बूंदीPublished: Sep 19, 2018 10:01:23 pm
Nagesh Sharma
आंतरदा गांव में बुधवार को सर्परूपी दहेलवालजी की सवारी गाजे-बाजे के साथ निकाली गई।
गाजेबाजे के साथ निकली सर्परूपी देह की सवारी
-आतंरदा में 140 साल से चली आ रही परंपरा
करवर. आंतरदा गांव में बुधवार को सर्परूपी दहेलवालजी की सवारी गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। यहां दोपहर बाद आंतरदा राजपरिवार के बहादुर सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण दहेलवालजी महाराज के जयकारो लगाते हुए गाजे-बाजे के साथ गढ ़चौक से रवाना हुए। झालर, पावईया, केवड़ा आदि लेकर खेडी सड़क पर तीन किलोमीटर दूर दोहरी के खाळ पर पहुंचे। जहां विधिविधान पूर्वक पूजा-अर्चना की गई व दूध चढ़ाया। एक घंटे बाद सर्व भोपा प्रभु कीर के हाथ में दहेलवालजी आए। जहां से आध्यात्मिक सवारी शुरू हुई, जो मुख्य मार्गो से होती हुई आंतरदा से होकर देर शाम को गढ़ चौक पर पंहुची। वहां पर तोपों से सलामी दी। बाद में सवारी दहड्या नामक स्थान पर पहुंची। जहां पर सर्पदेह को दहेलवालजी के थानक पर छोड़ दिया। इसी के साथ यहां डसी काटने का कार्य शुरू हुआ। चार दिवसीय मेले का आगाज हुआ। इस दौरान सरपंच विजय कंवर, खुशराज सिंह आदि मौजूद थे।
शांत नजर आया देहरूपी सर्प
सवारी में वाइपर प्रजाति का सर्प शांत नजर आया। करीब 3 घंटे की सवारी में भोपा व उनके सहयोगी के हाथों में घूमता रहा। सर्प देह को देखने के लिए करवर, बूंदी, लाखेरी, कोटा, जयपुर, सवाई माधोपुर, माणी, देई व नैनवा से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
बूंदी. तेजादशमी के अवसर पर बुधवार को थानकों पर दर्शन के लिए उमड़े लोगों ने दूध चढ़ाकर पूजा-अर्चना की।घरों में लड्डू-बाटी बनाए और तेजाजी को भोग लगाया।लोक देवता के थानकों पर सुबह से ही लोगों में खासा उत्साह बना रहा।
लोक देवता तेजाजी के थानकों पर मेलों का आयोजन हुआ। अपनी-अपनी परम्परों के अनुसार पूजा अर्चना की गई। बूंदी बोहरा कुंड के पास स्थित तेजाजी महाराज मंदिर पर पर भी मेले का आयोजन किया गया। सुबह से ही दर्शनार्थियों की भीड़ रही। 12 बजे मेघवाल मोहल्ले से झंडियां निकाली जो 12 बजे मंदिर पहुंची। जहां पूजन कर उन्हें मंदिर पर स्थापित किया गया। इसके बाद सर्पदंश से पीडि़तों की डस्सियां काटी गई।बूंदी शहर के देवपुरा, लंकागेट और नैनवां रोड थानकों पर भी दर्शनों के लिए लोगों की खासी भीड़ रही।