लोगों में सिलिकोसिस होने की संभावना रहती है। यह करीब एक किमी क्षेत्र की खेती को भी गंभीर रूप से नष्ट करते हैं। इनके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है। मशीनों को कवर्ड करने के साथ ही पानी का छिडक़ाव नहीं किया जाता। क्रेशर प्लांटो के आसपास क्षेत्र में हमेशा 24 घंटे धूल उड़ती रहती है। नियमानुसार खनिज, प्रदूषण, स्थानीय प्रशासन को निगरानी रखना चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
नहीं कर रहे निर्धारित मानकों का पालन
क्रेशर मालिक निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे, जिससे स्थानीय ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं। क्रेशरों का संचालन मुख्य मार्गों से 50 से 100 मीटर के दायरों पर होना चाहिए, लेकिन यह आबादी से सटे हुए है। इस क्रेशर में पत्थरों के पीसने से धूल उड़ती है, जो धुंध बनकर आसपास के वातावरण में छा जाती है। क्रेशर में नियमों का पालन कराया जाए तो यह धूल ग्रामीणों के लिए समस्या ना बने, लेकिन संबंधित विभागीय अधिकारी यहां पर्यावरण मानकों का पालन नहीं करवा पा रहे हैं। क्रेशर के चारदीवारी के भीतर पानी का छिडक़ाव करवाना होता है।
नहीं कर रहे निर्धारित मानकों का पालन
क्रेशर मालिक निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे, जिससे स्थानीय ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं। क्रेशरों का संचालन मुख्य मार्गों से 50 से 100 मीटर के दायरों पर होना चाहिए, लेकिन यह आबादी से सटे हुए है। इस क्रेशर में पत्थरों के पीसने से धूल उड़ती है, जो धुंध बनकर आसपास के वातावरण में छा जाती है। क्रेशर में नियमों का पालन कराया जाए तो यह धूल ग्रामीणों के लिए समस्या ना बने, लेकिन संबंधित विभागीय अधिकारी यहां पर्यावरण मानकों का पालन नहीं करवा पा रहे हैं। क्रेशर के चारदीवारी के भीतर पानी का छिडक़ाव करवाना होता है।
गत दिनों कुछ शिकायत मिली थी। चांच करवाई जाएगी। मिट्टी से बचाव के लिए जो भी संभव प्रयास होंगे वह करवाए जाएंगे।
यशवंत डामोर, अधीक्षण खनिज अभियंता, कोटा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो